घटिया औरत – मंजू ओमर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : आज रश्मि के घर में घर की बहू लक्ष्मी का आगमन हुआ। रश्मि फूली नहीं समा रही थी। बेटे के लिए जैसी बहू की कल्पना की थी नेहा ,बहू उससे भी बढ़कर मिली , पढ़ी-लिखी , सुंदर,और संस्कारों से सजी क्यों कि परिवार अच्छा संस्कारी था । 

रिसेप्शन में सब मुझे बधाइयां दे रहे थे मधु बहू बहुत अच्छी है और बहुत सुंदर भी ,मधु का मन गदगद हुआ जा रहा था ।एक ही बेटा था बड़े अरमान थे मधु कोहरा समय सोचती रहती थी खूब अच्छे से रखूंगी आप अपने बहू को ,बहू नहीं मैं तो बेटी बनाकर रखूंगी ।

और कौन है घर में खूब हंसी ख़ुशी जीवन बीतेगा।मधु ने अपने सांस की बहुत तल्ख़ियां बर्दाश्त की थी । पहले ऐसा होता भी था कई की बहुएं होती थी एक से झगड़ा हुआ तो दूसरे के पास चली गई और सांसों का रुतबा भी खूब होता था।पति महोदय भी कुछ नहीं बोल सकते थे अपनी मां के आगे ।

 लेकिन मधु ने सोंच रखा था कि मैं अपनी बहू को परेशान नहीं करूंगी मेरी सांस ने तो मुझे बहुत परेशान किया  ।मधु ने बहू के आते ही उससे कहा मेरी सांस ने तो बहुत परेशान किया था मुझे लेकिन हम दोनों सांस बहुएं खूब हंसी खुशी रहेंगी। जबकि बहू को मधु के पास ज्यादा दिन रहना नहीं था क्योंकि बेटा गुड़गांव में नौकरी करता था कुछ दिनों की छुट्टी पर आए थे फिर तो दोनों चले जाएंगे ।

            लेकिन ये क्या मधु के मन का तो कुछ भी नहीं हुआ ।एक हफ्ते बाद बेटे और बहू चले गए । लेकिन यहां से चले जाने के बाद बहू का कोई फोन वगैरह नहीं आता था ।और जब मधु फोन करती थी तो उठाती ही नहीं थी ।

मधु ने बेटे से शिकायत की की नेहा फोन नहीं उठातीं तो वो भी आनाकानी करके बात टाल देता था । फिर दो महीने बाद होली का त्योहार आया फिर बहू बेटा घर आए ,पहला त्योहार था तो मधु ने एक सुंदर सी साड़ी खरीद कर रखी थी जब वो नेहा को दी तो मुंह बिचका कर बोली ये क्या मम्मी आप पुराने डिजाइन की साड़ी खरीद कर रख लेती हो पहनना मुझे है कि आपको मुझे पसंद करके लिया करिए नहीं तो न लिया करिए । उसके इस रवैए से मधु अवाक रह गई। त्योहार के बाद दोनों चले गए । उनके जाने के बाद अचानक से मधु के पति को हार्ट प्राब्लम सामने आ गई डाक्टरों ने कहा इन्हें दिल्ली ले जाना पड़ेगा ।

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बेटा बहू गु़डगांव में ही रहते थे मधु पति को लेकर दिल्ली गई डाक्टरों ने चेकअप के बाद पेसमेकर लगाने की सलाह दी ।

          दो तीन दिन तो ठीक रहा लेकिन फिर बड़ा अजीब रवैए हो गया बहू का वो तो कमरें से बाहर ही नहीं निकलती थी घर में खाना नास्ता सबकुछ मधु को ही करना पड़ता ।पति को अस्पताल में भर्ती करा दिया । बड़े अस्पतालों में पेशेंट के साथ किसी को रहने की जरूरत नहीं होती मरीज की देखभाल और खाना पीना सब वही से होता है । 

मधु यहां घर पर दिनभर लगी रहती ,बहू दिनभर कमरे में ही रहती आराम से पड़ी रहती ‌एक दिन कुछ सामान रसोई का खत्म हो गया था तो मधु ने बहू से कहा कम से कम इतना तो देख लो क्या सामान खत्म हो गया है बाजार से मंगवा लो तो वो तपाक से बोली ये काम आपका है मेरा नहीं । मैंने सोचा क्या मैं इनके घर की नौकरानी बनने आई हूं ।

जब से आई हूं एक कप चाय भी बना कर नहीं दी । धीरे धीरे मधु के सपने टूटने लगे ।सोंचना लगी बहू तो बहुत संस्कारी लग रही थी ये क्या हो गया ।असल में बहू का परिवार तो बहुत अच्छा था लेकिन की सालों से नेहा पढ़ाई के चक्कर में घर से बाहर रही है तो घर की जिम्मेदारी से और घर के कामों से मुक्त हो गई है उसको घर के कामों में या घर की जिम्मेदारी में कोई दिलचस्पी नहीं है।,बस बाहर से खाना आर्डर करो और पढ़ें रहो आराम से ।

           फिलहाल आपरेशन करा कर मधु पति के साथ वापस घर आ गई । वहां पर बेटे ने नेहा से कुछ कहा होगा कि मम्मी आई थी तो तुमने कोई काम नहीं किया मम्मी की हेल्प नहीं की , इस बात पर दोनों में कहासुनी हो गई । 

दूसरे दिन बहू ने मधु के मोबाइल पर मैसेज किया कि बहुत घटिया औरत है आप बेटे के कान भर गई मेरे खिलाफ ,मेरा घर तोडने आई थी आप मैने काम नहीं किया तो क्या होगया मेरी काम वाम करने की आदत नहीं है । आपने भी तो सिर्फ खाना ही तो बनाया जो अपने घर करतीं थीं वहीं यहां किया इसमें इतना बबाल मचाने की क्या जरूरत थी  मधु पर तो जैसे घड़ों पानी गिर गया हो। 

जबकि उसने बेटे से कुछ नहीं कहा था । आपरेशन के बाद छुट्टी हो जाए तो मैं अपने घर चली जाऊं यही सोच कर मधु चुपचाप वहां से चली आई थी लड़ाई झगडे से बचने की खातिर । लेकिन ऐसा होगा उसने सोंचा न था ।बहू के मन में हमारे लिए कोई आदर भाव ही नहीं है तो ऐसे रिश्ते का क्या महत्व आज मेरी बहू मेरे आंखों से गिर गई थी ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

30 अगस्त 23

सच्ची घटना पर आधारित कहानी है ।

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