Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि शुभ्रा के मन में उमेश को लेकर गलतफहमी हो गयी हैँ… उमेश शराब पीने वाला और किसी लड़की से उसके सम्बंध हैँ…ऐसा शुभ्रा को लग रहा हैँ…
शुभ्रा पेपर देने गयी हैँ… फ़ोन घर पर ही छोड़ गयी हैँ… उमेश ना जाने कितने पागलों की तरह शुभ्रा को फ़ोन,मेसेज करें जा रहा हैँ… उसे कोई जवाब नहीं मिल रहा… तब अपने दोस्त राहुल के कहने पर वो फिर फ़ोन लगाता हैँ शुभ्रा को…. उमेश के इतने मेसेज देख शुभ्रा फ़ोन उठा लेती हैँ… वो बोलती हैँ… जी…. सुनिये…
अब आगे …
उमेश की जान में जान आती हैँ… वो शुभ्रा की आवाज सुन दिल पर हाथ रख लेता हैँ… इससे पहले कि उमेश शुभ्रा से कुछ बोलता राहुल उमेश के हाथ से फ़ोन छीन लेता हैँ… उमेश गुस्से में राहुल को देखता हैँ….
राहुल बोलता हैँ… शुभ्रा भाभी नमस्ते ….
शुभ्रा राहुल की आवाज सुन सहम ज़ाती हैँ… वो बोलती हैँ… जी आप कौन ?? उमेश जी के दोस्त हैँ क्या ??
जी भाभी.. मैं उमेश का दोस्त राहुल हूँ….
आप मेरे दोस्त को गलत मत समझिये … वो तो बस आपका दीवाना हैँ… उसके दिल में कोई लड़की हैँ तो वो बस आप हैँ भाभी … आज तक इसने कभी किसी लड़की की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखा… आपके मन में बस उस कामिनी मैडम ने गलतफहमी पैदा कर दी हैँ… बहुत सीधा हैँ मेरा दोस्त…. राहुल ने कामिनी मैडम और उमेश के बीच ट्रेन से लेकर यूनिट तक क्या क्या हुआ सब खुलकर बता दिया…. भाभी वो वैसे ही बहुत गिरा हुआ महसूस कर रहा हैँ आपकी नजरों में… ज़िन्दगी में तूफान आ गया हैँ उसकी…. अगर ऐसे समय पर आपने भी उसको सपोर्ट नहीं किया तो वो टूट जायेगा… घर पर भी अपने किसी को नहीं बता सकता…. आपसे रिक्वेस्ट हैँ इस पवित्र रिश्ते को टूटने मत दीजियेगा … बाकी आप समझदार हैँ…. लीजिये यू कैन कन्टीन्यू टाक विथ उमेश नाउ….. राहुल आज पूरे फिल्मी अन्दाज में शुभ्रा को समझाने की कोशिश कर रहा हैँ…यह बोल राहुल उमेश को फ़ोन पकड़ा देता हैँ….
उमेश बोलता हैँ… हेलो शुभ्रा…. सुनो…..सुन रही हो ना??
जी…बोलिये…शुभ्रा धीरे से बोली….
मुझे माफ कर दो शुभ्रा…. मेरा कामिनी मैडम से कोई रिश्ता नहीं हैँ… मैं और मेरे घरवालों ने तुम्हे कोई धोखा नहीं दिया हैँ…. तुम्हे विश्वास ना हो तो तुम किसी से भी मेरी यूनिट में पूछ सकती हो मैं कैसा लड़का हूँ… पर इस तरह मुझसे दूर मत होना… लाइफ में पहली बार किसी के लिए दिल धड़का हैँ……यह बोलते बोलते उमेश की आवाज भर्रा गयी थी ….
मैं किसी और से क्यूँ पूछूँगी आपके बारें में… मुझे आप पर विश्वास हैँ… पर अंदर ही अंदर शुभ्रा पश्चाताप से भरी हुई थी…. कि ये क्या अनर्थ करने जा रही थी मैं अगर आज ये फ़ोन ना करते तो शाम तक घरवालों को सब कुछ बता हीरे जैसे इतना प्यार करने वाले उमेश को खो बैठती…. उफ़…. वो अंदर ही अंदर खुद को कोस रही थी…
आप रो रहे हैँ क्या ?? प्लीज अगर आप सच में मुझसे प्यार करते हैँ तो पहले खुश होईये… और चेहरे पर स्माईल लाईये…. और ये जो भी कामिनी मैडम हैँ इनको तो मैं देखती हूँ…. आप बस इनका नंबर लाकर दीजिये … इन मैडम की इनकी हिम्मत कि मेरे उमेश….. इतना बोल शुभ्रा रुक गयी… और उसने अपने मुंह पर हाथ रख लिया….
