छुट्टियां – भगवती सक्सेना गौड़

अक्षरा मॉल में घूमकर विंडो शॉपिंग में मस्त थी, यूँ प्रतीत हो रहा था, आज तो ये विशाल मॉल ही घर ले जाएगी।

असल मे मंटू के एग्जाम भी हो चुके थे, मायके जाने की तैयारी थी। उसने परिवार के हर सदस्य के लिए कुछ न कुछ खरीदा, फिर ध्यान आया, अरे मेरी प्यारी सी मम्मी के लिए कुछ खरीदा ही नही। उनके लंबे मुलायम बालों के लिए बढ़िया सा जुड़ा क्लिप खरीदा। स्वयं के बाल हमेशा से छोटे ही रखती थी, पहले पढ़ाई फिर जॉब, लम्बे बालो को कौन संभाले।

नियत दिन रमन ने उसे मंटू के साथ एयरपोर्ट तक छोड़ दिया, वो चली गयी। यूँ प्रतीत हो रहा था आज चिड़िया बन आकाश में उड़ रही है, बादल बिल्कुल उसके करीब से गुजर रहे थे। तभी प्लेन के गंतव्य पर पहुँचने की घोषणा हुई। मन मयूर नाच रहा था।

समान लेने के बाद बाहर देखा, भैया कार लेकर उसे लेने आये हैं। मंटू भी मामू को देखकर उछल पड़ा और सबलोग घर पहुँचे।

घर मे सबसे गले मिलकर असीम शांति मिली। बस मम्मी में कुछ अंतर लग रहा था, पूरी तरह समझ नही पा रही थी।

कभी कभी पहले भी साड़ी से सिर ढके रहती थी, आज तो पूरी तरह कवर कर के रखी थी। फिर चाय, नाश्ते के समय पापा, भैया, भाभी , मम्मी सबसे बाते चलती रही, सबलोग बढ़िया से दुनिया भर के रिश्तेदारों की बाते करते रहे।


फिर अक्षरा ने अपनी अटैची खोलकर सबके गिफ्ट निकालना शुरू किया, बारी बारी से सबको पकड़ाती रही।

मम्मी अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी थी। अक्षरा बड़े प्यार से उनका गिफ्ट लेकर गयी और बोली, “मम्मी, देखो मैं आपके लिए क्या लायी, उठ कर बैठो, मैं बालो में लगा दूं।”

और तभी मम्मी उठी और गले लगाकर फूट फूट कर रो पड़ी।

अचानक अक्षरा की नजर उनके सिर पर गयी, वहां सूनापन देखकर चिल्ला उठी, “क्या हुआ, बाल कहाँ गए।”

तब तक पापा आये और उसे पकड़ कर कमरे से बाहर लाये, “बेटू, नाराज नही होना, तुम्हारी मम्मी को छह महीने पहले, इंटरनल भाग का कैंसर डिटेक्ट हुआ। कीमो लगातार चलने से बाल खत्म हुए। उन्ही का ये फैसला था, अक्षरा को अभी कोई नही बताएगा, मंटू के बोर्ड के एग्जाम है, घर बाहर जॉब सब उसको करना है, एग्जाम के बाद बता देना।”

एक घंटे में ही घर का माहौल बदल चुका था, सबकी आंखों में आंसू थे, पर कोई किसी को दिखा नही रहा था।

अक्षरा हाथ मे जुड़े का क्लिप लेकर निहार रही थी, भैया ने उसी समय कहा, “डॉक्टर ने कहा है, ट्रीटमेंट चल रहा है, ठीक हो जाएंगी, कोई भी मम्मी के सामने रोयेगा नही।”

जिंदगी की दुश्वारियां कब किसको क्या दिखाए, कोई भरोसा नही।

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