Moral stories in hindi : आँगन छोड़ शीबा ने ससुराल के घर – आँगन में पाँव रखा। माता पिता की लाडली, भाई- भाभी की चहेती ,अपने घर की रौनक थी वह। कभी दुख का साया भी नहीं पड़ने दिया था उसके अपनों ने उस पर। उसकी आँखों में आँसू कोई नहीं देख सकता था। अपने मित्रों की भी वह प्रिय थी। क्योंकि उसका स्वभाव था ही इतना अच्छा।
हर किसी के दिल में उतर जाती थी। अहंकार तो उसको छू कर भी नहीं गया था। बहुत ही विनम्र, दयालू तथा सहनशील थी वह। इसके साथ वह एक अच्छी विधार्थी भी थी। सदा अच्छे नंबरों से पास होती थी।
इतनी खूबियों के साथ ससुराल मे प्रवेश किया उसने। पर वाह री किस्मत, उसके पति कमल को उसकी ज़रा भी क़द्र नहीं थी। वह जितना कुछ भी करती कमल कुछ न कुछ कमी निकालता रहता। सास अलग ताने देती रहती कि मायके वालों ने दहेज में दिया ही क्या? मेरा बेटा इंजीनियर, उसको तो करोड़ो का फ्लैट और गाड़ी मिलनी चाहिए थी।
सहन करती रही वह सब चेहरे पर मुस्कान लिए। मायके में कुछ नहीं बताती कि उनको दुख पहुँचेगा। विवाह के दो वर्ष बाद वह एक प्यारी सी बच्ची की माँ बन गयी। पर कमल की बेरुखी बढ़ती ही जा रही थी। अब तो उसे पत्नी का चेहरा भी पसंद नहीं आता था।
कहता था मुझे ब्यूटी पार्लर से मेकअप करा के दिखा दिया था पर इसकी असली सूरत तो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। बात बे बात उस पर हाथ भी उठाने लगा था। सास तो हमेशा अपने लाडले बेटे का ही साथ देती ।ससुर जी तो सास के सामने कुछ बोलने की हिम्मत नहीं रखते थे।
हर समय तिरस्कार और बे- इज़्ज़ती सहते सहते थक गयी थी वह। कमल को तो बेटी की भी परवाह नहीं थी। अब तो उसने खर्च के लिए पैसा भी देना बंद कर दिया था और कहता था कि नौकरी में कुछ प्रॉब्लम चल रही है। खुद नौकरी करो और अपना तथा अपनी बेटी का खर्च उठाओ।
एक दो बार शीबा को शक हुआ तो उसने कमल का मोबाइल चेक किया उस पर किसी लवली नाम की लड़की के कॉल और मेसेजेस थे।। जब उसने कमल से पूछा तो वो बड़ी ढिठाई से बोला कि लवली उसकी पुरानी गर्ल फ्रेंड है।और वह शीबा से कहीं अधिक सुंदर है।लवली का अपने पति से तलाक़ हो चुका है।
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उसने स्वीकारा कि वह लवली के साथ घूमता फिरता है और शीबा उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। उसका जो दिल में आयेगा वह करेगा। अब तो वह रोज़ रोज़ घर देर से आता। जब शीबा कुछ पूछती तो उसको मारना शुरू कर देता।थक हार कर शीबा ने दो तीन स्कूल में अपना बायोडाटा डाला और फिर उसे एक अच्छे स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गयी।
उसका आत्म विश्वास बढ़ गया। उसने निर्णय लिया कि वह अब कमल से अलग रहेगी । कब तक वह मर मर कर यहाँ जियेगी। पिता जी ने बहुत कहा मायके में रहने के लिए पर वह तैयार नहीं हुई। शीबा ने एक छोटा सा घर किराये पर लिया और अपनी बेटी के साथ उसने ससुराल का घर आँगन छोड़ दिया।
और वो आत्म सम्मान के साथ अलग घर में रहने लगी।दो वर्ष गुज़र गए। कमल कभी अपनी बेटी से भी मिलने न आता। वह तो लवली के साथ खुश था जो अच्छे से उसे मूर्ख बना रही थी। वास्तव में लवली का अपने पति के साथ तलाक़ हुआ ही नहीं था। बल्कि उसका पति दूसरे शहर में रहता था।
अपने पति के साथ मिल कर वह इसी तरह लोगों को अपनी सुंदरता के जाल में फसांती थी। और फिर सब धन संपत्ति लूट कर दोनों पति पत्नी ग़ायब हो जाते थे। अबकि उसका शिकार कमल बना। उसने कमल से शादी करने का वादा करके धीऱे धीरे उसका सारा पैसा अपने एकाउंट में ट्रांसफर करा लिया ।
तथा उसका नया फ्लैट अपने नाम करा के एक दिन वह अपने पति के साथ विदेश गायब हो गयी। कमल को जब यह सब पता लगा तो वह मुँह पीट के रह गया। उसने तो अपना सब कुछ गवां दिया था। अब उसको एहसास हुआ कि उसने शीबा तथा अपने बेटी का कितना दिल दुखाया है।
शायद उनकी आह ने ही उसका सब कुछ छीन लिया। अब शीबा की सास को भी शीबा का मूल्य समझ आया। उन्होंने कमल को समझाया कि वह शीबा से जाकर क्षमा माँग ले। शीबा बहुत दयालु है वह अवश्य कमल को माफ कर देगी। तथा अब उसे अपनी पत्नी और बेटी को घर ले आना चाहिए।
कमल ने शीबा के आगे हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगी तथा खूब रोया। बेटी को गले लगाया।शीबा ने अपनी बेटी की ओर देखा। उसे लगा कि अपनी बेटी के लिए उसे कमल को क्षमा कर देना चाहिए। पर वो मन ही मन में सोच रही थी कि क्या वह वास्तव में कभी कमल को दिल से माफ़ कर पायेगी।
शायद काफ़ी समय लगेगा कमल के दिये घावों को भरने में। भारी मन से अपनी बेटी के साथ फिर उसने पति के साथ उसके घर आँगन में प्रवेश किया फिर से एक अंजान सफ़र पर चलने के लिए इस आशा के साथ कि अब उसका पति कभी उसका साथ नहीं छोड़ेगा।
लेखिका: महजबीं