दर्प दमन – शुभ्रा बैनर्जी

कामिनी संयुक्त परिवार में पली बढ़ी सुशिक्षित लड़की थी। परिवार में संस्कारों की छांव में पली कामिनी शुरू से ही अति महत्वाकांक्षी थी।पढ़ने में अव्वल तो थी ही,दिखने में भी खूबसूरत थी।यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही,सपनों के राजकुमार के साथ अपने सुनहरे भविष्य के ख्यालों में रहने लगी थी।

स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही घर पर उसके विवाह की बातचीत शुरू हो चुकी थी।परिवार में सबसे बड़ी होने के कारण सभी की लाड़ली थी।नौकरी करने की प्रबल इच्छा होते हुए भी,परिवारिक पृष्ठभूमि को देखकर कामिनी इतना तो समझ ही चुकी थी कि मायके में वह अपनी मर्जी से नौकरी नहीं कर पाएगी।मन ही मन कामिनी योजना बनाने लगी कि शादी के बाद अपने पति को विश्वास में लेकर नौकरी जरूर करेगी।

सुबह होते ही घर में काफी चहल-पहल देखकर कामिनी ने मां से पूछा”कोई मेहमान आ रहें हैं क्या मां आज?”

मां ने लाड़ से उसे गले लगाते हुए कहा‌ कि ताऊ जी के मित्र की पत्नी अपने बेटे के साथ उसे देखने आ रहें हैं।छोटा परिवार है,बस मां और इकलौता बेटा है।अपना‌ खुद‌ का घर है।लड़का अभी -अभी नौकरी में लगा है।मां विद्यालय में शिक्षिका रह चुकीं हैं।कामिनी की तो मानो लॉटरी निकल गई।चुपके से‌ जाकर‌ मां के कमरे में रखी लड़के‌ की तस्वीर देखकर उसने मन बना लिया अपना शादी करने का

दोपहर को प्रमिला आंटी अपने बेटे विपुल के साथ पहुंची थी उसे देखने।घर -परिवार तो देखा हुआ था ,कामिनी भी बहुत पसंद आई उन्हें।अकेले में बातें करने का अवसर देकर सभी बाहर बगीचे में निकल गए।पहली बार‌ जब विपुल को देखा तो कामिनी को निराशा ही हुई।ये तो उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।

तस्वीर में जैसा दिख रहा था,वैसा सुंदर नहीं था विपुल।दूसरी तरफ विपुल कामिनी की सुंदरता पर मोहित हो गया था।बातचीत शुरू करते ही कामिनी ने ,विपुल‌ से अपनी नौकरी करने की इच्छा जाहिर कर दी।विपुल‌ को कोई ऐतराज़ नहीं था।कामिनी ने भी सोचा‌चलो अच्छा है,मुझसे कम सुंदर है तो दबकर रहेगा।

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चट मंगनी और पट ब्याह हुआ उसका।ससुराल‌ में अपने कदम रखते ही कामिनी आने वाले कल का खाका तैयार करने लगी।छोटे से परिवार में सिर्फ तीन लोग ही‌ थे।विपुल‌ के‌ काम पर जाने के बाद कामिनी सारा दिन अपने कमरे में ही गुजारती।

प्रमिला अब आंटी से सांस बन गईं थीं।अपनी सुंदरता और शिक्षा के दंभ में चूर कामिनी कोई मौका नहीं छोड़ती थी सास को अपमानित करने‌ का।प्रमिला भी घर में क्लेष के डर से कामिनी की करतूतें किसी से नहीं कहतीं थी।

एक महीने में ही कामिनी ने ना जाने कितने दोस्त बना लिए थे।सारा दिन फोन पर गप्पें करती थी।किटी भी ज्वाइन कर‌ ली थी उसने।मायके की कामिनी और अब की कामिनी में जमीन आसमान का अंतर आ गया था।

