Moral Stories in Hindi : पति की तेरहवीं पर किशोरवय बेटी का हाथ पकड़े लिपट कर रोती हुई पन्ना बेबस सी सास और ननद का ये इल्जाम मेरे बेटे को मेरे भाई को यही मनहूस खा गई.. उफ्फ लग रहा है जैसे कलेजे में खंजर घुसेड़ कर घुमा दिया हो.. आज का दिन हीं मिला है इन्हे कितने निष्ठुर हैं ये लोग! पन्ना और सिया को रोता देख पत्थर दिल भी पिघल जा रहा था.
पर आज का समाज इंसाफ की बात बोलने से पहले अपना घटा नफा देखने लगा है.. पूरा समाज मूक दर्शक बन तमाशा देख रहा था.. पीठ पीछे चर्चा के लिए अच्छा टॉपिक था.. आज पूरा समाज रिश्तेदार मायके वाले सब के सब मौजद हैं तब मेरे साथ ये सलूक! कल जब सारे चले जायेंगे तब मेरा क्या होगा…
बेहद खूबसूरत पर गरीब घर की पन्ना का रिश्ता अमर के साथ सिर्फ अमर के जिद्द से तय हुआ.. अमर को पन्ना पहली नजर में हीं भा गई थी..
सास और तीनो ननद को उसी समय से पन्ना से चिढ़ सी हो गई थी.. दोनो की खूबसूरत जोड़ी को देखकर देखने वाले खूब तारीफ करते.. सास और ननद जल भुन जाती.. कंगला ने बेटी को दिखा कर मेरे बेटे को रिझा लिया था. मति मार ली थी..
इस कहानी को भी पढ़ें:
अंतिम पड़ाव.. – विनोद सिन्हा “सुदामा” : Moral Stories in Hindi
अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए मां और बहन ने धीरे धीरे अमर का कान भरना शुरू कर दिया. .. तीनो ननद ससुराल चली गई.. दो लोकल थी.. जब भी समय मिलता अमर को उकसाती पन्ना के खिलाफ.. कंपनी अपना नया प्रोजेक्ट गुजरात में शुरू कर रही थी इलाका बहुत पिछड़ा था इसलिए एक साल के अनुबंध पर अमर को अकेले जाना पड़ा.. एक बेटी सिया का बाप बन चुका था अमर.. भारी मन से अमर बेटी और पत्नी से दूर जा रहा था.. पर दुर्भाग्य अमर के साथ जा रहा था..
कंपनी किसी घोटाले में फंस गई.. अमर को सिर्फ तीन महीने का पैसा मिला और नौकरी भी छूट गई. कुछ समय तक रखे हुए पैसे से घर चला.. फिर अमर एक दुकान में काम करने लगा.. पर इतने कम पैसे में घर चलना मुश्किल था.. पन्ना ने अपने एक पड़ोसी के सहयोग से एमवे कंपनी ज्वाइन कर ली.. बहुत से लोगों से मिलना उनके घर जाना उन्हे कनविंस करना पन्ना का रोज का काम हो गया था… शुरू में जी तोड़ मेहनत करो तभी सफलता मिलेगी ये बात उसे समझ आ गई थी..
इधर पन्ना अपने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने में लगी थी उधर उसका घर फूट रहा था.. मीटिंग में जाना पड़ता था.. कई बार होटल में मीटिंग होता.. पुरुष का आहत होता इगो अपनी पत्नी को गैर मर्दों के साथ मीटिंग में होटल जाता देख मां और बहन की बातों में सच ढूढने लगा.. उमेश कालरा उसके बॉस थे उसकी मेहनत और लगन देख बहुत प्रभावित थे..
पति से पन्ना अक्सर कालरा साहब की बात करती और तारीफ करती.. और फिर पति के मन मस्तिष्क में कालरा साहब से पन्ना के नाजायज रिश्ते का शक बैठ गया.. अभी दो दिन पहले की हीं तो बात है तेज आंधी तूफान के बाद बारिश आ गया था तब कालरा साहब पन्ना और ताप्ती दोनो को उसके घर छोड़ दिए थे तब मां और बहन ने अमर को बताया देखो पहले इसके साथ होटल जाती थी अब घर भी आने लगा है..
अमर शराब पीने लगा.. पन्ना अमर को बहुत समझाती.. बेटी का वास्ता देती पर.. देखते हीं देखते खुशहाल परिवार शक ईर्ष्या और वर्चस्व की लड़ाई के आग में झुलसने लगा.. अमर का लीवर खराब हो गया पीने के कारण.. अपने परिवार को बचाने के लिए पन्ना ने एमवे कंपनी को भी छोड़ दिया जिसमे जगह बनाने के लिए अपना खून पसीना लगा दिया था . गांव का जमीन बेचकर पीजीआई चंडीगढ़ ले गई पति को पन्ना.. पर बहुत देर हो चुकी थी..
इस कहानी को भी पढ़ें:
घडियाली आंसू बहाना – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi
अमर को अपने अंत का आभास हो गया था उसने हाथ जोड़कर रोते हुए पन्ना से माफी मांगी.. आज उसे अपने किए पर बहुत #पश्चाताप #हो रहा था…पर क्या बरसा जब कृषि सुखानी…पन्ना ने अमर का हाथ पकड़ लिया.. कहा तुम्हे कुछ नही होगा .. अमर ने सिया को भी खूब प्यार किया..सारी शिकायतें पश्चाताप के आसुओं में बह गई.. पर का वर्षा जब कृषि सुखानी..
सुबह अमर अनंत यात्रा पर निकल गया.. और पीछे छोड़ गया पंद्रह साल की मासूम सिया का अनिश्चित भविष्य और छत्तीस साल की जवान बेसहारा विधवा पत्नी को.. #पश्चाताप #करने का समय तो बहुत दूर निकल चुका था…
🙏❤️✍️
Veena singh..
#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #
#पश्चाताप #
VM