रुक्मिणी –  वीणा सिंह : moral stories in hindi

रुक्मिणी अपनी बेटी सुमन और उसके दोनो बच्चों के साथ मुझसे मिलने आई थी.. देखो भाभीजी सुमनी और उसके दोनो बाल गोपाल को.. मांग में दप दप सिंदूर की गहरी रेखा माथे पर बड़ी सी बिंदी लाल चूड़ियों से भरी कलाई और चेहरे पर खुशी शर्म और बेफिक्री के भाव सब मिलाकर सुमन बहुत सुंदर लग रही थी..

दो साल का लव और तीन महीने के कुश को संभालती हुई नानी के चेहरे से खुशी वात्सल्य और संतुष्टि के मिले जुले भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे… दामाद जी और सुमनी मुझे अपने पास हीं रखे है जब जाने को कहती हूं तो दामाद जी पैरों के पास बैठ कर पूछते हैं इस बेटे से कोई गलती हो गई है या सुमन से.. ये बच्चे आपके बिना कैसे रहेंगे… और मैं चुप रह जाती हूं..

                    पांच बेटियों की मां रुक्मिणी की जिंदगी संघर्ष और दुःख से भरा पड़ा था… हमारे घर बर्तन कपड़ा धोने का काम पंद्रह साल तक किया था..

पति बिजली विभाग में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी था.. पहली पत्नी और चार बच्चों के होते हुए भी रुक्मिणी के बापू को शराब और कुछ पैसे के लालच पर सोलह साल की रुक्मिणी से अपनी शादी के लिए हां करवा लिया..

मंदिर में परिवार वालों की मौजूदगी में शादी हो गई.. सोलह की रुक्मिणी और पचास का माधव… झारखंड में ऐसी घटना पहले बहुत आम थी.. पीने की इस बुरी लत ने न जाने कितने परिवार और लड़कियों की जिंदगी को तहस नहस कर दिया…

रुक्मिणी अपने पति माधव के साथ ससुराल आ गई.. सौतन और उसके बच्चों ने खूब गाली गलौज की.. घर के अंदर घुसने नही दे रहे थे.. आज पड़ोस के समझाने पर रुक्मिणी को घर में प्रवेश मिला…

      रुक्मिणी की जिंदगी नरक से बदतर हो गई थी.. रात में माधव पी कर आता और रुक्मिणी के साथ जोर जबरदस्ती करता रुक्मिणी रोती सिसकती जुल्म सहती… पूरे दिन सौत और उसके बच्चे उसको बुरा भला कहते और घर का सारा काम करवाते… रुक्मिणी के बापू मिलने आए. माधव ने दो बोतल अंग्रेजी दारू और कुछ पैसे पकड़ा दिए.. बापू बेटी की पीड़ा समझे बगैर वापस चले गए…

   रुक्मिणी तेईस साल की उम्र में चार बेटियों की मां बन गई थी.. पर कष्ट में कोई कमी नहीं आई थी.

बेटियों को भर पेट खाना भी नहीं मिलता था.. एक औरत जब मां बन जाती है तब खुद के उपर लाख सितम हो बर्दास्त कर लेती है परअपने बच्चों के कष्ट बर्दास्त नही कर पाती है…

       और रुक्मिणी अपनी बेटियों के साथ घर छोड़ दिया..

जवान रुक्मिणी पर कितनों की बुरी नजरें पड़ती..एक हॉस्टल में खाना बनाने और झाड़ू पोंछा का काम करने लगी.. जो खाना बच जाता बच्चों को खिला कभी पानी पी के तो कभी मांड पी के खुद सो जाती…

एक कमरे का भाड़े का घर ले कर रहने लगी.. उसके पति माधव को ये सब नहीं देखा गया… हॉस्टल में उसकी झूठी शिकायत चरित्र हीन होने और चोरी करने की बात कर काम से निकलवा दिया..

