Moral Stories in Hindi : मिनी एक कप चाय और मिलेगी क्या आज तो तुम्हारा जन्मदिन भी है तो फिर विशेष चाय पिला दो मेरी छुट्टी है भाई…..सोफे पर आरामतलबी से पसरे सागर की पुकार से मिनी तिलमिला ही गई थी..बस चाय की मांग करते रहिए अपनी छुट्टी ही याद है मेरा जन्मदिन भी याद है आज ..!
हां भाई याद है बोला तो मैने हैप्पी बर्थडे मिनी…लो अब ठीक है..!!
क्या ठीक है ….!शादी के इतने साल बीत गए पर आज तक एक हार क्या एक साड़ी तक नहीं लाए मेरे लिए….मेरी सहेली रमा को देखा है हां वही मोटी सी नाटी सी…उसके पति उस पर जान न्योछावर करते हैं…हर साल किसी हिल स्टेशन पर ले जाना जब देखो तब कीमती तोहफे उसका जन्मदिन भी हर बार शानदार पार्टी फाइव स्टार होटल में मनाते हैं….पड़ोसन मिसेज शर्मा को ही देख लो कल ही शर्मा जी उनके लिए सिल्क की दो साड़ियां लाए हैं……एक आप हैं कभी मन ही नहीं करता अपनी इतनी प्यारी पत्नी के लिए कुछ गिफ्ट ले आएं…आज मेरा जन्मदिन है कुछ तो सरप्राइस गिफ्ट लाना चाहिए था आपको ….आपको मेरा बिलकुल ख्याल नहीं है मैं तो आपके हर जन्मदिन पर आपके लिए गिफ्ट लाती हूं ….
मिनी की बड़बड़ाहट ऊंची होती जा रही थी सागर चुपचाप बैठा रहा …”तुम खुद ही क्यों नहीं ले आती जाकर जो तुम्हे चाहिए…मैं लाऊंगा तो मीन मेख निकालने लगोगी मैं क्यों लाऊं गिफ्ट विफ्ट कहते हुए तेजी से उठकर जाने लगा …
वाह जी वाह मेरा ही जन्मदिन और मैं ही गिफ्ट लाऊं अपने लिए!! क्या मतलब फिर!!
मिनी ने तुरंत कहा तो सागर बम हो गया ..”ओफ्फो मिनी तुम पत्नियां भी ना अजब होती हो तुम्हारी शिकायतों का कोई अंत ही नही है…एक दिन बिचारे पति को चैन से घर में बैठा देखा नही कि शिकायती का पिटारा खोल के बैठ गईं ..अरे जन्मदिन है तो क्या करूं !!नाचूं ..!!ऑफिस के इतने महत्वपूर्ण काम याद रखूं या तुम्हारा जन्मदिन!! तुम्हें तो घर में रहना है घर में बैठे बैठे बस आराम से जन्मदिन गिफ्ट यही सब सोचती रहो!! अरे मना लो अपना जन्मदिन जैसी इच्छा हो मैने क्या कोई रोक लगाई है तुम पर!!एक दिन इस घर में सुकून से नहीं रह सकता….तमक कर सागर घर से बाहर चला गया था।
मिनी उसे जाते देख रुआंसी हो उठी थी….।कैसा घर है ये मेरे जन्मदिन पर भी मुझे ही डपट रहे हैं!!
क्या मुसीबत होती हैं ये पत्नियां भी जब देखो तब उलाहने .. शिकायते ..!! तैयार बैठी रहती हैं …एक ही सन्डे मिलता है घर में थोड़ा चैन लेने को उस दिन भी ये चैन नहीं लेने दे सकतीं .ये मेरा घर तो लगता ही नहीं अपनी मर्जी का मैं कुछ भी तो नहीं कर पाता हूं…बेकार ही मिलती है छुट्टी घर पर तो रहना ही बेकार है..कोई मौका मिला नहीं कि पति के पीछे लग जाती हैं मेरा ख्याल नही रखते कोई कही घुमाने नही ले जाते…कोई गिफ्ट नहीं लाते गिफ्ट नहीं लाते….हमेशा का रोना है मिनी का…इतनी साड़ियां भरी पड़ी हैं…ज्वेलरी की भी कमी नहीं है किटी पार्टी शॉपिंग मूवी सब सहेलियों के साथ बदस्तूर जारी है फिर भी मुझे देखते ही कोई ना कोई उलाहना याद आ ही जाता है
बड़बड़ करता सागरअपने दोस्त अनय के सामने अपने दिल की सारी भड़ास निकाल रहा था।
मैं घर और अपनी पत्नी का कितना ख्याल रखता हूं तुझे क्या बताऊं ऑफिस में इतनी व्यस्तता होने के बाद भी समय पर घर आ जाता हूं वो जो भी बना कर देती है बिना किसी शिकायत के चुपचाप खा लेता हूं सुबह डेयरी से दूध लाता हूं सन्डे को फ्रिज की सफाई भी मैं ही करता हूं …मेरे दोस्त पहले घर बहुत आते थे बहुत सारी फरमाइश करते थे मिनी से….मुझसे मिनी का ये अतिरिक्त काम का बोझ नहीं देखा गया तो अब धीरे धीरे दोस्तों को बुलाना भी कम कर दिया है….बेटे को सुबह स्कूल मैं ही छोड़ने जाता हूं…अब और क्या करूं उस पर भी ऑफिस का काम बॉस का दबाव…फिर भी मिनी के उलाहने सुनने मिल ही जाते हैं।
तूने अच्छा किया जो इस शादी के झमेले में पड़ा ही नहीं ना उधो का लेना ना माधो का देना रश्क होता है यार तेरी किस्मत से…क्या बढ़िया मस्त आज़ाद जिंदगी है तेरी… आह भरते हुए सागर ने कहा तो…
अनय अपना लैपटॉप ऑन करते हुए हंसने लगा अरे भाई हर किसी को दूसरे का जीवन बेहतर लगता है …!तुझे मेरा और मुझे तेरा जीवन बेहतर लगता है एक बात बता घर तो दोनों का है ना तुझे अपने ये छोटे छोटे काम दिखते है और पत्नी के अनगिनत खामोश काम नहीं देख पाता..!!
