एक बार फिर (भाग 13) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : शेखर प्रिया को अपने साथ शॉपिंग पर ले जाता है।

तभी प्रिया की दी का फोन आता है प्रिया फोन रिसीव करती है अब आगे-
भाग-१३👇👇👇👇👇
हैलो दी दी क्या हुआ आप रो क्यों रहे हो??? शेखर ने गाड़ी रोक दी।
प्रिया तेरे जीजा जी को हार्ट अटैक आया है। उन्हें उनके ऑफिस से हास्पिटल ले ग‌ए हैं। मैं भी जा रही हूं।
दी प्लीज आप रोना बंद करो बच्चे भी स्कूल से आने वाले होंगे कहते हुए प्रिया का गला भर आया। मैं भी वहां पहुंचती हूं।
वो दोनों हास्पिटल पहुंच ग‌ए। निभा दी चुपचाप एक कोने में बैठी रो रही थीं। रोते रोते उनकी आंखें सूज गई थी।
प्रिया दी के पास पहुंची और बुरी तरह रो पड़ी। तभी शेखर ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे उठने को कहा खुद दी की बगल में बैठ गया। दीदी जीजा जी को कुछ नहीं होगा आप शांत हो जाएं। शेखर हमारा इनके सिवा कोई नहीं है। मैं इनके बिना जी नहीं पाऊंगी मर जाऊंगी दी की हिचकियां बंध गई।
तभी हास्पिटल स्टाफ ने कहा आपको कुछ पेपर साइन करने होंगे ऑपरेशन करना पड़ेगा।
शेखर दी को लेकर चला गया प्रिया वहीं बैठ गई।
शेखर को आया देख हास्पिटल के डायरेक्टर डाक्टर मेहता ने तुरंत सारी फॉर्मेलिटीज पूरी करवाई सर आप चिंता मत कीजिए ये केस मैं खुद हैंडिल करूंगा।
शेखर ने अपने घर पर फोन कर दिया था उसके पापा आ गए थे।
ऑपरेशन हुआ। डाक्टर्स ने कुछ घंटे अहम बताए।
अपने पापा को घर भेजने के बाद शेखर ने प्रिया से कहा प्रिया दीदी को लेकर घर जाओ। बच्चे परेशान हो रहे होंगे।
दीदी आप थक गई होंगी आप घर जाइए।
नहीं शेखर मैं कहीं नहीं जाऊंगी। दी बेहद उदास थी।
मैं यहां रूकूंगा।
तुम रूकोगे??? तुम घर चले जाओ शेखर तुम बहुत बिजी रहते हो आज सारा दिन हमारे साथ रहकर थक ग‌ए हो।
दी आप बच्चों को देख आओ। बच्चे बहुत छोटे हैं। मांजी भी परेशान हो ग‌ई होंगी। फैमिली सपोर्ट के लिए होती है।
एंड ऑफ्टर ऑल वी आर फैमिली
प्रिया और दीदी को घर भेज कर शेखर वहीं रूक गया।
प्रिया दी को लेकर घर पहुंची। बच्चे सो चुके थे।
दी की सासू मां मंदिर में बैठी हुई माला जाप रही थीं।
प्रिया और निभा को देख कर उनके आंसू बहने लगे। कैसा है राजेश ??? निभा कैसा है मेरा बच्चा???
निभा सासू मां के गले लग कर रो पड़ी। तभी प्रिया ने बात संभाली मां जीजा जी अब ठीक हैं ऑपरेशन हो गया है।
निभा मुझे भी राजेश को देखने जाना है। मां ‌मैं कल सुबह ले चलूंगी आपको प्रिया ने सांत्वना देते हुए कहा।
दी बच्चों के कमरे में चली गईं बच्चों के सिर सहलाते हुए रोने लगी।
प्रिया चुपचाप खड़ी देखती रही।
अचानक से दी तेजी से बाहर आई प्रिया मुझे वापस हास्पिटल जाना है।
मैं उन्हें ऐसे अकेला नहीं छोड़ सकती। दी आपकी तबीयत खराब हो जाएगी। मैं चली जाती हूं आप बच्चों के साथ रहो सुबह मैं आऊंगी तब आप जाना। दी इस समय हम सबको हिम्मत रखनी होगी।
प्रिया वापस हास्पिटल चली गई। जीजा जी आईसीयू में थे। शेखर बाहर रेस्ट रूम में आंखें बंद किए‌ लेटा हुआ था। सुनिए! प्रिया ने धीरे से उसे हिलाया। उसने चौंक कर आंखें खोल दीं। अरे तुम वापस क्यों आईं?? तुम्हें
दीदी के साथ रहना चाहिए वो इस समय बहुत तकलीफ में हैं।
आप घर चले जाइए सुबह सुबह से थक ग‌ए हैं।
इस समय यहां पर होना ज्यादा जरूरी है। कोई भी जरूरत पड़ सकती है अभी जीजा जी को होश नहीं आया है।
थैंक्स !
