Moral Stories in Hindi : ला बेटा सब्जी धोकर मुझे लाकर दे दे मैं अपना सीरियल देखते देखते काट दूंगी तुझे सुबह से लगे लगे कितना वक्त हो गया है कल अहोई का व्रत है ना हम दोनों का, कल सब्जी नहीं काटनी है। अहोई के दिन मेरी सास सब्जी नहीं काटने देती थी मुझे । एक दिन पहले काट कर रख लेते थे हम सब्जी ,उमा जी अपनी बहू निधि से कहती हैं ।
रसोई का काम समेटती निधि बोली -हां मां मैं सब्जी लेकर अभी आपके पास ही आती हूं , निधि सब्जी लेकर लॉबी में अपनी सास के साथ में बैठकर खुद भी कटवाने लगती है। उमा जी के घुटनों में बहुत दर्द रहता था अभी 2 महीने पहले ही उनके घुटनों का ऑपरेशन हुआ है उमा जी के पति की किराने की दुकान है और उनका बेटा नितिन भी उन्हीं के साथ बैठता है उनकी दो बेटियां भी हैं। बड़ी बेटी
रुपाली की इसी शहर में शादी हुई है और छोटी बेटी मिताली अभी ग्रेजुएशन कर रही है। निधि और नितिन की शादी को 5 साल हो चुके हैं उनका एक 4 साल का बेटा भी है जो प्ले क्लासेस में पढ़ता है। रूपाली की शादी को अभी 2 साल ही हुए हैं। उमाजी एक सुलझीहुई महिला हैं जो अपनी बहू की भावनाओं का भी पूरा ध्यान रखती है।
तभी मिताली भी अपने कॉलेज से आ जाती है निधि उसके लिए रसोई से खाना लेकर आती है, अरे भाभी आज आपने खाली दाल ही बनाई है साथ में चावल भी नहीं बनाये और यह बैंगन की सब्जी तो मुझसे खाई ही नहीं जाती, कितनी तेज भूख लगी थी । खाना देखकर मेरी तो भूख ही मर गई। यह आज की बात नहीं थी मिताली रोज ही खाना देखकर कोई ना कोई तंज कसती ही रहती है।
इससे पहले निधि कुछ बोलती उमा जी बीच में ही उसे टोकते हुए बोलती हैं- मिताली जो बन रहा है वही खा लो सब कुछ अपने पसंद का नहीं हो सकता तुम्हारे पापा ने सुबह बैंगन की सब्जी कहकर बनवाई थी। सबके साथ सामंजस्य बनाना ही पड़ता है और सबके लिए अलग-अलग तो नहीं बन सकता ना।
मिताली मुंह बनाकर ही खाना खा लेती है और पैर पटकती हुई अपने कमरे की ओर चली जाती है। 2 दिन बाद निधि ने दिवाली की सफाई भी शुरू कर दी थी , अगले दिन नाश्ते में पोहा बना देखकर नितिन भी निधि पर चिल्लाने लगता है अरे यार यह क्या रोज-रोज पोहा बना कर रख देती हो इस घर में तो ढंग का नाश्ता भी नहीं मिल सकता?
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इससे अच्छा तो मैं बाजार से आर्डर करके मंगा लेता। निधि की आंखों में पानी भर आता है। अपनी पत्नी से बात करने का यह क्या तरीका है नितिन! उसके पापा नितिन से कहते हैं? हमारे बुजुर्गों ने कहा है जब घर की लक्ष्मी की आंखों में आंसू हो तो घर में बरकत नहीं आ सकती। तुम अपनी दुकान से कितना भी पैसा कमा लो तुम्हें घर में सुकून तभी मिलेगा जब तुम्हारी पत्नी भी मुस्कुराती हुई रहेगी। लेकिन पापा निधि को पता है कि मुझे पोहा पसंद नहीं है ।
देखो बेटा तुम्हारी मां के घुटनों से अभी ठीक से चला नहीं जाता। मिताली भी कॉलेज जाती है और हमारी दुकान ऐसी है कि हम घर नहीं बैठ सकते इसलिए सारे काम का बोझ अकेली बहु पर ही पड़ता है उसके साथ एक छोटा बच्चा भी है। आखिर वह भी तो एक इंसान है। इसलिए हम लोगों का भी फर्ज बनता है कि उसके साथ एडजस्ट करें।
यूं ही दिवाली भी आ जाती है। निधि सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर खाना तैयार करती है और मंदिर में लेकर भी जाती है और शाम को निधि और मिताली घर में अच्छे से रंगोली बनाते हैं और अपना सारा घर मिलकर सजाते हैं। उसके बाद निधि पूजन की तैयारी करने में व्यस्त हो जाती है। शाम को सब लोग मिलकर पूजन करते हैं।
उसके बाद निधि सबके लिए खाना लगाती है। तब उमा जी अपनी बेटी से ,बहू के साथ उसकी मदद करने के लिए कहती हैं। इस पर मिताली कहती है मां तुम हमारी माँ हो या भाभी की, इतना ध्यान तो आप हमारा भी नहीं रखती जितना भाभी का रखती हो। तब उमाजी कहती हैं देखो बेटा मैंने कभी बहू और बेटी में भेद नहीं किया है।
निधि हमारी गृह लक्ष्मी है हम सबके उठने से पहले वह उठ जाती है वह अन्नपूर्णा बनकर घर के हर सदस्य का पेट भरती है। घर में जो भी मेहमान आता है उसका सत्कार करती है, जब मेरे घुटनों का ऑपरेशन हुआ, तब उसने अपने बचाए हुए पैसे भी अपने ससुर को सौंप दिए थे।
तुम दोनों भाई बहन मेरी तरफ से भी बेफिक्र इसलिए रहते हो क्योंकि निधि मेरा पूरा ध्यान रखती है इसीलिए सही मायने में वह मेरे घर की गृह लक्ष्मी है। उसे सम्मान देना हम सब की जिम्मेदारी है। निधि अपनी सास की गोद में सर रखकर फफक कर रोने लगती है और कहती है मां जिस घर में आपके जैसी सास हो वहां पर बहू को सम्मान मिलकर ही रहेगा।
तभी नितिन अपनी बहन के सर पर हाथ मारते हुए कहता है कि तुम भी अपनी भाभी से गृह लक्ष्मी बनने की ट्रेनिंग ले लो। तुम्हें भी अगले साल घर से धक्का देना है हमें। सभी खिलखिला कर हंसने लगते हैं। दोस्तों हमारे बुजुर्गों ने सही ही कहा है जिस घर में बहू और बेटी के खिलखिलाने की आवाज गूंजती है उस घर में हमेशा बरकत बरसती है। साथियों कमेंट करके जरूर बताना आपको मेरी रचना कैसी लगी।
स्वरचित पूजा शर्मा।
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