रिश्तो की डोर – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’ : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : वैभव की अचानक तबीयत बिगड़ने लगी तो उसकी पत्नी वाणी ने उसे डाक्टर को दिखाया। डाक्टर ने बताया कि वैभव की दोनो किडनी खराब हो गई है।

“लेकिन डॉक्टर वैभव तो कोई भी नशा नही करते फिर यह सब कैसे?” वाणी आश्चर्य से बोली

“कभी-कभी अनियमित दिनचर्या,गलत तरीके से खान पान, अधिक टेंशन से भी किडनी खराब हो जाती है।” डाक्टर ने कहा

किडनी ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा, इसमे काफी खर्चा आएगा। आप पैसो की व्यवस्था करिए मै ट्रीटमेंट शुरू करता हूं।

“अभी शादी को दो साल हुए, थे वाणी माॅ॑ बनने वाली थी।”

“यह बच्चा भी कितना अभागा है, इस दुनिया मे आने से पहले ही बिन बाप का हो जाएगा। नही… नही ऐसा नही होगा, मैं ऐसा नही होने दुंगी।” वाणी मन मे सोच रही थी

वाणी ने अपनी नन्द विभा को फोन लगाया।

हैलो… हां भाभी मै विभा बोल रही हूं कहिए।

“विभा तुम्हारे भैया की तबियत बहुत खराब है डाक्टर ने बताया कि वैभव की दोनो किडनी खराब हो गई है।

किडनी ट्रांसप्लांट होगी, उसमे काफी खर्चा आएगा।” वाणी रोते-रोते बोली

ये क्या कह रही हैं भाभी? ऐसा नही हो सकता। भैया को कुछ नही होगा। मै आ रही हूं….

विभा ने सारी बात अपने पति विमल को बताई और पैसे की मदद मांगी। विमल ने बात को अनसुना कर दिया ।

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विभा समझ गई ये लोग मेरे भाई की मदद नही करेंगे।

विभा दृढ़ स्वर मे बोली विमल मैं अपनी एक किडनी अपने भाई को दे दूंगी।

ये क्या फालतू की बात कर रही हो हमारा बच्चा अभी छोटा है अपने बच्चे पर ध्यान दो। उन लोगो के लिए परेशान होने की कोई जरूरत नही है। मैं कोई मदद नही कर सकता।

विमल तुम मदद नही कर सकते पर मै तो कर सकती हूं न वो मेरे भाई है। माता पिता के देहांत के बाद भैया ने मुझे कभी किसी चीज की कोई कमी नही होने दी। यहां तक कि तुम मेरी पसंद थे, मेरी पसंद का भी उन्होंने मान रखा और तुम्हारे माता पिता की हर डिमांड पूरी करने के लिए उन्होंने बैंक से कर्ज ले लिया। भाभी ने कभी माॅ॑ की कमी महसूस नही होने दी, हमेशा मेरे लिए एक पैर पर खड़ी रही।उन पर बुरा वक्त आया तो तुम कहते हो मै उन्हे छोड़ दूं। “मै अपने भाई को नही छोड़ सकती। मैं भाभी का सुहाग नही उजड़ने दूंगी।” विमल मैं जा रही हूं

विभा अगर तुमने घर के बाहर कदम रखा तो तुम्हारे लिए इस घर के दरवाजे हमेशा के लिए बन्द हो जाएंगे।

मंजूर है विभा दृढ़ता से बोली और बच्चे को लेकर चलने लगी।

विमल ने विभा के हाथ से बच्चा छीनते हुए कहा तुम्हे जाना है तो जाओ पर बच्चा नही जाएगा।

विभा ने कहा ठीक है मै अकेले ही जा रही हूं।

विभा ने अपनी एक किडनी देकर अपने भैया की जान बचा ली।

“विभा मैं तुम्हारा यह अहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी।” वाणी ने कृतज्ञता से कहा

इसमे अहसान की क्या बात है भाभी। आप लोगो ने भी तो मेरा जीवन संवारने के लिए क्या-क्या नही किया। यदि भाई अपना फर्ज निभाता है तो बहन को भी अपना फर्ज निभाना चाहिए। जीवन मे कभी खुशी कभी गम तो लगा ही रहता है। रिश्तो की डोर फर्ज पर टिकी होती है। फर्ज निभाओ तो रिश्ते बने रहते हैं और न निभाओ तो रिश्ते टूट कर बिखर जाते हैं।

तभी दरवाजे की डोर बेल बजती है। वाणी ने दरवाजा खोला। दरवाजे पर विमल बच्चे के साथ खड़ा था।

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विभा मुझे माफ़ कर दो मैं बहुत शर्मीन्दा हूं। मैंने तुम्हारे साथ जो किया उसकी सजा मुझे मिल गई। मेरा बिजनेस घाटे मे चल रहा है, अपने बिजनेस को बचाने के लिए मैंने अपनी बहन से कुछ पैसो की मदद मांगी परन्तु उसने मदद करने से इंकार कर दिया और फोन काट दिया। तभी मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ एक बहन तुम हो जो अपने भाई की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दे दिया और एक मेरी बहन …।  विभा घर चलो मेरा घर तुम्हारे बिन अधूरा है। विभा अपने भैया से इजाजत लेकर विमल के साथ अपने घर चली जाती है।

#कभी_खुशी_कभी_ग़म 

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश 

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