कांता रोती जा रही थी, और अपने बेटे रघु को घुटने की चोट पर हल्दी लगाते हुए डांट रही थी, “तुझे कितनी बार समझाया… उधर कॉलोनी में खेलने मत जाया कर इतनी मार भी खाता है,..और फिर वहीं जाता है, भला उन लोगों का और हमारा क्या मेल…!
पर तुझे तो समझ में ही नहीं आता, देखा ना वह बंटी की मां रमाजी कितना भला बुरा सुना गई…और हम गरीब लोग उनका क्या कर सकते हैं, हमारी नियति ही ऐसी है… ” एक तो बंटी ने पीटा और ऊपर से वह तुझी पर इल्जाम लगा रही थीं ..”
कांता की सारी बातें पड़ोस में रहने वाली शकुन सुन रही थी, वह भी उसी कॉलोनी में काम करती थी, कांता को कहने लगी ” अब बस भी कर…बच्चों को डांटे जा रही है…, एक तो उसे चोट लगी है, ऊपर से मार खाकर आया है, और तू उसे ही डांटे जा रही है l
तू बिल्कुल फिक्र मत कर सब ठीक हो जाएगा….यह देख..” कहते हुए उसने अपना फोन कांता को दिखाया जिसमें वीडियो में साफ नजर आ रहा था कि किस तरह रमा अपने बेटे बंटी के साथ आकर आग बबूला होकर कह रही थी ” मुझसे पंगा मत लेना….! यह बस्ती हटवा दूंगी….!आइंदा से रघु कॉलोनी में नजर नहीं आना चाहिए और तुम्हारा उधर कॉलोनी में काम भी छुड़वा दूंगी वगैरा-वगैरा……!!
कांता यह सब देखकर हैरान रह गई…..!!तब शकुन ने कहा ” मैंने वहां खिड़की में खड़े होकर यह वीडियो बना लिया था, जब रमा मैडम तुम पर बरस रही थी, और अब मैं रघु की चोटों का भी वीडियो बनाने वाली हूं और यह सारे सबूत लेकर हम चलते हैं….!
यूनियन के ऑफिस तब मैडम की सारी अकड़ निकल जाएगी….! तू जल्दी तैयार हो, और हां…..रघु को भी साथ ले ले, अब जमाना बदल गया है, हम मेहनत मजदूरी करते हैं, इनके गुलाम नहीं है हमारी नियति के रचयिता ये नहीं है….! आखिर न्याय भी कोई चीज है l
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” अरे….यह रमा मैडम तो है ही… ऐसी कॉलोनी में किसी से भी नहीं बनती… और अपने बेटे को भी सिर चढ़ा के रखा है, मेरी मेमसाब तो बहुत ही अच्छी है, मुझे अपने बच्चों के जैसे रखती हैं… “!!
कांता, शकुन और रघु यूनियन के ऑफिस पहुंचे और यूनियन के वकील मिस्टर माथुर को सब घटना विस्तार से बताई और साथ में सारे सबूत भी दिखाएं मिस्टर माथुर ने कहा ” फिक्र मत करो पूरा पूरा न्याय होगा “तब उन्होंने रघु की ओर इशारा करके पूछा ” बेटा…जब तुम्हारी लड़ाई हुई थी वहां कोई और भी उपस्थित था…? तब रघु ने कहा ” वहां पर हमारे कुछ और दोस्त भी हमारे साथ खेल रहे थे और माली बाबा भी यह सब देख रहे थे…..!!
कुछ दिनों में माथुर साहब ने सारी जांच पड़ताल की तो पाया कि बंटी हमेशा से एक झगड़ालू बच्चा है, जो अक्सर मारपीट करता है, और माली बाबा ने भी कहा ” हां साहब यह सब सच है… और हैरानी की बात तो यह है कि इसके माता-पिता भी उसे कुछ नहीं कहते उन्हें अपने बेटे का कुसूर तो नजर आता ही नहीं, बस दूसरों को दोष देते हैं….!!
उसके बाद माथुर साहब ने बहुत ही ईमानदारी से अपना फैसला सुनाया कि, आज से रमा मैडम के यहां कोई भी काम करने नहीं जाएगा और रमा मैडम और उनका बेटा बंटी यहां सबके सामने आकर कांता और रघु से अपनी गलती की माफी मांगे और बंटी ने जो रघु को चोट पहुंचाई है उसका और कांता जितने दिन काम पर नहीं जाएगी..उसका भी मुआवजा दें.. वरना कानूनी कार्रवाई की जाएगी… I
रमा मैडम को जब नोटिस मिला तो, उनके होंश उड़ गए, दूसरे ही दिन आकर माफी मांगी और मुआवजे की रकम भी भरी… l
मैडम रमा ना जाने किस जमाने में जी रही थी..? उन्हें शायद पता नहीं था कि, अब वक्त बदल चुका है, हर व्यक्ति को अपने अधिकारों का पता है l और नियति सब के साथ न्याय करती है.. I
मौलिक एवं स्वरचित
( काल्पनिक कहानी )
#नियति
लेखक : रणजीत सिंह भाटिया