अधूरी ख़्वाहिश जो पूरी हुई : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : स्वाति जी अपने छोटे बेटे बहू और पोते के साथ मिलकर होटल में खाना खाने पहुँची । अपने जीवनकाल के दौरान उन्होंने कभी भी होटल में क़दम नहीं रखा था । लेकिन पोते की जिद की वजह से उन्हें आज आना पड़ा । वे छुई मुई सी कोई देख लेगा तो क्या होगा जैसे बैठी हुई थी । 

सामने से वेटर एक ट्रे में खूबसूरत केक लेकर जा रहा था । उसे देखते ही उन्हें ऐसा लगा कि जैसे किसी ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो । 

वे अपने यादों में खो गई थी । बच्चे आर्डर देने में व्यस्त हो गए थे । 

स्वाति जी के पिता गाँव के ज़मींदार थे । उनकी अकेली संतान होने के कारण वे सबकी लाड़ली थी । उनकी हर ख़्वाहिश बिन माँगें पूरी हो जाती थी । उनका जन्मदिन तो त्योहार के समान मनाया जाता था । 

पिता के अकस्मात् मृत्यु के बाद माँ ने अकेले ही उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया था । चाचा ने धोखे से माँ की साइन कराकर सारी जायदाद हड़प ली थी ।

उन्होंने याद किया कि पिता की मौत के बाद मैंने कभी भी जन्मदिन नहीं मनाया था । शादी के बाद तो किसी को याद ही नहीं कि मेरा भी जन्मदिन आता है । 

 चाचा के द्वारा भीख में दी गई थोड़े से पैसों से ही हम दोनों का बड़ी मुश्किल से गुज़ारा हुआ करता था । माँ की अच्छाई के कारण उनकी एक सहेली मेरे लिए एक रिश्ता लाई वे ज़्यादा पैसे वाले नहीं थे । माँ बेटा ही रहते थे । बेटा सरकारी ऑफिस में क्लर्क था । इस तरह से एक मध्यम वर्गीय परिवार में मेरी शादी हो गई । वहाँ माँ बेटा जायदाद के लिए मेरे माता-पिता को कोसते ही रहते थे । 

कुछ साल के अंतराल में मेरे दो प्यारे बेटे हुए जिनके सहारे मैं जीने लगी । उनकी पढ़ाई पर ध्यान देने लगी । उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाना नहीं भूलती थी । मेरी मेहनत समझिए या ईश्वर की कृपा मेरे दोनों बच्चों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और अच्छी कंपनियों में नौकरी करने लगे । बड़े बेटे की शादी के बाद सासु माँ चल बसीं थीं । पति भी रिटायर हो गए थे। कुछ पल अपने लिए बिताएँगे सोचा तो पति की मृत्यु हो गई थी । अब मैं बड़े बेटे के पास ही रहने लगी । 

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बड़ी बहू पढ़ी  लिखी है पर आलस की वजह से नौकरी नहीं करती है । उसे किसके साथ कैसे पेश आना है अच्छे से मालूम है । सासु माँ को अपने पास रखती थी कि उसके घर और बच्चों का काम आसानी से हो जाए । इसी बीच दूसरे बेटे की शादी हो गई थी । 

दूसरी बहू नौकरी करती थी । उसके आते ही छोटे बेटे का तबादला हो गया था तो बहू ने सबके सामने कह दिया था कि माँ हमारे साथ आएँगी । 

बड़ी बहू को धक्का लगा कि घर का काम कौन करेगा । फिर उसने सोचा कि बच्चे तो अब बड़े हो गए हैं।  इनकी कोई ख़ास ज़रूरत नहीं है तो जाने दो उन्हें जहाँ जाना है ज़्यादा दिन रुकी तो बीमार भी पड़ सकती है ।

सासु माँ को बड़े बेटे के पास रहने की आदत हो गई थी इसलिए वे डरते हुए छोटे बेटे के घर पहुँची । उन्होंने जैसा सोचा वैसा नहीं हुआ । यहाँ उन्हें बहुत आराम मिलता था । घर में ही दो नौकर रहते हैं जो घर का सारा काम कर देते हैं । अपनी सोच में डूबी थी कि पोते के पुकारने की आवाज़ सुनाई दी दद्दू चलिए केक काटिए। 

स्वाति आश्चर्य से उन तीनों को देखने लगी तो पोते ने कहा कि हमें कैसे पता चला यह मत सोचिए । 

कल मैं आपके कमरे में कुछ ढूँढने गया था तो मुझे आपकी एक डायरी दिखाई दी थी उसे मैंने माँ पापा को दिखाया था तो हमें पता चला कि आज आपका जन्मदिन है । 

उसी समय बड़ा बेटा बहू और दोनों बच्चे भी आ गए थे । सबने मिलकर केक कटवाया तो स्वाति की आँखों से ख़ुशी के आँसू बहने लगे थे । उसे लगा जैसे उसके पापा उसे आशीर्वाद दे रहे हैं। 

दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसी लगी है । कभी कभी बच्चे ही हमारी अधूरी ख़्वाहिशों को पूरा करने का ज़रिया बन जाते हैं । 

स्वरचित

के कामेश्वरी 

साप्ताहिक विषय— आँसू

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