Moral stories in hindi : मैरी जब ग्यारह साल की थी, उसके माँ-बाप एक कार दुर्घटना में भगवान को प्यारे हो गये। दुःखों का मानों उस पर पहाड़ ही टूट पड़ा। ऐसे में उसके चाचा-चाची ही सहारा बने, जिन्हों ने बदले में उसके पापा की सारी धन-सम्पत्ति अपने पास रख ली। वह उस समय आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। बेपनाह ग़म के चलते वह फेल हो गयी तो चाचा-चाची ने उसे स्कूल से ही निकाल लिया और उससे घर के काम करवाने लगे।
घर में वह अपनी सुंदरता के कारण चचेरे भाई-बहन की ईर्ष्या और चाचा-चाची की उपेक्षा की शिकार बनी। वे उसे साथ ही न रखते, अगर उसके पिता की धन-सम्पत्ति का लालच न होता। यूँ ही कुछ वर्ष बीत गये तो लालची चाचा-चाची ने कम उम्र में ही मैरी की शादी एक ऐसे शिक्षित परिवार में कर दी थी, जिन्हें घर में बहू नहीं, नौकरानी चाहिये थी।
घर के हर काम में उसे ही झौंके रखा जाता और रोज ही किसी न किसी बात पर अपमानित किया जाता। गाँव की बोली के कारण उसका खूब मज़ाक उड़ाया जाता। हालातों से घबरा कर वह अपने कमरे में आकर रोती तो शांत स्वभाव के उसके पति, एलेक्स, उसे दिलासा देकर समझाते। एलेक्स एक कंपनी में सेल्स मैनेजर थे, और बहुत सुलझे हुए थे। मैरी इसे अपनी अच्छी किस्मत मान कर संतोष करती कि उसके पति तो उसे समझते हैं।
फिर एलेक्स के छोटे भाई की पढ़ी-लिखी और दहेज लाने वाली पत्नी के घर में आने के बाद मैरी की दुर्गति और भी ज्यादा हो गयी। यह देख कर तो अब एलेक्स भी अत्यंत उद्धिग्न हो जाते और उन्हें इस हाल में देख कर मैरी रो पड़ती। एक दिन जब मैरी अपने अशिक्षा के अभिशाप को लेकर रो रही थी, तो एलेक्स ने एक बड़ा निर्णय कर लिया।
वे चर्च गये, जहाँ मैरी ने कसम ली कि वह अपनी उपेक्षा को अपना हौंसला बनायेगी। वहाँ से वे सीधे ओपन स्कूल गये, जहाँ से मैरी ने हाई-स्कूल का फार्म भर दिया। घर में उसकी पढ़ाई को लेकर फिर से ताने मिलने लगे, लेकिन मैरी ने परवाह न की। जब उसकी परीक्षा के दिन निकट थे, तो एलेक्स ने माँ से घर के काम के बँटवारे की बात की, ताकि मैरी को पढ़ने का समय मिल सके।
बात माँ की समझ में न आने के कारण एलेक्स ने बरामदे में एक नोटिस लगा दिया कि मैरी आज से ये कार्य करेगी, बाकि सदस्य क्या कार्य करेंगे, वे स्वयं निर्णय कर लें। घर का बड़ा पुत्र होने की हर जिम्मेदारी एलेक्स ने अच्छे से पूरी की थी, इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता था। उसने कुछ गलत भी नहीं कहा था।
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अगली सुबह मैरी ने सबके लिये नाश्ता तैयार किया, जैसा कि रोज करती थी। सभी ने आनंद से खाया और एलेक्स छोटे भाई के साथ ऑफिस चले गये। उस दिन मैरी अपने काम निपटा कर अपने बैडरूम में पढ़ती रही और उसे पता भी न चला कि कब उसकी देवरानी और ननद ने सलाह करके ऑनलाइन लंच मँगवा लिया, और सबने खा भी लिया। जब पता चला तो मैरी एक केला और एक सेब खाकर अपनी पढ़ाई में लगी रही।
शाम को एलेक्स आये तो उन्हें भी इस बात का पता चला। उन्हें यह बात बहुत खली। फिर कुछ सोच कर एलेक्स ने मैरी को तैयार होने के लिये कहा और खुद भी फ्रैश होकर तैयार हो गये। मैरी बात न समझते हुए भी कहे अनुसार तैयार हो गयी। जब वे जाने लगे तो हैरान माँ को ननद ने उन्हें रोकने के लिये उकसाया।
“कहाँ जा रहे हो तुम लोग, बिना बताये?” माँ ने क्रोध से पूछा तो मैरी डर से काँपने लगी।
“मैं आपको बताने आ ही रहा था, माँ। आज एक दोस्त के घर दावत है, हम वहीं जा रहे हैं,” एलेक्स जैसे कि पहले से तैयार थे।
“तो हमारे डिनर का क्या होगा? डिनर तो मैरी ने ही बनाना है न!” माँ ने नोटिस की तरफ इशारा किया।
“वैसे आज लंच किसने बनाया था, माँ?” माँ तो माँ, खुद मैरी को भी एलेक्स से ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी।
“लंच तो आज छोटी बहू ने ऑनलाइन मँगवाया था,” माँ ने सकपकाते हुए बताया।
“तो छोटी बहू से डिनर भी ऑनलाइन मँगवा लो,” एलेक्स ने कहा और मैरी की बाँह पकड़ कर बाहर आ गये।
उस दिन एलेक्स ने मैरी को पहली बार एक रेस्त्रां में खाना खिलाया। दोस्त के घर दावत की बात झूठी थी। मैरी को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था, सब स्वप्न सरीखा प्रतीत हो रहा था। उसकी आशंकाएं बारम्बार उसे डरा रही थीं, लेकिन एलेक्स को शांत देखकर वह हैरान थी और एलेक्स मैरी की हैरानी का पूरा आनंद ले रहे थे।
फिर तो मैरी एलेक्स के सहयोग से पढ़ाई की सीढ़ियाँ चढ़ती चली गयी। इस बीच वह एक बेटे की माँ भी बनी और बीएड के बाद, उसके ही विद्यालय में, मैरी को अध्यापिका के रुप में नियुक्ति भी मिल गयी। अपनी उपेक्षा से मैरी ने हौंसलों के पंख बनाये तो सफलता के आसमान ने उसका स्वागत किया।
—मसीरा मैसी
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