कौन सा घर है मेरा – प्राची लेखिका : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : तनीषा की शादी को 10 वर्ष हो गए हैं। अपने परिवार में खूब खुश हैं। दो प्यारी सी बच्चियाँ आराध्या और आरोही हैं। परिवार में सब उसे खूब प्यार करते हैं। उसका पति मृदुल भी उसकी खूब इज्जत करता।

घर धन संपन्न है इसलिए तनीषा को अपने पैरों पर खड़ा होने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं हुई। काम तो हम सब महिला ही करती हैं बस फर्क इतना है कि गृहणी के काम का कोई मेहनताना नहीं मिलता। आर्थिक गतिविधियों में अधिकांश महिलाओं का योगदान शून्य ही रह जाता है।

एक दिन दोपहर को लेटे-लेटे मोबाइल पर टाइम पास कर रही थी।उसके मोबाइल में कुछ फ्रेंड रिक्वेस्ट पड़ी थी। उसने खोलकर देखा तो एक फ्रेंड रिक्वेस्ट देखकर उसे कुछ याद आ गया।

मोहित, जो उसके कॉलेज में पढ़ता था। उसे 2 साल सीनियर। मोहित लंबी कद काठी, आकर्षक युवक था। वह तनीषा को प्यार भरी निगाह से देखता। पहले तो तनीषा दरकिनार करती रही किंतु धीरे-धीरे दोनों की नजरें चार हो गई।

ऐसी बातें छुपती कहाँ है? कॉलेज में और लोगों को भी उनके प्यार के बारे में पता चलने लगा।

धीरे-धीरे बात घर तक पहुंच गई। घर पर उसके विजातीय लड़के से प्रेम प्रसंग की बात सुनकर कोहराम मच जाता है।

चाची चिल्लाते हुए कहती है, “मैं मना करती थी ना मत पढ़ाओ पर मेरी बात सुनता ही कौन है? अब देखो कितनी बदनामी करा दी घर की।”

तनीषा रोए जा रही थी। घर के सभी लोग उसे ऐसे घूर रहे थे मानो उसने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो।

उसके पापा को तो बहुत बड़ा झटका लगा। वह तो एकदम सुन्न हो गए।

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मम्मी रो रो कर घर भर रही थी। उसका भाई इज्जत की दुहाई दे रहा था।

सबका ऐसा बर्ताव देखकर एक अच्छी बेटी की तरह उसने अपने प्यार से किनारा कर लिया।

कुछ दिन बाद घर वालों ने एक अच्छा रिश्ता देख कर उसकी शादी तय कर दी। शादी के बाद वह अपने घर परिवार में खूब रस-बस गई।

फेसबुक पर आज उसका अकाउंट देख कर यादें ताजी हो गई है। लेकिन उसने मर्यादा नहीं लांघी। उसने उसकी फेसबुक रिक्वेस्ट को डिलीट कर दिया। और अपने मन से उसकी यादों को भी।

अपनी रोजमर्रा के कार्यों में व्यस्त हो गई। एक दिन उसका पति उसका मोबाइल चला रहा था। मैसेंजर पर किसी का मैसेज देख कर वह आग बबूला हो गया।

वह तनीषा को जोर से आवाज लगाता है। तनीषा भागी हुई आती है। कहती है क्या बात हो गई?

मृदुल पूछता है,यह मोहित कौन है?

तनीषा को ‘काटो तो खून नहीं’ वाली स्थिति हो जाती हैं।

वह डर के मारे रोते-रोते सब बता देती हैं।

पर मृदुल उसकी बात सुनकर सहन नहीं कर पाता। उसका व्यवहार एकदम बदल जाता है। वह तनीषा पर हाथ उठा देता है और गाली गलौज भी करने लगता है।

घर के सभी लोग उनके कमरे में आ जाते हैं कि पता नहीं क्या बात हो गई?

मृदुल सभी को तनीषा और मोहित के बारे में बताता है और तनिषा से तुरंत इस घर से निकल जाने के लिए कहता है। घर के लोग उसे समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह किसी की नहीं सुनता।

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तनीषा सब से माफी मांग रही होती है किंतु सभी का व्यवहार उसके प्रति बदल जाता है। तनीषा सोचती है कि इस #घर आंगन को उसमें कितने प्रेम से सींचा है।

एक क्षण में ही उसे इस घर आंगन से पराया कर दिया जाता है।

मृदुल तुरंत उसके पापा और भाई को बुलाकर उसे ले जाने के लिए कहता है।

उसके मायके वाले कुछ समय बाद ही आ जाते हैं।

उसके ससुराल वालों द्वारा उन्हें बहुत सुनाया जाता है। उसके पापा सब से माफी मांगते हैं। लेकिन अब घर परिवार का रवैया उसके और उसके मायके वालों के लिए बिल्कुल बदल जाता है।

उसके पापा और भाई बुझे मन से उसे घर ले आते हैं। बेटियों को मृदुल अपने पास रख लेता है।

मृदुल कहता है,”चरित्रहीन माँ बच्चियों को भी बिगाड़ देगी।”

तनीषा रास्ते भर रोती रही। घर आकर माँ से चिपट जाती है।

उसकी मम्मी उसको गोद में भर लेती हैं।

दो-चार दिन तो सभी लोगों से सहानुभूति दिखाते हैं।

एक दिन वह फ्रिज से पानी लेने गई तो सुनती है कि उसकी भाभी अपने कमरे में उसके भैया से कह रही होती है,”ऐसे कब तक रहेगी तुम्हारी बहन यहाँ? हमारा अपना भी तो खर्च हैं।”

तनीषा के लिए अप्रत्याशित थी यह बात। फिर 1 दिन उसकी मम्मी उसे दिलासा देते हुए कहती हैं,”बेटी, दामाद जी का गुस्सा दो-चार दिन में ठीक हो जाएगा। फिर अपने घर चली जाना। आखिर तुम्हारी बेटियां भी तो वहीं पर हैं।”

तनीषा सोचने लगी कौन सा घर?

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एक बेटी जन्म लेती है। हंसते मुस्कुराते हुए बड़ी होती है। और एक दिन धान के पौधे जैसी दूसरे घर में रोप दी जाती है। पर बेटियां फिर भी मजबूत होती हैं। जमा लेती हैं अपनी जड़े दूसरे घर आंगन में भी। और इतना घुल मिल जाती हैं कि मायके मैं मेहमान के जैसी हो जाती हैं।

लेकिन यह क्या? उसकी एक अतीत की भूल की इतनी बड़ी सजा। एक मिनट में उसे उस घर आंगन से पराया कर दिया गया।

क्यों उससे कह दिया जाता है,”चली जा अपने बाप के घर।”

कहते हैं स्त्री के बिना घर नहीं होता पर कौन सा घर होता है स्त्री का?

एक स्त्री का मंथन———-? कौन सा घर हैं मेरा?

सर्वाधिकार सुरक्षित

स्वरचित मौलिक

प्राची लेखिका

खुर्जा उत्तर प्रदेश

#घर-आंगन

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