विपुल कामिनी के इस बदलाव से अचंभित था।मां से जब भी कुछ कहता वह समझातीं” देख बेटा,बड़े परिवार में पली‌है ना,सो‌अपने‌ मन की कभी कर नहीं पाई होगी। बचपना है अभी‌ उसमें,पर संस्कारवान है।

समय के साथ समझ जाएगी।”विपुल‌ मां की समझ का कायल था,कितने अच्छे से एक‌ पराई लड़की को अपना बना लिया था उन्होंने।कुछ दिनों से प्रमिला देख‌ रही थी विपुल के चेहरे में चिंता‌ की रेखाएं।एक‌दिन मौका पाकर पूछ ही लिया‌ विपुल‌ से।

विपुल‌ पहले तो सकुचाया फिर खुलकर बोलने लगा”मां तुम्हारी बहू नौकरी करना‌ चाहती है।अभी चार-पांच साल मां नहीं बनना चाहती वह।अजीब से दोस्तों की संगत कर रही है।मुझे तो चिंता होने लगी है।”

मां ने प्यार से विपुल को समझाया “देख बेटा ,हर लड़की के मन में अरमान होतें हैं,अपनी इच्छाएं होतीं हैं।तू तो पति है उसका,उसका साथ देना तेरा कर्तव्य है।करने दे उसे नौकरी।मैं भी तो करती थी ना।घर में संभाल सकती हूं अभी।

और रही मां बनने‌ की बात तो,ईश्वर की मर्जी के आगे कहां किसी की चलती है।उसे जब देना होगा,तब ही देगा।”

मां के साथ विपुल का बात करना कामिनी को बिल्कुल भी ना भाता था।जरूर कान भर रहीं होंगीं अपने बेटे का।यहां भी चैन नहीं है मुझे,कुछ भी करना है,कहीं भी जाना हो मां से पूछो‌ पहले।उफ्फ ये दो सदस्यों का परिवार जेल लगने लगा है।

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तनख्वाह मिलते ही विपुल का अपनी मां के हांथ में पैसे देना भी उसे पसंद नहीं था।उसके चेहरे के भाव पढ़ सकती थी,प्रमिला।विपुल को उसकी जिम्मेदारी का आभास दिलाते हुए कामिनी के हांथों तनख्वाह देने पर राजी कर लिया था उन्होंने।

एक दिन सुबह कामिनी ने बताया किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई है उसे,उसकी सहेली की सिफारिश से।प्रमिला ने उसका उत्साह ही बढ़ाया था हमेशा।विपुल को अब कामिनी अपने पैसों का रौब दिखाने लगी थी।मां की तरफ देखकर विपुल चुप था।

एक दिन सुबह अचानक उल्टियां करती हुई कामिनी को देखकर आभास हो गया था कि वे‌ दादी बनने वाली हैं।अपनी पहचान की लेडी डॉक्टर के पास ले जाने पर,उन्होंने भी स्वीकृति दे दी थी कामिनी के मां बनने की।कामिनी के सर पर मानो पहाड़ टूट पड़ा था।

कैसे हो गया यह,क्या करेगी ?नौकरी बड़ी मुश्किल से मिली है।दोपहर को बाहर हड़बड़ाहट में कामिनी को निकलते देखकर,प्रमिला का माथा ठनका।किसी अनहोनी की आशंका से उन्होंने दूर से उसका पीछा किया तो संदेह सच हो गया।

कामिनी अबार्शन करवाने आई थी।डॉक्टर ने सख़्त चेतावनी देकर उसे वापस भेज दिया था,और आराम करने की सलाह दी।अब कामिनी चिड़चिड़ाने लगी थी।नौकरी छोड़ी नहीं उसने।किटी पार्टियां भी चल ही रहीं थीं।

अपनी मित्र मंडली में अपनी सुंदरता और आत्मनिर्भरता का रौब झाड़ने में कोई कमी नहीं करती थी कामिनी।सास के प्रति उसका लगाव कभी हो ही नहीं पाया।उसकी सहेलियां प्रमिला जी के हांथ के खाने की प्रशंसक थीं।

