पतिव्रता स्त्री : के कामेश्वरी

विनीता के घर के सामने बहुत से लोगों की भीड़ लगी हुई थी ।सब लोग विनीता के दर्शन करने के लिए खड़े थे । विनीता कोई नेता थी नहीं ईश्वर थी नहीं वह तो एक साधारण सी महिला थी ।

लोग उसे पतिव्रता कहते हैं । लोगों का कहना था कि उसका पति उसे इतना मारता पीटता था पर उसने उफ़ तक नहीं की औरअब वह बिस्तर पर पड़ा है और विनीता उसकी सेवा में ही लगी हुई है ।

नई ब्याहता लड़कियों को उससे मिलाकर उसका आशीर्वाद दिलाया तो उनकी ज़िंदगी में ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ आ जाती हैं ।एक बार प्रियंका नामक एक लड़की को उसकी माँ और मौसी ज़बरदस्ती विनीता के घर चलने के लिए कहतीं हैं कि तुम्हारे पति और तुम्हारे बीच की जो दूरियाँ हैं उससे मिलने पर कम हो जाएँगी । अब उनसे क्या बहस करे इसलिए प्रियंका उनके साथ विनीता के घर जाती है ।

बाहर की भीड़ को देखते ही उसे आश्चर्य हुआ कि लोग कितने अँधविश्वासी हैं ।

वह अपनी माँ और मौसी के साथ अंदर गई तो उसने विनीता को देखा जो बहुत सुंदर लग रही थी । उसे देखते ही प्रियंका को अपनापन महसूस हुआ । मौसी उससे अकेले में बात करती है और दोनों कमरे में आते हैं ।

मौसी माँ को और प्रियंका को बताती है कि विनीता के पति कैसे थे और उन्होंने कैसे सब कुछ सहा। यह सब सुनकर प्रियंका को समझ में आ गया कि माँ और मौसी भी बाहर खड़े लोगों के समान अँधविश्वासी हैं । उसे लगता है कि दूसरों के सामने अपनों के लिए क्या कहें ?

विनीता ने कहा — मैं प्रियंका जी से अकेले में बात करना चाहतीहूँ । प्रियंका अनमने मन से उनके पीछे जाती है ।

विनीता ने कहा — प्रियंका मुझे तुम्हारी मौसी ने तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है तुम्हारी पढ़ाई शादी के कारण रुक गई है ना तो अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने पैरों पर खड़ी हो जा मेरी बहन ।

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मुझे मेरे माता-पिता का साथ नहीं मिला । उन्होंने मुझे अपनी ग़रीबी के कारण इस दरिंदे के घर में उसके साथ रहने के लिए मजबूर कर दिया था । आज भी मुझे चैन नहीं पलंग पर पड़े पड़े ही यह मुझे सताता है और कोई ऑप्शन न होने के कारण मैं यह सब सह रही हूँ ।

तुम घर वालों और लोगों की परवाह न करते हुए आगे की पढ़ाई पूरी करो और अपनी ज़िंदगी बनाओ । लोगों का क्या है उन्होंने मुझे पतिव्रता का ख़िताब दे दिया है लेकिन मेरे दिल की बात बताऊँ वे जब मुझे पतिव्रता स्त्री कहते हैं

ना तब मुझे लगता है जैसे वे मेरे दर्द को कुरेद रहे हैं या जले पर नमक छिड़क रहे हैं । तुम मेरे समान किसी के झाँसे में नहीं आना ऑल द बेस्ट प्रियंका कहते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए ।

उसका पति गंदी सी गाली देते हुए उसे बुलाता है । अपने चेहरे पर हँसी लाते हुए वह पति की सेवा करने के लिए चली जाती है ।

प्रियंका और माँ मौसी के घर आ जाते हैं । उन्होंने प्रियंका को चुपदेखा तो लगा कि विनीता की बातों का असर उस पर हो रहा है । वे दोनों खुश हो जाती हैं ।

दूसरे दिन माँ और प्रियंका वापस अपने घर आ जाते हैं । प्रियंका ने किसी से बात नहीं किया । दो दिन बाद वह अपना सामान पैककरने लगी ।

माँ ने सोचा ससुराल जाने के लिए तैयार हो रही है ।माता-पिता दोनों बहुत खुश हो गए । पूजा ने माता-पिता के पैर छुए और कहा आप दोनों मुझे माफ़ कर दीजिए । मैं होस्टल में रहने जा रही हूँ । मैं एक और पतिव्रता नहीं बनना चाहती हूँ कहते हुए निकल गई ।

स्वरचित

के कामेश्वरी

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