भाई भाई बेहतर लगता नहीं तेरा है ही….क्या तुझे मेरा बेहतर लगता है!!जोर से हंसते हुए सागर ने पूछा तो अनय ने बहुत संजीदगी से उसकी तरफ देखते हुए कहा हां भाई मेरी जिंदगी में ऐसा बेहतर जैसा कुछ भी नहीं है जो मुझे भविष्य के लिए उत्साहित करता रहे तेरे साथ तो तेरा परिवार है बच्चे हैं जो तुझे भविष्य को सुनहरा करने के मौके देते है
आश्चर्यचकित रह गया सागर क्यों तुझे क्या परेशानी है अकेला रहना है ना कोई टोका टाकी ना ताने उलाहने ना कोई ज़िद ना झंझट अपने अनुसार अपनी ज़िंदगी जी रहा है!!
नहीं सागर एक बार मेरी जगह खुद को रख के सोच फिर बताना….
मेरी बात कर रहा है ..मैं ऑफिस से आया….दिन भर के काम की थकान इतनी की अपने आप पानी भी नहीं लिया जाता…चाय पीने के लिए चाय बनाना होता है कई बार चाय बनाने जाओ तो दूध ही नहीं रहता ऑफिस से आते समय लाना भूल गया…अरे घर तो घरवाली अर्थात पत्नी से ही बनता है ये तो मकान है…यहां बस रह रहा हूं मैं… जीवन बस एक रस चाल से बीत रहा है…घर तो वो होता है जहां ख्याल करने वाला कोई हो अपने दिल की बाते बांटने वाला कोई हो…मैं अपनी बातें अपनी चिंताएं किससे शेयर करू!
अरे इसमें क्या आराम से बिस्तर पर लेट कर किसी भी दोस्त से लम्बी गप्पे मार लो सारी थकान और चिंताएं दूर…. सागर ने फटाक से हल बताया।
नहीं यार कई बातें दोस्तों से भी नहीं कही जाती हैं और फिर जरूरी नहीं है जब आपको जरूरत हो वह भी फुरसत मिले!!दोस्त भी उलाहने दे ही देते हैं…अरे तुझे क्या अकेला आदमी फुरसतिया …!! हमें तो घर गृहस्थी के हजार काम हैं…उन्हें करें या तेरी गप्पे सुनें..!!
आस पड़ोस भी अधिकतर अविवाहित अकेले कमाऊ पुरुष को शंकालु दृष्टि से ही आंकते हैं….घर परिवार नाते रिश्तेदार अलग हजार नसीहते देते रहते हैं..!
अरे पत्नी हजारों काम हजारों ख्याल बिना बोले ही करती रहती है जो तू समझ ही नहीं पाता वो सुबह तेरे उठने के पहले से लेकर रात तेरे सोने के बाद तक घर के ही कार्यों में जुटी रहती है
सागर को अचानक अपनी बेड टी याद आ गई रोज सुबह मिनी बिना उसके बोले टेबल पर रख जाती है फिर बाथरूम में उसके नहाने के कपड़े टॉवेल से लेकर ऑफिस के कपड़े इस्तरी करके रख जाती है…टाइम से टेबल पर उसकी पसंद का नाश्ता और साथ ही टिफिन बॉक्स भी तैयार मिलता है…!!उसे तो ये भी याद नहीं है कि कभी मिनी ने उसके साथ बैठ के नाश्ता किया हो!!बेटे के स्कूल की तैयारी में व्यस्त हो जाती है …….!!
