बंटवारा – रश्मि प्रकाश : short story with moral

Moral Stories in Hindi : माँ अब हमें साथ में नहीं रहना… हम दोनों भाइयों में बंटवारा कर दो … हम अपने हिस्से में आराम से रहना चाहते हैं ।” महेश ने थोड़े ग़ुस्से में कहा “ पर बेटा अभी तेरी शादी को दो महीने भी ना हुए और तू अलग होने की बात करने लगा…जरा सोच कर तो देख तेरे बाबूजी ,भैया भाभी और तो और तेरे प्यारे भतीजे भतीजी तेरे बिना कैसे रहेंगे ।” कुंती देवी बेटे की बात सुन सदमे में आ बोली “ बस मैंने कह दिया ना अब बँटवारा होगा तो होगा ।” महेश आज रौ में बोले जा रहा था

“ ये आप कैसी बातें कर रहे हो देवर जी..ऐसा क्या हो गया जो आप अलग होने की ज़िद्द पकड़कर बैठ गए हो…किसी ने कुछ कहा है क्या बताइए तो सही.. कोई दिक़्क़त होगी तो हम सुलझाने की कोशिश करेंगे पर ये बँटवारे की बात आप मत कीजिए… बाबूजी और भाई का तो सोचिए ।” भाभी लता ये सब सुनकर बोली उसकी आँखों मे भी आँसू थे

“हाँ माँ जी आप हमें अलग कर दीजिए… मुझसे पूरे घर का काम अकेले नहीं होगा… आप सब बड़े बस हुक्म करोगे मैं छोटी बहू हूँ तो सब मुझे ही करना पड़ेगा… मैं नहीं कर सकती…इसलिए हमें अलग होना।” महेश की पत्नी ( तनु) घूंघट सिर पर रखे आ कर बोली

“ ये क्या कह रही है बहू … किसने कहा तुमसे कि सब काम तुम्हें ही करने पड़ेंगे… लता और मैं क्यों तुम पर हुक्म बजाएँगे…सब मिलकर काम करेंगे तुम चिन्ता मत करो।”कुंती देवी ने कहा

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“ सब समझ आ गया माँ जी … ये ना पड़ोसन मंजू का काम है… वो दो तीन दिन से लगातार हमारे घर आ रही है और छोटी के कमरे में जाकर उसे पट्टी पढ़ा रही हैं… अरे तनु तुम भी ना कान की इतनी कच्ची हो… किसी पराए की बात सुन अपनों से ही दूरी बनाने चली…वो खुद वैसी है.. अपने घर में कलह कर के रखी…महेश आप समझाइए तनु को… माँ ने को हमेशा मेरी मदद की है फिर मैं तनु की मदद कैसे नहीं करूँगी… अकेले घर सँभालना आसान नहीं है रे छोटी… हम बहनों जैसे मिलकर रहेंगे…एक बार मेरा भरोसा कर के तो देख।” लता तनु का हाथ पकड़कर बोली

“ भाभी सही कह रही है तनु मैं तुम्हें बोल रहा था ना कि वो मंजू भाभी घर घर जाकर आग लगाती रहती और जो कान के कच्चे होते वो आसानी से बात मान अलग हो जाते ….जब तुम मेरी बात मान ही नहीं रही थी तो मुझे माँ से कहना पड़ा…अभी भी कह रहा हूँ माँ और भाभी की बात पर भरोसा करो उस परायी पड़ोसन पर नहीं ।” महेश तनु को समझाते हुए बोला

“ आप सच कह रही है दीदी… मुझे अकेले ही सब काम नहीं करने कहेंगी ना… नहीं तो फिर..!” तनु सिर झुकाए बोली

“ नहीं मेरी छोटी बहन अपनी दीदी का भरोसा कर…और हाँ एक बात और ….किसी की बात पर आसानी से भरोसा करने से पहले एक बार जाँच परख ले.. नहीं तो कान के कच्चे लोगों का सब कुछ बर्बाद होते वक्त ना लगता।” कहते हुए लता तनु को गले से लगा ली

तनु को भी लग रहा था दो महीने में कभी ऐसा नहीं लगा कि उसके उपर बहुत ज़िम्मेदारी आ गई हो…मैं भी ना कहाँ मंजू भाभी की बातों में आकर अपने अच्छे भले ससुराल में दीवार खड़ी करवाने जा रही थी ।

स्वरचित

रश्मि प्रकाश

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