दुखियारी रुक्मिणी फिर हमारे घर में काम करने लगी.. सुबह पांच बजे से काम पर निकलती तो शाम को आती.. चारो बेटियां स्कूल जाती मिड डे मील मिलता सरकारी स्कूल में वही खाती.. सुबह रुक्मिणी काम पर से रोटियां लाती वही बासी रोटियां चारो बहने खाती… खाली समय में चारों अखबार का दोना बना दुकान में देती… चमत्कार शायद असल जिंदगी में नहीं होता..

             वक्त गुजरता रहा.. रुक्मिणी की दो बेटियां नर्स की ट्रेनिंग लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स बन गई.. तीसरी पढ़ाई छोड़कर सिलाई सीखने लगी… और सबसे छोटी सुमन एक ब्यूटी पार्लर में साफ सफाई करती और बदले में ब्यूटिशियन का कोर्स करने लगी…

 रुक्मिणी ने अपनी हैसियत के अनुसार साधारण घर परिवार के मेहनती लड़कों के साथ तीनो बेटियों की शादी कर दी.. अपनी गृहस्थी में तीनो सुखी थी… पिता के स्थान पर लोटा रखकर बेटियों का कन्यादान किया…

 सुमन की शादी रुक्मिणी की एक मालकिन ने बहुत संपन्न और नौकरी करने वाले लड़के से करा दी… शादी में रौनक कपड़े गहने देखकर सुमन की बहनों को भी उसके भाग्य से ईर्ष्या होने लगी.. सुमन ससुराल चली गई.. रुक्मिणी मालकिन के पैर पकड़ कर इस अहसान के लिए उन्हें दुआएं दे रही थी…

               सवा महीने बाद दामाद को भेजकर सुमन को मायके बुलाया रुक्मिणी ने… सुमन के आंख के नीचे काले घेरे उदास चेहरा सब बयान कर रहा था.. सिर्फ दो दिन रहने की इजाजत ले कर आई थी सुमन.. बहनों ने बहुत पूछा पर सुमन मुस्कुरा कर टाल गई..

बहनें चली गई रात में जब मां बेटी मिली तो रुक्मिणी ने सुमन का हाथ अपने सर पर रखते हुए बोला सच बता सुमन… सुमन पहले मां के छाती से लगकर जी भर के रोई.. फिर सुमन ने बताया मेरा पति कभी बाप नही बन सकता है … और उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं

अक्सर बहुत इलाज के बाद भी.. सास को लकवा मारे सात साल हो गया है.. तब से बिछावन पर हीं हैं.. ससुर अय्यास किस्म के हैं इसलिए बड़ी बहु अपने पति के साथ दूसरे जगह रहती है इन लोगों से संबंध भी नही रखा है… बहुत मुश्किल से मैं ससुर से अब तक बच पाई हूं . कब उनका शिकार बन जाऊंगी कोई ठीक नही…

रुक्मिणी ने छाती पीट लिया.. मालकिन ने इतना बड़ा धोखा किया मुझ गरीब के साथ!

और फिर रुक्मिणी ने अपने आंसू पोंछ पोंछ लिए.. सुमन को ससुराल नही जाने दिया…

तीन साल के अथक परिश्रम के बाद सुमन को तलाक दिलवा के रुक्मिणी ने दम लिया…

इतने बड़े पैसे वाले पहुंच वाले परिवार से तलाक लेने के लिए रुक्मिणी को कितनी परेशानियों से गुजरना पड़ा ये तो वही जानती है.. पहले प्रलोभन फिर समझौता की बात फिर धमकियां.. वकील को मैनेज करने की कोशिश.. विपक्षी पार्टी के वकील की अश्लील प्रश्न उफ कितना कुछ सहा रुक्मिणी और सुमन ने.. और फिर देर से हीं सही सत्य की विजय हुई..

       और फिर रुक्मिणी ने सुमन की शादी अच्छा मेहनती लड़का देखकर सुमन की पहली शादी की बात बताकर शादी कर दी… आज हंसती मुस्कुराती सुमन सामने खड़ी थी.. 

 वीणा सिंह

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