क्या बोला तुमने… फिर से बोलना… बोलो ना शुभ्रा…. मेरे उमेश… बोलो ना यार… एक बार और सुनना हैँ तुम्हारे मुंह से अपना नाम… बोलो तो….
जी सोरी … वो तो बस ऐसे ही मुंह से निकल गया….
नहीं … मुझे अच्छा लगता हैँ… तुम उमेश ही बोला करो …. बोलोगी ना ?? … एक बार और बोलो ना मेरे उमेश….
शुभ्रा शर्मा ज़ाती हैँ….
जी… पति का नाम लेने से उम्र कम होती हैँ… इसलिये नहीं लेते…. माँ कहती हैँ….
तुम मुझ पर ऐसे ही प्यार से हक दिखाती रहोगी तो मेरी उम्र अपने आप ही बढ़ जायेगी…. उमेश के चेहरे पर शुभ्रा के प्यार की लाली साफ दिख रही थी….
जी आप भी ऐसी बातें करते हैँ…मैं नहीं ले सकती आपका नाम….पता है आज मेरा पेपर बहुत अच्छा हुआ….
अच्छा… बहुत अच्छी बात हैँ… ऐसे ही मेहनत करो… एक दिन तुम्हारे पापा को तुम पर फक्र होगा…
जी… अच्छा मैं चलती हूँ…माँ ने बताया था आज आपके पापा और भईया समीर जी आने वाले हैँ सगाई की तैय़ारी की बातें करने… शायद आ गए हैँ… तभी शोर हो रहा हैँ घर में …. मैं चलती हूँ…. अपना ख्याल रखना…
सुनो…. शुभ्रा…. उस दिन भी तुमने नहीं कहा … आज तो कह दो यार….
जी… मुझसे नहीं होगा…. मैं नहीं कह सकती…. शर्म आती हैँ….
अच्छा बाय ….
बाय शुभ्रा….. कल कोलेज आतें ही फ़ोन करना…. कल तो बोलना ही पड़ेगा तुम्हे … इतनी चिलचिलाती धूप में भी उमेश को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा वो तो बस शुभ्रा से बात करने में व्यस्त हैँ….
जी…. पक्का….
शुभ्रा फ़ोन काट देती हैँ… उमेश अभी भी फ़ोन को देख रहा हैँ… वो फ़ोन को अपने सीने से लगा लेता हैँ… यही हाल शुभ्रा का हैँ….
हो गयी भाभी से बात … ज़नाब के चेहरे की चमक बता रही हैँ कि शुभ्रा भाभी से पैचअप हो गया हैँ…. अब मुझे पिज्जा खिला भाई… मेरी वजह से ही आज तेरी टूटती हुई शादी बची हैँ…. आखिर पार्टी तो बनती हैँ…
कमीने…. तेरी वजह से ही इतनी बड़ी मुसीबत में फंसा हूँ…. और इसे पार्टी चाहिए ….
अच्छा… कामिनी मैडम का दिल तो ट्रेन में ही तुझ पर आ गया था…. मैने तो बस उन्हे तेरा नंबर दिया… मैं नहीं तो कोई और दे देता…
अब बकवास मत कर चल काम कर लें… छुट्टी के लिए भी एप्लाई करना हैँ…
क्यूँ तू कहां जा रहा हैँ…
मेरी सगाई हैँ शुभ्रा के साथ 16 तारीख को… उमेश आज बहुत खुश हैँ…
तो साले तू अकेले ही छुट्टी लगायेगा …. मुझे नहीं ले जायेगा अपनी इंगेज़मेंट में….. देख लिया देख लिया…. लड़की मिली नहीं दोस्त तो भूल गया… राहुल बोला..
तुझे भी बोलने की ज़रूरत हैँ… तू तो बिन बुलाये ही सबसे पहले पहुँचेगा …. उमेश राहुल के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला…
इधर शुभ्रा दौड़ती हुई नीचे रसोईघर में ज़ाती हैँ… तभी किसी के गिरने की धम्म से आवाज आती हैँ….
बाऊ जी… गिर गए गुसलखाने में… आँखें ना खोल रहे…. कोई बाहर से चिल्लाया….सभी लोग दौड़ते हुए आयें….
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -13)
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -13) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -11)
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -11) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
लड़के वाले सीजन 1
1 thought on “लड़के वाले सीजन -2 (भाग -12) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi”