सच्चाई – माता प्रसाद दुबे |  Very Emotional Story In Hindi 

शाम के पांच बज रहे थे,कौशल्या तेजी से कदम बढ़ाते हुए लाला जी कोठी की तरफ चली जा रही थी। आज उसे देर हो गई थी,वह जानती थी,कि उसके देर से पहुंचने पर लाला जी,उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी,और उनकी इकलौती बेटी पूजा को कितनी तकलीफ होती हैं, नाश्ता,खाना,व अन्य काम की जिम्मेदारी पिछले बीस वर्षों से वही संभालती आ रही थी,लाला जी,एवं लक्ष्मी देवी,उसे अपने घर का सदस्य मानते थे, उसके सुख-दुख का ख्याल रखते थे,तभी उसकी नज़र सामने पार्क के बाहर खड़ी पूजा की गाड़ी पर पड़ी,शायद पूजा बिटिया आई है,मन में सोचते हुए उसने पार्क के अंदर नज़र डाली, उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था, पूजा पार्क में एक लड़के के साथ वहां बैठी हुई थी कौशल्या उस लड़के को देखते ही परेशान होने लगी,उस लड़के को कौशल्या पहचानती थी,वह इस इलाके के भूतपूर्व विधायक बनवारी लाल का बेटा विकास था,जिसकी गलत हरकतों की वजह से इलाके के लोग उससे लोग दूर ही रहते थे, उसके हर गुनाह को बनवारी लाल दबाव बनाकर रफा-दफा करवा देता था। कौशल्या ने कुछ दिन उनके यहां काम किया था। बनवारी लाल की गलत नीयत को भांपकर उसने वहां काम छोड़ दिया था। विकास अपने पिता के नक्शे कदम पर ही चल रहा था। लड़कियों को अपने जाल में फंसाना,नशा करना, मारपीट दबंगई करना उसकी दिनचर्या में शामिल थे। विकास के साथ पूजा को देखकर कौशल्या के मन में अनगिनत सवाल उठ रहे थे,वह एक क्षण के लिए वहां पर रूकी फिर चुपचाप लाला जी की कोठी की तरफ चल पड़ी।

“क्या हुआ कौशल्या! तुम्हारा चेहरा क्यूं उतरा हुआ है?”कोठी पर पहुंचते ही,लक्ष्मी देवी कौशल्या को देखकर बोली।”कुछ नहीं हुआ है भाभी! कौशल्या किचन में प्रवेश करते हुए बोली।”कौशल्या! कोई बात तो जरुर है,जिसे तुम हमें बताना नहीं चाहती हों?”लक्ष्मी देवी किचन के अंदर आते हुए बोली।”भाभी!मेरी कोई बात नही है, मैं पहले काम कर लूं फिर आपको बताऊंगी?”कौशल्या चिन्तित होते हुए बोली।”ठीक है कौशल्या! तुम आराम से बताना”कहकर लक्ष्मी देवी किचन से बाहर निकल गई।
पूजा घर पर वापस आ चुकी थी,वह बहुत खुश नज़र आ रही थी, काफी सोचने के बाद कौशल्या ने उस दिन लक्ष्मी देवी कुछ न कहने का फैसला किया और अपने घर वापस आ गई। कौशल्या सारी रात सो नहीं सकी, उसके मन-मस्तिष्क में विकास का चेहरा घूम रहा था,कही पूजा बिटिया उस विकास के जाल में तो नहीं फस गई? अनगिनत सवाल उसे कुरेद रहें थे,उस ने मन ही मन कुछ फैसला कर लिया था।




दूसरे दिन कौशल्या ने लक्ष्मी देवी से विकास और पूजा की नजदिकियो और उसके पिता बनवारी लाल के कृत्यों के बारे में जितना उसे पता था, उसने स्पष्ट रूप से लक्ष्मी देवी के सामने रख दिया।”कौशल्या! पूजा तुम्हारी भी बेटी हैं, उसे तुमने पाला पोसा है, तुम्हारी चिंता जायज़ है?”लक्ष्मी देवी चिंतित होते हुए बोली।”भाभी! मैं पूजा बिटिया को एक ग़लत आदमी के साथ देखकर भी आपसे कुछ न कहूं,यह मैं सोच भी नहीं सकती”कौशल्या लक्ष्मी देवी से हाथ जोड़ते हुए बोली।”कौशल्या! तुमने हमें सही समय पर हमें सचेत कर दिया है, मैं आज ही लाला जी से बात करती हूं?”लक्ष्मी देवी गंभीर होते हुए बोली।”ठीक है भाभी! यदि मैंने कुछ ग़लत कहा हों तो मुझे माफ कर दिजिएगा”कहकर कौशल्या किचन में काम करने चलीं गईं।

