बुरा सपना – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : नहीं नहीं ऐसा मत करो..ओह मेरा चेहरा झुलस गया। बहुत दर्द हो रहा है मुझे..मुझे ऐसी हालत में देखकर मेरे मम्मी पापा मर जाएंगे..नींद में एक अजीब सा साया मानो उसे दर्द पहुँचा रहा था। उस दर्द से छटपटाती पसीने से तर बतर सीमा की नींद खुल जाती है। खुली आँखों में भी अभी भी डर समाया हुआ था.. निस्तेज.. संज्ञाशून्य पड़ी अँधेरे में सिर्फ आँखें घुमा कर उस अजीब से साए को देखने की कोशिश कर रही थी सीमा।

अचानक अंधेरे में माँ को आवाज देती चीखती हुई उठ बैठती है… उसकी चीख सुन दूसरे कमरे से दौड़ते हुए सीमा के मम्मी पापा आकर कमरे में रौशनी करते हैं। 

माँ मेरा चेहरा खराब हो गया.. माँ मैं बाजार गई ही क्यूँ थी। उसने मेरे चेहरे पर तेजाब डाल जला दिया.. सीमा रोती हुई लगातर यही बोलने लगती है। 

किसने क्या कर दिया.. तुम बिल्कुल ठीक हो सीमा.. कोई बुरा सपना देखा तुमने.. सिर सहलाती सीमा की माँ बोलती है। 

क्या सच में.. अपने चेहरे को टटोलती सीमा पूछती है और आदमकद दर्पण के सामने खड़ी हो जाती है। 

मैं ठीक हूँ माँ.. मैं ठीक हूँ माँ.. खुशी के अतिरेक में सीमा अपने मम्मी पापा से लिपट जाती है। 

माँ पापा अब मैं उसे नहीं छोड़ूँगी.. आज ही उसकी शिकायत पुलिस में करुँगी.. सीमा कहती है। 

किसकी सीमा.. उसके पापा पूछते हैं। 

कॉलेज में कुछ लड़के हैं पापा.. लड़कियों के साथ बदतमीजी करना ही उसका शौक है। जो लड़की उसके साथ घूमने फिरने से मना कर देती है.. उसे कई तरह की धमकी देता है। नाना प्रकार के षड्यंत्र कर परेशान करता रहता था। कई दिन से मुझे भी परेशान कर रहे हैं.. उनकी घूरती आँखें हमेशा डर के साये में जीने के लिए मजबूर करती हैं। आज उन्होंने मेरे चेहरे पर तेजाब डाल देने की धमकी दी थी। रावण है वो पूरा रावण, सिर्फ धमकी से ही इतनी डर गई मैं। जिन लड़कियों के साथ ऐसा होता है.. उनकी तो पूरी जिंदगी ही जल सी जाती है.. बस अब और नहीं। मैं अब उसके इस अन्याय के खिलाफ लड़ूंगी पापा।आप दोनों मेरा साथ देंगे… मैं उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलवाना चाहती हूँ.. अपने मम्मी पापा के गले लगते हुए सीमा पूछती है। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

कांच की दीवार – डा. मधु आंधीवाल





सीमा के पापा जो अभी तक उसकी बात चुपचाप सुन रहे थे, अचानक चौंक उठते हैं।

बेटा ऐसे लोगों के मुंह लगने का कोई फायदा नहीं होता है। हम तेरा एडमिशन किसी और शहर के अच्छे कॉलेज में करा देंगे। अगर सच में कुछ हो गया तो … सीमा के पापा उसे समझाते हुए कहते हैं।

तो उसका अन्याय सहन करना ही क्या लड़कियों की नियति है और ऐसे में हम जो घुट घुट कर जीती हैं, उसका क्या… सीमा ऐसे उत्तेजित हो कहती है।

और लड़कियां भी तो हैं, इसके आगे और कुछ नहीं… समझाओ तुम ऐसे… सीमा की मां से कहते हुए उसके पापा कमरे से बाहर चले गए।

मां तुम तो समझो…कहकर मां के सीने से लग सीमा रोने लगी।

सीमा हम तुम्हारे एडमिशन के लिए किसी और कॉलेज का पता करते हैं, तब तक तुम घर पर ही रहोगी…. नाश्ता करते हुए पापा ने कहा।

उसे सजा दिलाने के बदले आप मुझे सजा दिला रहे हैं… सीमा प्रतिकार करती है।

नहीं सजा नहीं तुम्हारी सुरक्षा के लिए, हम सोच रहे हैं अब सीमा की शादी का भी सोचा जाए…कहते हुए पापा उसकी मां की ओर मुखातिब होते हैं।

अभी इसकी उम्र ही क्या हुई है, पढ़ाई तो पूरी कर लेने दीजिए, फिर इसके अपने सपने भी तो हैं… सीमा की मां ने दबे शब्दों में कहा।

हमने तुमसे राय नहीं मांगी है, सिर्फ बताया है… सपने अपने घर जाकर पूरी करे….पापा नाश्ता खत्म करते हुए या यूं कहे बात खत्म करते हुए कहते हैं।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

हमारे घर का चिराग़ हमारे ही आँगन में होगा – रश्मि प्रकाश





रेवती कौन था वो लड़का…रेवती के घर आते ही उसका बड़ा भाई चीखता है।

कौन भैया..रेवती पूछती है।

कई दिन से देख रहा हूं तेरे रिक्शे के पीछे पीछे साइकिल से घर तक आता है… भाई ने कहा।

हमें नहीं पता भैया… रेवती जो इस पूरे प्रकरण से हैरान थी भाई से कहा।

देख लो मां कैसे जबान चला रही है, आज से इसका कॉलेज बंद… बीएड करेंगी…मास्टर बनेगी… हूं… अपने घर जाकर करे जो भी करना हो। पापा से कहकर आज से ही इसकी शादी की बात चलाते हैं…भाई कहता है।

आनन फानन में रेवती की शादी हो गई और जिसे अपना घर समझा था, वो पीछे छूट गया।

सुनिए… वो मेरी बीएड की क्लासेज होती हैं, क्या हम फिर से शुरू कर दें…एक दिन रेवती ने पति से पूछा।




ये सब चोंचलें तुम्हारे घर में होते होंगे, मेरे घर में किसी चीज की कमी नहीं है। इसीलिए घर में रहो…रेवती के इंजीनियर पति ने कहा।

जी वो टीचर बनना मेरा सपना था..रेवती ने सकुचाते हुए कहा।

ये सारे सपने तुमने अपने घर में देखे होंगे। यहां घर संभालने का सपना देखो… एक हाथ आगे कर इस पर और कुछ नहीं बोलने का इशारा कर रेवती का पति वहां से चला गया।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

वक़्त का पहिया – डॉ उर्मिला शर्मा

समय बदला, चीजें बदली लेकिन आज भी अपने घर जाओगी तो करना वाली सोच हावी हो ही जाती है। कब तक छोटा बड़ा हर अन्याय बर्दाश्त करेंगी हम। नहीं नहीं हम अपनी बेटी के सपने ऐसे मरने नहीं दे सकते हैं। हमें उसके साथ खड़ा होना ही होगा। अन्याय का विरोध करना ही होगा। कम से कम हम तो सोच बदलें…चावल से गंदगी बीनती हुई रेवती अपने मन से डर का साया बीन कर हटाती जा रही थी।

सीमा तैयार हो जा…पुलिस स्टेशन जाना है, उन लड़कों की शिकायत दर्ज कराने…रेवती सीमा के कमरे में आकर कहती है।

सच मां… सीमा जिसने अपनी मां को कभी अपने पापा के निर्णय के खिलाफ जाते नहीं देखा था आश्चर्य से कहती है।

बिल्कुल बेटा.. ऐसे अन्यायी धूर्त लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए.. जिससे मेरी तरह किसी लड़की को पूरी उम्र एक जगह खड़े होकर ना गुजारनी पड़े। 

हम और सीमा पुलिस स्टेशन जा रहे हैं, बस यही बताने के लिए फोन किया था आपको…रेवती पति को फोन पर कह फोन रख देती है।

थैंक्यू मां… सीमा रेवती से कहती है।

नहीं बेटा, आज एक स्त्री सिर्फ खुद की लड़ाई लड़ने के लिए जगी है… हर अन्याय का जवाब देने के लिए जगी है…रेवती सीमा के गाल थपथपाती कहती है।

कल का सूरज उन लड़कों के लिए अँधेरा ले कर आएगा.. सीमा मुतमईन होकर कहती है। 

#अन्याय 

आरती झा आद्या 

सर्वाधिकार सुरक्षित ©®

error: Content is Copyright protected !!