“अपने तो अपने होते हैं” – पूजा शर्मा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुगंधा बोझिल कदमों से आगे बढ़ रही थी , वो नहीं समझ पा रही थी कि उसे किस कसूर की सजा मिली है उसने पूरे 5 साल आलोक के साथ बिताएं उसके माता-पिता और दोनों भाइयों का बराबर ध्यान रखा है, फिर भी आज उसके दोनों हाथ खाली थे। 5 साल पहले ही सुगंधा की शादी आलोक से हुई थी उनका 4 साल का बेटा भी शुभ है सब कुछ ठीक ही चल रहा था ।

सुगंधा जब से ससुराल में आई थी घर में जैसे रोनक आ गई थी ।धीरे-धीरे उसने गृहस्ती की सारी बागडोर संभाल ली थी ।आलोक बैंक मैनेजर के पद पर नौकरी करता था ,उसके ससुर मिलिट्री से रिटायर्ड थे दोनों देवर अभी पढ़ रहे थे।सुगंधा से भी सब बहुत प्यार करते थे ,एक साल में ही शुभ का जन्म हो गया था।

लेकिन एक दिन आलोक के कॉलेज की दोस्त ऋचा उससे बैंक में टकरा जाती है।उसे कोई लोन पास करना था इसीलिए बार-बार बैंक के चक्कर काटने पड़ते थे । ना जाने कब और कैसे दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे सुगंधा को इस बारे में कुछ भी नहीं पता था ,एक दिन उसने घर में रिचा से शादी का ऐलान कर दिया और सुगंधा से माफी मांगते हुए बिना कोई भूमिका बनाएं तलाक के लिए कहता है। सुगंधा के पैरों तले जमीन खिसक जाती है सारे घर वाले भी चौंक जाते हैं।

सुगंधा वही पार्क में बैठ जाती है। वह आलोक से बहुत प्यार करती थी और उसे पता था आलोक भी उसके बिना नहीं रह सकता। उसे कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था तभी अपने कंधे पर किसी का हाथ का स्पर्श पाकर वो मुड़ कर देखती है तो उसका सारा परिवार उसके साथ खड़ा था। तुम अकेली नहीं हो सुगंधा , हम सब तुम्हारे साथ हैं। उसके सास ससुर उसे कहते हैं।

उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। सब लोग घर वापस चले जाते हैं। वहां पहुंचकर आलोक के पापा आलोक से कहते हैं। ठीक है सुगंधा तुम्हें तलाक देने के लिए तैयार है लेकिन तुम्हें हर महीने उसके और उसके बच्चे के खर्चे के लिए उसे पैसे देने पड़ेंगे। और घर भी मुझे सुगंधा के नाम ही करना पड़ेगा क्योंकि भविष्य में उसे उसके बच्चे की जिम्मेदारी पूरी करने के लिए सब कुछ चाहिए ।

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हम सब लोग भी उसी के साथ रहेंगे हम उसे अकेला नहीं छोड़ सकते। उसके दोनों भाई भी अपने माता-पिता के फैसले में उनके साथ देते हैं। आलोक सब कुछ रिचा से बताता है और वादा करता है कि उसे हमेशा खुश रखेगा। लेकिन रिचा शादी के लिए मना कर देती है और कहती है बिना पैसों के गृहस्ती नहीं चलती तुम्हारी नौकरी से ही केवल खर्च नहीं पूरे हो सकते।

जिंदगी में मुझे सारे ऐशोआराम चाहिए। वह उसे बताती है कि उसने अपने पहले पति को भी पैसे के लिए ही छोड़ा था क्योंकि उसकी नौकरी चली गई थी उसके लिए पैसा ही सब कुछ था संबंधों को वह कुछ नहीं मानती थी। आलोक की आंखों से प्रेम की पट्टी उतर चुकी थी वो यथार्थ में आ चुका था।

वो वापस घर जाता है और सुगंधा से माफी मांगता है आइंदा उसे धोखा ना देने का वादा करता है । सुगंधा उसे माफ कर देती है। उसे अपना घर परिवार वापस मिल जाता है वह बहुत खुश थी। उसे अपने परिवार पर बहुत गर्व होता है जिनकी वजह से आज रिचा की असलियत आलोक के सामने आ पाई थी

अब उसके हाथ खाली नहीं थे। सच ही है परिवार का साथ अगर मिल जाए तो हम किसी भी मुसीबत से लड़ सकते हैं।

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स्वरचित -पूजा शर्मा

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