उससे ज्यादा तो सास को पूछते थे सब।किसी तरह आठ महीने गुजरने के बाद एक महीने की छुट्टी ले ली थी उसने।अपनी देखभाल के लिए अलग से एक बाई रख ली थी।उसका ख्याल रखतीं तो प्रमिला ही थीं पर नाम कमली बाई का होता था।

तय समय पर बेटी हुई कामिनी को, ऑपरेशन के द्वारा।बेटी को देखकर कामिनी का चेहरा उतर गया था।मां आकर कामिनी को दो महीने के लिए ले गईं थीं।मायके में कामिनी का परिवर्तित रूप देखकर सभी हैरान थे।कामिनी अब अपने घर वालों से भी सीधे मुंह बात नहीं करती थी।

बेटी को देखकर उसे अपना अभिमान चूर -चूर होता दिखता था।सास से फिर हार गई वह।कामिनी की मां ने जब प्रमिला से इस बारे में बात करनी चाही , उन्होंने बड़ी शालीनता से कहा”बहन जी अपनी परवरिश पर भरोसा रखिए।

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समय के साथ मेरी बहू अपने आप बदल जाएगी।आप चिंता मत करिए।कामिनी कितनी भाग्यशाली हैं जो उसे इतनी अच्छी सास मिली।ससुराल छोड़ गए कामिनी के पिता और ताऊ जी।आते ही दुधमुंही बच्ची को छोड़कर कामिनी नौकरी पर जाने लगी।

किटी पार्टी भी शुरू हो गईं उसकी।कमली नाममात्र के लिए ही थी,बच्ची की देखभाल प्रमिला ही करतीं थीं।कामिनी उन्हें जताने से बिल्कुल नहीं चूकती थीं कि बाई का ख़र्च वह देती है।

विपुल कामिनी की बच्ची के प्रति उदासीनता देखकर‌ घबरा रहा था।आखिर कामिनी अपनी नौकरी के नशे में इतनी चूर कैसे हो गई कि ख़ुद की बेटी को देखने तक का समय नहीं।घर आते ही आज उसने मां को बताया कि कंपनी के काम से उसे दो-तीन दिनों के लिए मुंबई जाना पड़ रहा है।

कामिनी सुनते ही उछलने लगी “मैं भी जाऊंगी साथ,मुझे भी ले चलो”।विपुल ने बहुत समझाया कि कंपनी का व्यवसायिक टूर है,उसका मन नहीं लगेगा।कामिनी मानने को तैयार ही नहीं थी।प्रमिला ने जिद करके कामिनी को विपुल के साथ भेजा मुंबई।

बच्ची को वैसे भी मां के दूध की आदत नहीं थी,तो दादी के पास ही रखकर कामिनी चल दी विपुल के साथ। मुंबई पहुंचते ही कामिनी अपने सपनों की दुनिया में पहुंच गई।विपुल के सहकर्मियों के साथ खुलकर बातें कर रहीं थीं।,पार्टी में विपुल के मना करने के बाद भी ड्रिंक्स ले रही थी और विपुल को नीचा दिखा रही थी।

विपुल की बर्दाश्त करने की सीमा अब ख़त्म हो रही थी।आज ही टूर कैंसिल कर देगा वह और कामिनी को लेकर चला जाएगा घर,सोचते हुए जैसे ही होटल के कमरे में पहुंचा विपुल,कामिनी का लिखा हुआ एक नोट दिखा जिस पर किसी तथाकथित नए मित्र के साथ मुंबई घूमने जाने की बात लिखी थी उसने,रात तक आ जाएगी ऐसा भी लिखा था।

विपुल अब परेशान हो गया था।शाम तक इंतजार करने के बाद होटल के मैनेजर से मिलकर जरूरी जानकारी लेकर कामिनी को ढूंढ़ने निकला तो रास्ते में ही बदहवास सी भागती हुई कामिनी दिखी।विपुल ने जल्दी से उसे टैक्सी में बिठाया और होटल पहुंचा।

