मेरी ननंद, ननंद कम, सखी ज्यादा – हेमा दिलीप सोनी

सभी पाठकों को जय श्री कृष्णा

हंसी मजाक से बड़ा होता है ननन भाभी का रिश्ता

अच्छे बुरे दौर में साथ खड़े रहना सिखाता है यह रिश्ता

एक दूसरे की गलतियों को कर देना माफ

सुखी परिवार की नींव रख देता है यह रिश्ता

भाभी, भाभी ,भाभी, कहां हो आप??

यह मेरी बड़ी ननन की आवाज है, जो मुझे घर पर नहीं देख कर  आवाज दे रही है

आइए आपको इंट्रोडक्शन कराती हूं मेरी दोनों ननंद का

मेरे ससुराल में मेरी दो ननंद है दोनों मेरे से छोटी है मेरी दोनों ननंद के साथ बहुत अच्छा जमता है, मेरे बड़े ननंद की शादी मेरे से 1 साल बाद ही हुई है,  मैं शादी करके आई उसके बाद हम लोग सिर्फ साल भर ही साथ में रहे

नया नया माहौल, एकदम अजनबी सा, तो थोड़ा अनकंफरटेबल थी मैं ।नई नई शादी करके आई तभी और मन में एक डर सा भी था कि मैं कैसे हैंडल कर पाऊंगी कैसे क्या कर पाऊंगी क्योंकि जस्ट मेरी पढ़ाई पूरी हुई ही थी, फाइनल ईयर के मेरे एग्जाम हो गया और उसके चार-पांच महीने बाद ही मेरी शादी हुई।


तो मुझे घर काम में भी इतनी परफेक्ट नहीं थी ,मैं तो नया नया माहौल शादी वाला तो एकदम डरी हुई थी तो मुझे पूरा सपोर्ट मिला मेरी बड़ी ननद  से ।बोली भाभी आज से आप मेरी  सिर्फ भाभी  ही नहीं हो , हम दोनों दोस्त भी है। आपको कोई भी प्रॉब्लम हो क्या कुछ भी चाहिए रहेगा आप मुझे बोलना बेझिझक डरने की जरूरत नहीं है आपको कुछ नहीं या तो काम भी करता है या फिर सुधरता है ऐसे ही लिखोगे और सबके घर में अलग-अलग तरीके रहते हैं तो, हमारे यहां का तरीका है अलग ,आपके वहां का तरीका अलग है तो कुछ नही, मैं आपको सब धीरे-धीरे बता दूंगी सबकी पसंद खाने में क्या पसंद करते हैं, सब कुछ

फिर हर मेरी छोटी मोटी बात हमें उनसे सांझा करने लग गई मुझे पता ही नहीं चला कि वह मेरी ननंदहै करके मुझे ऐसे लगा कि मेरी सहेली है वह और मेरी बहन मुझे एकदम एक बड़ी बहन के जैसे मान देते थे पूरा। और आज भी वह मुझे देते हैं । ऐसा करते-करते साल भर निकल गया, और उनकी शादी फिक्स हो गई तभी मैं बहुत उदास हुई थी कि अभी आप मुझे छोड़कर चले जाओगे, तो बोले नहीं नहीं मैं आपको परेशान करने के लिए आती रहूंगी हर एक-दो महीने में मैं बोला चलेगा ऐसे प्यार से कोई भी परेशान करता है ना तो भले ही रोज परेशान करे तो भी अच्छा लगता है । शादी हुई और वह ससुराल चले गए उनके नीचे आने के बाद मेरा घर इतना सुना सुना हो गया मैं इतनी अकेली पड़ गई उनको बहुत याद करती थी मैं, शुरु शुरु में तो वह जल्दी आते थे पियर, फिर धीरे-धीरे उनका आना कम हो गया और साल में एक बार ही आने लगे, जब उनके आने का टाइम होता तो बेसब्री से मैं इंतजार करती थी और आज भी करती हूं।

मैं बहुत लकी हूं कि मुझे उनके जैसी समझदार और सुलझी हुई मनन मिली है आज उनकी शादी को भी 20 साल हो गए हैं और मुझे 21 साल हो गए पर कभी लगता ही नहीं कि वह मेरे से दूर गई है, हम लोग की फोन पर घंटों बातें होती है और जब भी ससुराल से वह मायके में आती है छुट्टियां बिताने तभी वह महीना डेढ़ महीना हमारे घर में इतनी रौनक रहती है इतनी रौनक रहती है कि बस पूछो मत पूरा हो टाइम कहां चला जाता है पता ही नहीं चलता उल्टा मेरे साथ से जितना बात नहीं करती मेरी ननंद जितना मेरे से करती है कभी कभी तो मेरी सास भी जेल होती हम लोगों से कि क्या तुम दोनों इतनी बातें करती रहती हो,


तो मेरे नैनन बोलते हैं कि हम लोग कुछ भी बात करें तुम्हें क्या, अगर मुझसे कुछ गलती हो जाती है और सांस मुझे कुछ बोलते हैं तो फटाक से बीच-बचाव  कर लेते, कि नहीं नहीं मम्मी इनकी गलती नहीं है यह तो मेरे से  हुआ है। वैसे तो मेरे सांसों में भी बहुत अच्छे हैं मुझे कभी जब ससुराल में आकर ऐसे ऐसा ही नहीं हुआ कि मैं ससुराल में हूं या मायके में एकदम मायके में रहती हूं वैसे ही रहती हूं यहां पर भी।

