Moral Stories in Hindi : भाई साहब आपका ही इंतजार हो रहा था, चलो अब आप आ गए हैं तो मीटिंग शुरू करते हैं, वैसे आप पूरे 10 मिनट लेट हो। आप आज कहां रह गए,। अरे भाई खाना बना रहा होगा या अभी बर्तन साफ कर रहा होगा। सब जोर-जोर से हंसने लगे। गुप्ता जी जहां भी जाते पीछे से खुसर पुसर की आवाज आने लगती।
सभी उन को पीठ पीछे जोरु का गुलाम कहते थे। सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी उनके बारे में ऐसे ही राय रखती थी ।सभी लोगों को पता था की गुप्ता जी अपनी पत्नी के कार्यों में बराबर का सहयोग करते हैं, और हमेशा उनकी पीठ पीछे उनकी इस बात का बहुत मजाक ही बनाते हैं। किंतु आज गुप्ता जी से चुप नहीं रहा गया, आखिरकार उन्होंने बोल ही दिया।
. अरे भाई… आप सब लोग चुप क्यों हो गए, बोलिए ..हां हां.. मैं अपनी पत्नी के कार्य में मदद करता हूं क्योंकि वह मेरी गृहलक्ष्मी है जब हम शादी करते हैं तब सात फेरों में हम वचन लेते हैं कि अपनी पत्नी का हर सुख दुख में बराबर का सहयोग देंगे किंतु कुछ समय बाद पत्नी तो इस बात का ध्यान रखती है किंतु हमें क्या हो जाता है, हम क्यों पत्नी की मदद नहीं कर सकते?
क्या हो गया अगर हम पूरे दिन में से एक घंटा भी अपनी पत्नी की मदद करवा दें… तो पति-पत्नी के रिश्तों में प्रेम की भावना आती है और घर में खुशहाली आती है! अच्छा… आप लोग बताओ कि आपकी पत्नी दिन भर कमजोरी या टेंशन में नहीं लगती, आप लोग 10 से 6 ऑफिस आने के बाद क्या करते हो टीवी या मोबाइल ही तो देखते हो.
पत्नी की जिम्मेदारी तो 24 घंटे की होती है, कभी वह इसकी कोई शिकायत करती है! अरे कभी अपनी पत्नी के साथ बैठ कर देखो, उसके संग रसोई में काम करवाओ, फिर देखो पत्नी के चेहरे की चमक! और क्या चाहिए हमे, ,वह हमारी गृह लक्ष्मी है, तो जब हम देवियों की पूजा करने में नहीं कतराते, उसमें हम बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं, क्यों… हमारी पत्नी देवी नहीं है, लक्ष्मी माता या देवी माता यह भी तो एक औरत थी तो फिर हम अपनी पत्नी का अनादर क्यों करें,
आपको याद है सक्सेना जी.. जब आपको पिछली बार डेंगू हो गया था और वर्मा जी आपको जब आप छत से गिर गए थे और आपके हाथ पैरों में फ्रैक्चर हुआ था, आपकी सेवा किसने की थी, पत्नी ने, तो फिर आप अपनी पत्नी की सेवा या मदद करने में शर्म क्यों महसूस करते हो। मान लो.. आपकी पत्नी भी आपकी सेवा या आपकी मदद करने से मना कर दे तो क्या आप अकेले सब मैनेज कर पाएंगे।
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पति और पत्नी दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं अगर दोनों सिक्के बराबर हो तभी जिंदगी जीने का असली मजा है, सब पति जो अपनी पत्नी की मदद करते हैं उन्हें तो सभी ‘जोरु का गुलाम’ की उपाधि दे देते हैं किंतु क्या कभी आपने सुना है किसी ने पत्नी को भी कहा हो..
वह देखो पति की गुलाम जा रही है, बल्कि उसे तो गुट्टी में मिलाकर यही पिलाया जाता है की जाकर ससुराल में पति का और सब का ख्याल रखना, तो जिस तरह से हमारी गृह लक्ष्मी हमारा और हमारे परिवार वालों का ध्यान रखती है, उनकी परवाह करती है, तो क्या हमारा थोड़ा सा भी हक नहीं बनता कि हम भी उसके परिवार वालों का आदर सम्मान करें,
केवल बातें बनाने से कुछ नहीं होता, आप सोच कर देखिए इन बातों को, और इन पर अमल भी कीजिए! आज मेरी पत्नी के सर में दर्द था तो मैं अगर थोड़ी सी बाम लगाकर उसका सिर दबा दिया तो कौन सी आफत आ गई या कभी खाना बना दिया, टीवी देखते देखते सब्जियां साफ कर दी तो पत्नी को कितनी मदद मिल गई, हमारा काम सिर्फ आदेश देने का ही थोड़ी है ऑफिस से निकल कर घर में आते हैं तो घर की तरफ भी तो हमारे कुछ फर्ज बनते हैं।
एक आवाज पर पत्नी दौड़ी दौड़ी चली आती है, क्यों.. क्योंकि वह तुम्हारी पत्नी है, अपने घर परिवार को छोड़कर तुम्हारे साथ आई है तो तुम्हारा भी फर्ज बनता है उसको भी सम्मान मिलना चाहिए, जो हम एक देवी जी को देते हैं अरे कम से कम उसको देवी का दर्जा ना देकर एक सामान्य औरत का भी दर्जा दे दो तो वह तो उसी में खुश हो जाती है, और आप लोग क्या करते हो… बल्कि जो व्यक्ति अपनी पत्नी की मदद करता है उसका मजाक बनाते हो।
कितने शर्म की बात है, पत्नी पति के गंदे कपड़े तक धो देती है किंतु पति एक गिलास पानी तक लेकर पीने में शर्म महसूस करता है। वैसे तो मैं आपको क्या ही समझाऊं या क्या कहूं.. आप खुद ही सभी इतने पढ़े लिखे और समझदार हैं, मुझे लगता है शायद मैंने कुछ ज्यादा ही कह दिया और आपके दिल को अगर थोड़ी सी भी चोट पहुंची हो तो कृपया मुझे क्षमा करना!
पर मैं तो ऐसा ही हूं और ऐसा ही रहूंगा क्योंकि मैं अपनी गृह लक्ष्मी से बेहद प्रेम करता हूं। हमारे आचरण को देखकर ही हमारे बच्चे भी ऐसा ही सीखते हैं मेरे बच्चे घर के कामों बराबर सहयोग करवाते हैं। और अगर ऐसा करने से मैं जोरू का गुलाम कहलाता हूं तो मुझे कोई शर्म नहीं है। उनकी बातें सुनकर सभी पुरुष और महिलाओं के सिर्फ शर्म से झुक गए।
सच ही है दोस्तों पति और पत्नी जब दोनों बराबर हैं तो बराबर का काम करने में शर्म कैसी? पत्नी ही तो घर की लक्ष्मी है, उसके बिना घर में रौनक या खुशियां हो सकती है क्या? किसी भी तरह की बरकत पत्नी के मुरझाए चेहरे से हो सकती? इसलिए गृह लक्ष्मी का आदर सम्मान करें!
हेमलता गुप्ता स्वरचित