किस बात के लिए??? मैं भी अब इस फैमली का हिस्सा हूं।
रिश्ते वैसे भी दिल से निभाएं जाते हैं। शेखर गंभीर था।
आप कॉफी लेंगे।
तुम बैठो मैं मंगवा देता हूं।
कॉफी पीते हुए प्रिया चोरी से शेखर को देख रही थी।
कितना थक गया है।
आप सो जाइए मैं बैठी रहूंगी। वो कुछ नहीं बोला आंखें बंद करके लेट गया।
सोते हुए कितना मासूम लग रहा है। उसका मन हुआ कि उसका सिर सहला दे पर उसने अपने जज्बातों पर लगाम लगा दी।
आखिरकार सुबह पांच बजे जीजा जी को होश आ गया।
डाक्टर मेहता ने बताया अब पेशेंट खतरे से बाहर है।
शेखर और प्रिया के चेहरे खुशी से चमक उठे। दी भी सुबह हास्पिटल पहुंच ग‌ई। रोते हुए उन्होंने प्रिया को गले लगा लिया। दी अब सब ठीक है। डाक्टर से बात करने के बाद दी ने प्रिया से कहा
प्रिया तुम घर जाओ शेखर तुम भी।
ठीक है दी मैं बच्चों को देख लूंगी।
वो और शेखर दोनों बाहर आ ग‌ए। चलो तुम्हें घर छोड़ दूं।
‌ प्रिया गाड़ी में बैठ गई।
शेखर चुपचाप ड्राइव कर रहा था।
क्या सोच रही हो??? कुछ नहीं उसकी आंखें भर आईं। दी और जीजा जी मेरे लिए सब कुछ हैं। मां के जाने के बाद जीजा जी और उनकी मां ने मुझे कभी परिवार की कमी महसूस नहीं होने दी।
देखो जो किस्मत में होता है वो कोई नहीं रोक सकता। पर अब सब ठीक हो जाएगा।
दीदी के सामने इमोशनल मत होना। वो वैसे ही‌ इतनी परेशान हैं।
प्रिया उसकी बातें सुन रही थी।आज उसका मन था कि वो बस कहता रहे।
घर पहुंच कर उसने कहा ब्रेकफास्ट करके जाइए।
नहीं मैं चलता हूं घर जाकर नहा धोकर ब्रेकफास्ट करूंगा।
बारह बजे एक बहुत जरूरी कान्फ्रेंस अटैंड करनी है।
कुछ देर आराम कर लेंगे तो फ्रैश फील होगा। रात में भी आराम नहीं मिल पाया।
कुछ भी प्राब्लम हो तो कॉल करना शेखर ने कहा
उसके जाने के बाद प्रिया अंदर आई उसने दो कप चाय एक कप दी की सासू मां को दे कर उनके साथ बैठ गई।
मां अब जीजा जी को होश आ गया है। मैं आपको अस्पताल ले जाऊंगी।
तैयार होते हुए प्रिया शेखर के बारे में सोच रही थी। आज दिन में उसे कान्फ्रेंस अटैंड करनी है और रात भर भी अनकम्फर्टेबल रहा है।
वैसे है तो बहुत केयरिंग।
कल उसका बिहेवियर बिल्कुल चेंज था। मैं तो उसे एक बिगड़ा हुआ जिद्दी र‌ईसजादा समझती थी। पर कल वो बिल्कुल अलग लग रहा था।
उसका मनमौजी स्वभाव परेशान करता है पर जब उसने हमदर्द बन कर हाथ थामा तो सारी जिम्मेदारी उठा ली।
सचमुच वो‌ मेरी सोच बदलने लगा है।
जब वो अस्पताल पहुंची तो वहां शेखर की मम्मी आई हुई थीं उसने उनके पैर छुए।
दी की सासू मां अस्पताल में बहुत भावुक हो कर रो पड़ीं।
अब सब कुछ ठीक हो गया है। आप परेशान न हों शेखर की मां उन्हें सांत्वना देने लगीं।
अभी थोड़ी देर में राजेश जी से मिलने देंगे। डाक्टर मेहता आए और उन्होंने कहा कि आप में से कोई एक पेशेंट से मिल सकता है पर सिर्फ थोड़ी देर के लिए। मां और दी एक दूसरे की तरफ देखने लगे। तभी प्रिया ने कहा कि ‌दी पहले मां मिल लेंगी। फिर मैं मां को लेकर घर चली जाऊंगी।
मां को अंदर भेज कर प्रिया शेखर की मम्मी को कहने लगी आप बैठ जाइए मम्मी।
शेखर की मम्मी ने प्यार से उसे अपने पास बैठा लिया।
निभा दी की आंखों में अब भी आंसू थे। प्रिया ने प्यार से दी के आंसू पोंछ लिए। बस दी अब नहीं रोना है। जीजा जी देखेंगे तो बहुत नाराज हो जाएंगे।
मां और बच्चों को आपको ही संभालना है। प्रिया सही कह रही है निभा शेखर की मम्मी बोलीं।
प्रिया सोच रही थी वो अस्पताल से घर पहुंच कर शेखर को फोन करेगी। तब तक उसकी कान्फ्रेंस भी खत्म हो जाएगी।
क्रमशः

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