Moral stories in hindi : सरला तेरी दोनों बहुएं सर्वगुण सम्पन्न हो गयी हैं…. ऐसा तू कैसे कर पायी??मेरी बहुओं को तो ससुराल आयें 16 साल हो गए …अभी तक ढंग नहीं आया उन्हे काम करने का…मेरी राजू की बऊ तो भी ठीक से काम करती हैं पर छोटे की तो अभी तक कुछ ना सीख पायी…गांव से आयी जेठानी अंजू जी ने अपनी देवरानी सरलाजी से कहा…
वो ज़िज्जी. .. मैं अपनी बहुओं को एक नजर से देखे हूँ… याई लिए मेरी दोनों ही सुगण हो गयी… जबकि मैं जाने हूँ कि सूरज की बहू (छोटी बहू) अभी भी सही से काम न कर पायें हैं पर मैने कभी उसे बड़ी के सामने ये महसूस नहीं होने दिया कि वो बड़ी से कम हैं… छोटी को खुद एहसास हो जाता हैं कि मैं ये काम दीदी से अच्छा नहीं कर पाती वो खुद आगे आकर बड़ी से पूछकर अगली बार उस काम को सही से कर लेती हैं…
बुरा ना मानना ज़िज्जी. .. मैं तो खरी बोले हूँ…. आपके यहां जब भी गयी हूँ य़हीं पाया कि बहुएं काम तो जाने हैं पर करने में कतरावे हैं… कोई ना कोई बहाना बनाकर आराम करने चली ज़ाती हैं… आपकी छोटे की बहू ब्याह के आयी थी , कितनी सरल थी … हर काम में आगे आगे आती थी पर आपका बड़ी के आगे उसे डांटना , फटकारना उसे रास ना आता … अब वो ढ़ींढ़ हो गयी हैं …
उसके कान पर जूँ भी नहीं रेंगता चाहे आप कुछ भी कहती रहे …. उसे देख अब बड़ी भी कामचोरी करने लगी हैं… और पूरे दिन बुढ़ापे में आप काम में अपना मूढ़ खपावे हैं… अपना घर खुद ही बिगाड़ रही हैं आप…
तब तक सरला जी की दोनों बहुएं चाय नाश्ता लेकर आयी… दोनों सरला जी के गले में हाथ डालकर बोली… मम्मीजी…. आपका पोता हाई स्कूल में 95% नंबरों के साथ पास हुआ हैं… ये लीजिये मुंह मीठा कीजिये … ताईजी आप भी लीजिये…
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सरला जी ने दोनों बहुओं को गले से लगा लिया…. पहले मेरे घर की दोनों लक्ष्मी मुंह मीठा करेंगी ज़िन्होने घर को संभालते हुए मेरे शुभू को भी मन लगाकर पढ़ाया .. तभी तो इतने अच्छे नंबर आयें उसके…
अंजू जी मन ही मन सोची कि मैने तो कभी अपनी बहुओं को इतनी इज्जत नहीं दी.. बड़ी को तो सर पर चढ़ा दिया छोटी को उपेक्षित कर दिया … अब से दोनों को एक ही आँख देखूँगी…. आज उम्र में छोटी सरला ने जीवन का इतना बड़ा पाठ पढ़ा दिया…
क्या सोचने लगी ज़िज्जी …. एक आँख देखना अब…. ये लो मुंह मीठा करो …
हां हां… सरला… अगली बार तेरे घर जैसा माहोल मेरे यहां ना मिला तो मैं तेरी जेठानी नहीं…
ये क्या कह दिया ज़िज्जी. .. सभी लोग ठहाके मारकर हंसने लगे….
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा