Moral Stories in Hindi : श्रुति कालेज से लौटी तो पता चला लड़के वाले आ चुके थे। मम्मी -पापा उनकी खातिरदारी का काम अकेले ही संभाल रहे थे। भाभी कमरे में बंद थी… जानबूझकर.. हां उनका व्यवहार कुछ ऐसा ही था, परिवार में कोई भी काम पड़े,कमरा बंद करके पड़ी रहती थी।
मम्मी कहती थी कि पहले बेटे का ब्याह हो जाएगा तो घर में बहू आ जाएगी,जो हिलमिल कर,भाग भाग कर ननद के ब्याह के सारे काम संभाल लेगी…
श्रुति ने भाई की शादी के सारे काम संभाले, घर के डेकोरेशन, भाभी की साड़ियों में फाल, गोटा लगाना, चढ़ाव के बक्से को सजाना,तिलक की डेकोरेशन में बड़े से आंगन को सुबह से सजाने में जुट जाना.. ऐसा. बैकग्राउंड सजाना कि सभी फोटो सुंदर, आए….. मतलब अपनी तरफ से कम खर्च और ढेर सारी मेहनत से शादी का इंतजाम ए- वन करना..
आखिर शादी थी बड़े भाई की!!
वो भी ऐसा कि मोहल्ले वाले कह उठे बिटिया तूने अपनी पढ़ाई के साथ किस मेहनत और लगन से सब काम संभाला
कौन कह सकता है कि मां की तबियत ठीक नहीं रहती है।
तो बहू घर में आ गई
अब उसकी बारी थी
नन्द के विवाह में अपने गुणों का प्रदर्शन करने का!
श्रुति अपनी मम्मी के साथ सबके खाने पीने कि इंतजाम कर रही थी।
लड़के की मां बहू को कमरे से बाहर ना निकलते देख कर स्वयं उसके कमरे में चली गई
बहुत देर बातें करती रही
क्या बातें कर रही होंगी
और कुछ दिनों बाद उनकी चिट्ठी आ गई
वैसे आपकी लड़की भी हमें पसंद थी… परन्तु… किसी ने एक और लड़की बता दी है….. कहां हैं कि इससे अच्छी ही शादी होगी तो…. हम लोग उसे ( भी) देखकर जवाब देंगे
पापा समझ गए थे… यहां विवाह नहीं हो पाएगा
मगर किसने बताया?… कौन सी लड़की है?
कुछ ही दिनों में पता चला, भाभी के मायके उनकी छोटी बहन को देखने गए थे
तो यह सब बातें कर रहे थी भाभी कमरे में
अपने भाई से कहा लड़का अपर डिवीजन क्लर्क है
कमाता – खाता लड़का है
मतलब सरकारी नौकरी है… तुम दौड़ धूप कर शादी तय कर लो….इनकी लड़की किस लायक है और कहां शादी होगी.. देखते हैं
क्यों किया यह सब?….
जबकि पापा कब से दौड़ रहे थे
मम्मी -पापा दुखी थे…. अब घर की बहू ही ननद की तय शादी में ऐसे अड़ंगे लगाएगी तो क्या होगा?
फिर भी पापा ने कहा , कोई बात नहीं, उन्ही की लड़की की शादी हो जाए
हमारी लड़की की किस्मत में जो लिखा होगा, सामने आएगा
मतलब अपने ही परिवार के बनते काम में टांग अड़ाई जाती है क्या
फिर पता चला उन लोगों की बात भी नहीं बनी
मतलब दोनों घर की लड़कियों का विवाह वहां नहीं हुआ
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समय बीता और श्रुति को घर संभालते हुए देख कर कोई घर आया सज्जन व्यक्ति स्वयं आगे बढ़ कर विवाह का प्रस्ताव दे गया।
वो दोनों पति-पत्नी घर किसी अन्य काम से आए थे
श्रुति ने घर का काम संभालते हुए उन्हें स्नेह और सम्मान से नाश्ता, भोजनादि कराया
वो उसके गुणों से प्रसन्न होकर हाथ मांग कर चले गए।
भाभी तो मायके गई हुई थीं
उन्हें आने पर पता चला कि कहीं विवाह तय हो गया है।
उनका असहयोग पूरे विवाह कार्यक्रम में भी रहा।
मतलब श्रुति ने अपने विवाह की समस्त तैयारी भी स्वयं की
जैसे गेहूं – चावल बिन कर रखना, साड़ियों में फाल लगाना,सामान पैक करना
इसमें नया क्या था?
यह सब तो वह अपने भाई के विवाह में भी कर रही थी?
अलग ये था कि मां बेटी ने यह भ्रम पाल रखा था कि उसकी शादी के पहले बहू आ जाएगी और सब संभाल लेगी
तो अब वो विवाह के पहले तक सभी काम कर के भाग रही थी
लोग कहते थे कि बेटी से कितना काम करा रहे हैं?
जिसपे से डर ऊपर से था कि भाभी अपनी चतुर चालों से किसी काम में अड़ंगा ना लगा दे
भाभी तो कह भी रही थी सबसे…. अच्छा है इतनी पढ़ी लिखी लड़की को विवाह के नाम पर कहीं छोटी सी जगह में झोंका जा रहा है
जो किस्मत में लिखा है
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आज श्रुति के पति उच्चाधिकारी है!!…. अपनी मेहनत,लगन के बल पर
तो मैंने क्यूं लिखी यह कहानी?
बस इतना बताने के लिए कि उस समय श्रुति की भाभी ने वो … उस समय… टांग अड़ाने का काम ना किया होता तो…..
आज वो अपने पति के साथ इस मुकाम पर होती क्या?
अरे कभी कभी ऐसे… टांग अड़ाने वालों का धन्यवाद भी देना बनता है!!
क्योंकि वो आपको किसी गलत जगह पर जाने के बजाय…. आपके लिए श्रेष्ठ / उत्तम मार्ग का रास्ता खोलने में मदद करते हैं,
हमारी बात कैसी लगी, अपने लाइक कमेंट में बता दीजियेगा
धन्यवाद ,
शीर्षक – बात में दम तो है!
सर्वाधिकार सुरक्षित
पूर्णिमा सोनी
मुहावरा प्रतियोगिता # टांग अड़ाना