कामिनी दहशत के मारे बेहोश हो चुकी थी।होश में आते ही कामिनी विपुल से लिपटकर रोते हुए बोली”मुझे माफ़ कर दो विपुल।अपनी असीमित आकांक्षाओं के चलते मैंने अपने घर को कभी अपना नहीं माना।तुम में जमाने भर की बुराई देखती रही।

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सोचती कि आधुनिक युग में जन्म लेकर भी तुम कितने दकियानूसी विचारों के हो।मां का मैंने सदा अपमान किया ,नीचा दिखाया।आज जब उस व्यक्ति ने मेरे शरीर की तारीफ कर उसे पाना चाहा तो ,मुझे मेरा शरीर राख समान लगा।ये बाहरी चकाचौंध, पार्टी,स्वतंत्रता मेरा अभिमान था जो बचपन से मेरे अंदर रावण की तरह बढ़ रहा था।

तुमसे शादी करने का मेरा मकसद अपनी आजादी पाना था।आज हकीकत के आईने में जब खुद को देखा तो घिन आने लगी मुझे खुद से।”तभी फोन बजा,उठाते ही मां की आवाज आई “विपुल सुबह से फोन कर रहीं हूं,बहू को भी किया था,पर नहीं लगा फोन।बिट्टू की तबीयत कल रात ही अचानक से खराब हो गई थी।

हॉस्पिटल में कल रात ही‌एडमिट करवा दिया मैंने।अभी खतरे से बाहर है।ज़रा बहू को फोन दे।कामिनी तुम्हारी बिट्टू ठीक है अभी।तुम आ जाओ बस अपनी बेटी के पास।”

कामिनी दहाड़ मारकर रोते हुए विपुल से माफी मांगने लगी।स्टेशन से सीधे‌ हॉस्पिटल पहुंचे विपुल और कामिनी।बिट्टू को ॉ ऑक्सीजन दिया जा रहा था और मां उसका हांथ पकड़े बैठी थी। डॉक्टर ने बताया फूड प्वाइजनिंग हो गई थी। एक्सपायरी डेट वाले डिब्बे का दूध शायद पी लिया था उसने।

कामिनी अपने आपको कोसने लगी। जोर-जोर से रोने लगी।है भगवान मेरे किए की सज़ा इस मासूम को मत देना मां जी,मुझे माफ़ कर दीजिए।आपके रहते हुए मैंने अपनी बच्ची को बाई के हांथों सौंप दिया।अपने शरीर को बर्बाद ना करने देने की झूठी ज़िद में अपनी बच्ची को अपना दूध नहीं पिलाया मैंने।मुझे ईश्वर कभी माफ नहीं करेंगे।”

प्रमिला ने कामिनी के सर पर हांथ फेरकर कहा”बेटा जीवन में सपने पालना,अपनी मन की इच्छाओं को पूरा करना,अपने लिए जीना अच्छी बात है पर अभिमान नहीं करना चाहिए,सब कुछ ईश्वर का दिया हुआ है। रूप,रंग,पद प्रतिष्ठा, ,पैसा और शरीर कभी एक सा नहीं रहता।

आज है कल नहीं।जो आज एक बेटी है कल मां बनेंगी,मां सास बनेगी।यही प्रकृति का नियम है।बच्चा माता-पिता का अंश है।बेटा हो या बेटी ,है तो संतान ही ना।तुम किससे लड़ रही थी बेटा।अपने आप से भाग रही थी।

अपने परिवार के संस्कार तुम्हें हमेशा रोकते रहे गलत करने से,पर तुम हारना नहीं चाहती थी।औरत किसी हार-जीत की सीमा में नहीं बंधी होती।औरत अपने आपको हारकर भी जग में विजयी होती है।”

कामिनी की आंखों के पश्चाताप के आंसुओं ने उसका दर्प दमन कर दिया आज।अब वह पत्नी,बेटी,मां और बहू है ,औरत नहीं।

शुभ्रा बैनर्जी 

#घमंड

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