तेरी शादी नहीं हुई अभी इसीलिए पत्नी की स्तुति गान कर रहा है …इनकी मांगें और अपेक्षाएं कभी खत्म ही नही होती हैं…..सागर ने फिर से उसका विरोध किया
अनय बोलता जा रहा था….अरे सुन शिकायतें भी वहीं होती हैं जहां मोहब्बत होती है अपनापन होता है अब इतना अधिकार तो बनता ही है पत्नी का कि अपने पति से अपने जन्मदिन पर कुछ लाने की मांगकर सके वैसे तो पति को भी बिना बोले ही ऐसे मौकों पर ख्याल कर देना चाहिए…मुंह खोलकर पत्नी भी उसी से मांगती है उसी से शिकायत करती है जिस पर पूरा अधिकार समझती है…ये सच है की वो खुद ही बाजार जाकर अपनी पसंद की गिफ्ट ला सकती है लेकिन अगर तुम कभी कभी उसके बिना कहे बिना मांगे ही उसकी पसंद की छोटी सी ही चीज ले आओगे तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा !घर का मतलब केवल अपनी जरूरत की पूर्ति या यंत्रवत अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते जाना नहीं बल्कि एक दूसरे के लिए समय निकालना परस्पर भावनाओं का सम्मान करना दिल से ख्याल करना भी होता है नहीं तो घर का मतलब ही क्या है अरे पत्नी तो घर का वो आंगन होती है जो हर मौसम में हर परिस्थिति में घर को सुकून देने को प्रतिबद्ध रहता है
अनय मानो रुकना ही नहीं चाह रहा था बोलता ही जा रहा था…
..!कल्पना करके देख ले बिना मिनी भाभी के अपने घर की जिंदगी की!!
अचानक सागर को अनय की जिंदगी शुष्क खाली और बेजान सी लगने लगी ठीक वैसे ही जैसे बिना मिनी के खुद अपनी !!मिनी से ही तो मेरा आज है और कल है …अनय के पास कल कहने जैसा कुछ भी नहीं है!!
वो तुरंत उठकर अपने घर की ओर चल पड़ा ।
……… मिनी की पसंद की एक साड़ी खरीदी…..पता नहीं कितने सालों बाद आज वह साड़ी खरीदने आया था…!एक बढ़िया सा वैनिला केक स्पार्किंग कैंडल्स खरींदी समोसे और गुलाबजामुन लिए मिनी की मनपसंद चीजे थीं …..धीरे से घर के दरवाजे से अंदर घुसा तो मिनी की सहेली रिया की आवाज आ रही थीं …”अरे क्या मिनी तू घर में बैठी है आज तो शॉपिंग पर जाना चाहिए था फिल्म देखने जाना था तुझे …कहां हैं सागर जी बिलकुल ख्याल नहीं रखते तेरा हद हो गई आज के दिन घर में तुझे अकेली छोड़ कर बाहर अकेले घूम रहे हैं
कैसी बात करती है रिया ..!!तुरंत मिनी बात काटते हुए कह रही थी सागर मेरा बहुत ख्याल रखते हैं इतने व्यस्त रहते हैं ऑफिस में फिर भी रोज घर की और मेरी जरूरतों का पूरा ख्याल रखते हैं बल्कि मैं ही बेकार में उन पर नाराज़ हो जाती हूं आज उनकी छुट्टी थी अच्छे खासे खुश घर में बैठे थे और मै ही बेकार में गिफ्ट की जिद लेकर बैठ गई उनकी छुट्टी और उनका मूड खराब कर दिया अरे अब मैं क्या कोई छोटी बच्ची हूं जिसका जन्मदिन मनाया जायेगा और गिफ्ट दी जाएगी..
हां क्यों नहीं मनाया जायेगा आज मेरी पत्नी का जन्मदिन है मेरे लिए आज सबसे खास दिन है आज के ही दिन मेरी ये प्यारी अनमोल पत्नी इस धरती पर आई थी ..कहते हुए सागर ने उन दोनों को चौंका दिया अरे सागर जी आप!!रिया अकस्मात सागर को सामने देख चौंक गई।
ये सब मेरे लिए है..!!अपनी पसंद की सारी चीजें समोसे गुलाबजामुन देख कर आश्चर्य और प्रसन्नता से मिनी किसी मीठी बच्ची की तरह चहक उठी थी और उसे चहकता देख कर सागर का दिल भी चहक उठा था.. हां और ये गिफ्ट भी…. साड़ी का पैकेट भी मिनी को सौंपते हुए सागर ने कहा तो मिनी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा ये साड़ी आपने खुद खरीदी ….मेरे लिए आप साड़ी लेने गए थे मुझे भरोसा नहीं हो रहा है …. प्रमुदित मिनी तुरंत साड़ी का पैकेट का पैकेट खोलने में जुट गई थी और सागर केक सजाने में …!!
ऐसी मीठी शिकायतें ही तो जीवन में मिठास घोलतीं हैं…!!
#शिकायत#
लतिका श्रीवास्तव