मैं नई नई शादी करके मुंबई आई थी तो एक बार की बात है, मैं और मेरी दोनों ननद  हम लोग ट्रेन से कहीं बाहर गए, न नई नई थी तो  मुझे स्टेशन का पता नहीं चलता था, हमें चरनी रोड जाना था और ट्रेन में इतनी रोशनी रस की बचना तो चढ़ने को जगह ना उतरने की जगह अभी सब धीरे-धीरे करके सब स्टाफ आता है तो मैं एक स्टेशन पहले उतर गई भीड़ में ध्यान नहीं रहा,और ट्रेन चल पड़ी भीड़ में से चिल्लाए भाभी वापस चलो अब भाभी वापिस जोड़ो पर मुझे तो भीड़ में सुनाई नहीं दिया,

और जब भी पीछे मुड़कर देखा तो मैं देखा दोनों ननद तो ऊतरी भी नहीं है, मेघा रोने जैसी हो गई औरत अभी मेरे पास मोबाइल भी नहीं था अभी कैसे क्या करूं

थोड़ी देर तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करूं मैं थोड़ी देर बात दिमाग को शांत किया और वहीं मैं बैठ गई। इतने में मेरी ननंद ऑफिस अगले स्टेशन से उत्तर के ऑफिस रिटर्न वाली ट्रेन पकड़ी और जल्दी से आपके पूरे प्लेटफार्म पर दौड़ते दौड़ते आई और आते ही मुझे गले लगा लिया और उनको देख देखकर तो मैं और ज्यादा रोने लग गई ,तो मेरी ननंद बोली कि भाभी आपको लगा क्या ,आपको कहीं लगी क्या क्या हुआ बैठा कर और मेरे हाथ पैर सहलाने लगी मुझे रोता देखकर उनको भी रोना आ गया

उन्होंने मुझे पानी पिलाया और शांत कराया कि वह लोग कुछ नहीं होता है यह सब धीरे-धीरे आप सीख जाओगे फिर भी आज तो बिंदास मैं उनको कहीं पर भी लेकर जाती हूं उन्होंने मुझे इतना परफेक्ट कर दिया

हम दोनों इतना एक दूसरे से यह दिल से जुड़ गई है कि उनका कुछ भी दुख सुनकर मुझे रोना आता है मतलब मुझे फील होता है और मुझे कुछ भी होता है मैं उनको अपने हर मन की बात बताती हूं तो उनको फील होता है ऐसा हमारा ननंद भाभी का रिश्ता हो गया है।

नई-नई शादी हुई तो सुना हुआ था कि वह नंदे तो ऐसी होती है सांसे सी होती है मैं आनंद मतलब और बुरी होती है पर छोड़ मुझे भगवान ने दो ना नदी है दोनों इतनी सुलझी हुई है कि बस कभी-कभी मेरी गलती होती तो डांटते भी है पर मुझे बुरा नहीं लगता है क्योंकि वह अच्छे के लिए मेरे लिए बोलती है वह मेरे से छोटी है पर मेरे से ज्यादा समझदार है

हम लोगों में खट्टी मीठी नोकझोंक भी होती रहती है जब तक दिन में एक बार बात नहीं कर लेते हम दोनों तब तक हम लोगों का दिन होता ही नहीं है पूरा।

वह उनके सगे भाई से ज्यादा मेरे अटैच में है तो मेरे हस्बैंड यानी में ननंद के भाई वह भी बोलते हैं बहन तू मेरी है और इससे ज्यादा क्लोज हो गई है तो तुम्हारी ननंद तो मजाक मजाक में यही बोलती है हां क्योंकि मेरा मायका तो मेरी भाभी से ही है मैं भी बोलती हूं बिना तो ससुराल सुना है मेरा। एक यही तो है जो मेरी सुख दुख के साथी है पाठ को से कहना चाहूंगी कि अगर कोई भी ननद भाभी है तो भाभी ननंद का रिश्ता दोस्त की तरह होना चाहिए। जब भाभी ननंद से उसके भाई की शिकायत करें तो ननंद बचपन की तरह अपने भाई को फटकार लगा दे बोले कि क्यों तंग करता है मेरी प्यारी प्यारी भाभी को


ननंद रानी बड़ी सयानी

करती अपनी मनमानी

रिश्ता अगर दिल का हो तो ननंद और

भाभी भी सहेली ही होती है

अगर मन में जलन और स्वार्थ की भावना ना हो तो ननद भाभी भी बहन जैसी ही होती है

और मेरी ननंद एक ऐसी ननंद है जो जिंदगी में हर मोड़ हर उतार-चढ़ाव पर मेरा साथ देती है और ऐसी ननंद बड़े किस्मत वाले को ही मिलती है मुझे मेरी किस्मत पर बहुत नाज है भगवान करे सभी पाठकों को ऐसी ही ननंद मिले,। जैसा मेरी और मेरी ननंद का रिश्ता है वैसे दुनिया में सभी भाभी और ननद का रिश्ता रहे।

और मैं मेरी भाभी का भी शुक्रिया करूंगी कि उन्होंने मुझसे बहुत प्यार रखा तो मैं उनके जैसी ही बन पाई और अपनी ननंद के साथ भी बहुत प्यार से रही तो लव यू भाभी मां मुझे इतनी अच्छी भाभी बनने के लिए प्रेरित करने के लिए,।थैंक यू थैंक यू सो मच।

सभी पाठकों से अनुरोध है कि मैं अभी कहानी लेखन में  नई नई हूं, अगर शब्दों को चयन करते हुए कुछ भी त्रुटि रह गई हो या कुछ भी और दूसरी भी गलती हो तो आप सभी से हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हूं आप ,मेरी जो भी गलती हो वह कमेंट में लिखकर बताएं

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