खामोश आंसू ..!! – अंजना ठाकुर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

आज आरती बाजार मै सामान लेने गई फूट पाथ पर उसी औरत को देखा जो औरतों के श्रृंगार का सामान बेचती है आरती के मन मै एक साथ हजार सवाल उठ गए

अभी पांच  दिन पहले ही इसके पति का देहांत हुआ है ।इतनी जल्दी दुकान भी लगाने लगी कैसी औरत है पति से ज्यादा पैसों से प्यार है और दिखावा तो इतना करती थी की जाने कितना प्यार है और ना जाने क्या क्या सोच कर दिल नफरत से भर गया ।

फिर मन मै सोचा मुझे क्या करना ,लेकिन दूसरे ही पल सोचा एक बार  उसे सुना तो दूं की वैसे तो बड़ी  पतिव्रता बनती है और आरती उसकी तरफ चल दी

आरती को इस शहर मैं आए तीन साल हो गए उसके घर के पास ही बाजार मै कुसुम ठेले पर सामान बेचती है ।

आरती नई थी बाजार जा पता नही थी कुसुम से सामान लेते हुए जानकारी ली कुसुम अपनी बात से सबको प्रभावित कर लेती थी और सामान भी अच्छा रखती थी इसलिए अधिकतर औरतें दुकान छोड़ कर कुसुम से ही सामान लेती थी।

आरती से कोई बात करने वाला नही था तो कुसुम से ही बात करके मन हल्का कर लेती बातों बातों मैं उसने बताया की महेश उसके पति से उसने भाग कर शादी करी थी तो अब मायके और ससुराल के लोग उस से बात नही करते महेश  मकान बनाने का काम करता है दो बच्चे है

खर्च ज्यादा होता है तो मैने दुकान लगा ली महेश और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते है वो तो काम करने की मना करता है लेकिन परिवार भी देखना है इसलिए मजदूरी की जगह इस काम की इजाजत दी है मैं थोड़ा बहुत पढ़ी भी हूं तो हिसाब कर लेती हूं ।

आरती भी दिलचस्पी लेती अपने बारे मैं भी उसको बताती ।

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एक दिन रात के समय गई तो उसने देखा महेश

चाय बनाकर लाया है और कुसुम से बोला मैंने खाना भी बना दिया है

आरती को बहुत आश्चर्य हुआ की इनमे तो आदमी मै बहुत अहम होता है पर ये घर का काम भी कर रहा है और पत्नी का साथ भी दे रहा सचमुच दोनो बहुत प्यार करते है कुसुम उसको देख बोली दीदी ठेला तो रोज यही लाते और ले जाते है और काम नही मिलता जब तो घर भी सम्हाल लेते है काम करने के बाद भी बहुत मदद करते है हमारी शादी को पंद्रह साल हो गए ।

आरती बोली नजर नहीं लगे किसी की तुझे।

आज बाजार गई कुसुम का ठेला नही दिखा तो पता चला उसका पति जो मकान बना रहा था वहां से गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई।

आरती की आंख मैं आंसू आ गए एक रिश्ता जुड़ गया था सोच रही थी कैसे रहेगी कुसुम कितना प्यार था दोनों मैं कैसे सम्हालेगी 

और आज देखा तो समान बेचते हुए तो उसे गुस्सा आया कुसुम के ठेले के पास आ कर देखा तो उसकी आंख सूजी हुई थी चेहरा उदास था पर ग्राहक को सामान दे रही थी जब सब ग्राहक चले गए तो आरती को देख रो पड़ी पर आरती को वो आंसू बनावटी लगे उसने कहा कुसुम अभी पांच दिन भी नही हुए तेरे पति को गए और तुझे पैसा कमाने की पड़ी है मैं तो सोच रही थी की दुख मै तू महीनों बाहर नही निकलेगी और लोगों का सोचा है क्या कहेंगे ।

कुसुम बोली मेरा दुख मैं ही जानती हूं और दिल सबका दुखता है पर क्या करूं मजबूरी है ।हम इतने अमीर नही है की महीनों बैठ कर खा ले जो पैसा जुड़ा था वो इनके क्रिया कर्म मैं खर्च हो गया ठेकेदार ने थोड़े बहुत दिए बोला उसकी ही गलती थी अब बच्चों को भूखा नही देख सकती और कोई का सहारा भी  नही है अब दीदी जिसको जो सोचना है सोचे पर मुझे तो बच्चों का सोचना है ।

आरती को अपने उपर ग्लानि हुई क्या सोच  रही थी सच है दिल तो सबका दुखता है अपनों को खोने के बाद पर  जिम्मेदारी आंसू सुखा देती है।

आरती ने उसे कुछ रुपए दिए की जरूरत पड़ेगी

और चल दी पर अब उसकी सोच बदल गई थी ।

स्वरचित

 

मौलिक/अप्रकाशित

#आँसू

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