छुपा दुश्मन –  उषा शर्मा

निशा का बेटा  रवि और उसकी देवरानी रिचा की बेटी ईशा एक ही स्कूल में पढ़ने जाते । निशा सुबह जल्दी उठकर दोनों बच्चों के लिए टिफिन तैयार करती और फिर बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजती ।

 निशा का बेटा बहुत चंचल है पढ़ने में भी होशियार और खेलने कूदने में सबसे आगे इसके उल्टे निशा की बेटी थोड़ी सी भोंदू टाइप की है  रिचा हमेशा अपनी बेटी की तुलना निशा के बेटे से करती , वो अपनी बेटी को चाह कर भी रवि की तरह नहीं बना पाई  ,  तो रिचा मन ही मन निशा की बेटे से जलने लगी ।

 लेकिन उसने अपने चेहरे पर कभी भी महसूस नहीं होने दिया दिखाने के लिए वह निशा के बेटे को अपने कमरे में पढ़ाने के लिए ले जाती लेकिन निशा के बेटे को ना पढ़ाकर केवल अपने ही बेटी को पढ़ाते रहती , और अगर बेटी नहीं पड़ती  , तो जलन के कारण उसकी मार भी लगा देती है । 

हमेशा उससे कहती तू बेकार है जरा इस लड़के को देख यह पढ़ने में कितना होशियार है और तू पागल ही रह जाएगी ।

 बेटी को जबरदस्ती पढ़ाती बिचारी छोटी सी उम्र में प्रेशर बढ़ने से  रात को सोते – सोते रोने लगती और कहती नहीं मम्मा मुझे मत मारो मैं पढ़ रही हूं  , वह सोते-सोते एबीसीडी पढ़ने लगती  ।

रात रात भर बिचारी रोती लेकिन रिचा का मन कभी शांति ना हुआ । वह हमेशा निशा के बेटे से अपनी बेटी की तुलना करती रहती  । निशा हमेशा यही सोचती कि मेरा बेटा तो अपनी चाची के पास पढ़ता रहता है यही सोचकर वह घर के कामों में ही लगी रहती  ।

पेरेंट्स मीटिंग मैं भी हमेशा रिचा ही स्कूल जाया करती । एक दिन रिचा का पति किसी काम से दूसरे शहर गया , तो रिचा निशा से बोली दीदी आज तो तुम्हारे देवर नहीं है तो तुम मेरे साथ पेरेंट्स मीटिंग में बच्चों के स्कूल चलो  ।

निशा घर का काम करके रिचा के साथ स्कूल पहुंच जाती है  । लेकिन रिचा ही बच्चों के  टीचर से बात करती रहती है  , निशा कुछ नहीं कहती ।

फिर अचानक से रिचा प्रिंसिपल मैडम से बोलती है  , मैडम यह मेरी बेटी बिल्कुल भी रवि के जैसी नहीं है  , बात बात पर रोती है और चिढ़ती रहती है  । मेरी बेटी को भी इनके बेटे जैसे बनाने की कोशिश करें  ।

तो प्रिंसिपल रिचा से कहते हैं  , मैडम यह आपके घर का मामला है । अगर आपकी बच्ची ऐसी ही है तो आप उनके बेटे से कंपैरिजन ना करें  ।

सब बच्चे अलग होते हैं , इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है । और  वैसे भी यह आपका घरेलू मामला है , ऐसी बातें स्कूल में किसी भी बच्चे के आगे न करे ।

 निशा को यह बात बहुत बुरी लगी  , लेकिन स्कूल में कुछ ना बोली शाम को वह अपने पति से बोली कि जिस भाई को तुम अपना दायां हाथ मानते रहे  , आज उसी की पत्नी हमारे बेटे के प्रति हीन भावना रखतीं है , और स्कूल तक यह बात कहने गई यह तो बिल्कुल ”  आस्तीन के सांप  ” की तरह निकली ।

जिसे तुम दूध पिला कर बड़ा करते रहे वही तुम्हारे बेटे को डसने के लिए फन फैलाए बैठी है । निशा की पति ने जब यहां सुना तो उन्हें भी बहुत बुरा लगा लेकिन उन्होंने उन लोगों से कुछ ना कहकर अपनी बेटे को उनसे अलग कर दिया और खुद बेटे को पढ़ाने पर ध्यान देने लगे

स्वरचित,,,,

 उषा शर्मा

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