कौशल्या की कही हुई सारी बातें सच निकली, लक्ष्मी देवी और लाला जी पूजा के ऊपर नज़र रखने लगे,वह कही जाती थी तो उसके साथ लाला जी, किसी न किसी को भेज देते थे,लाला जी, और लक्ष्मी देवी, पूजा के लिए चिन्तित रहने लगे,उन दोनों ने बड़ी समझदारी से विकास के बारे में पूजा से कोई भी बात नहीं की,न ही उससे कुछ जाहिर किया। पूजा विकास की अच्छी दोस्त बन चुकी थी,वह फोन द्वारा विकास से बात करती थी,मगर उसे विकास से मिलने का वक्त नहीं मिल पा रहा था, उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसके मम्मी पापा के स्वभाव में परिवर्तन किस बात पर हुआ है और क्यूं? वह विकास के बारे में सोच रही थी, जिससे मिलना, बात करना,उसे अच्छा लगता था, उसके मन में विकास की चाहत का जन्म हो चुका था।




तीन महीने का समय बीत चुका था। लक्ष्मी देवी और कौशल्या की बातें सुनकर पूजा को कौशल्या! जिसे पूजा आंटी कहती थी, उसे यकीन होने लगा था कि विकास के बारे में कुछ ग़लत जानकारियां और मम्मी, पापा को भड़काने का काम आंटी ने ही किया है। कौशल्या काम करके जा चुकी थी,लाला जी, और लक्ष्मी देवी सोफे पर बैठे हुए थे,”मम्मी! पापा! मुझे आप लोगों से कुछ कहना है?”पूजा लाला जी, और लक्ष्मी देवी, के पास बैठते हुए बोली।”बोलों बेटी! क्या बात करनी है?”लाला जी, पूजा को देखते हुए बोले।”पापा! आप लोगों से किसी ने कुछ कहा है, विकास के बारे में?”पूजा लाला जी, और लक्ष्मी देवी से सवाल करते हुए बोली।”हां हम विकास को जानते हैं,वह सही लड़का नहीं है?”लाला जी, और लक्ष्मी देवी एक साथ बोले।”इसमें कोई सच्चाई नहीं है,आप लोगों को विकास के बारे मे ग़लत बताया गया है”पूजा सफाई देते हुए बोली। ग़लत नहीं हमें विकास के बारे में जो पता चला है,वह सच्चाई है” लक्ष्मी देवी क्रोधित होते हुए बोली।”आपको कौशल्या आंटी!ने विकास के बारे में ग़लत बताया है,वह अच्छा लड़का है,उसका परिवार भी अच्छा है” पूजा लाला जी, और लक्ष्मी देवी को समझाते हुए बोली।”हमें कौशल्या की बातों पर पूरा भरोसा है,वह हमसे झूठ नहीं बोल सकती, आखिर वह भी तो तुम्हारी मां जैसी ही है, उसने भी तुम्हें गोंद में खिलाकर बड़ा किया है” लाला जी, पूजा की ओर देखते हुए बोले।”आप लोगों को आंटी पर ज्यादा विश्वास है,अपनी बेटी पर नहीं,जब सच्चाई सामने आएगी तो आप लोग पछताएंगे” कहकर पूजा रोते हुए वहां से चली गई।




विकास और पूजा की फोन से बातचीत नहीं बंद हुई, पूजा विकास को ग़लत मानने को तैयार ही नहीं थी, लाला जी, और लक्ष्मी देवी, पूजा को लेकर परेशान रहने लगें, उन्होंने पूजा की शादी के लिए एक अच्छे लड़के की तलाश शुरू कर दिया था। शाम का वक्त था, पूजा घर के अंदर बने गार्डन में विकास से बात कर रही थी, लाला जी, पूजा की नजरें बचाकर चुपचाप उनकी बातें सुन रहें थे।
रात हो चुकी थी कौशल्या अपना काम समाप्त करके घर जा चुकी थी, पूजा अपने कमरे में जा चुकी थी, लाला जी, पूजा और विकास की बातें चुपचाप सुनकर काफी परेशान नज़र आ रहे थे। वे चिन्तित होकर घर के बाहर गार्डन में इधर-उधर टहल रहे थे। तभी लाला जी की कोठी के सामने पुलिस की गाड़ी आकर रूक गई। गार्ड लाला जी,को बुलाता उससे पहले ही लाला जी,मेन गेट पर पहुंच गए।” कौशल्या!आपके यहां काम करती थी”इंस्पेक्टर लाला जी के करीब आते हुए बोला।”जी हां,काम करती थी नहीं,वह हमारे यहां काम करती है,वह हमारी नौकरानी नहीं घर की सदस्य जैसी है,अभी आधे घंटे पहले तो वह यहां से गयी है, कहिए क्या बात हैं” लाला जी, परेशान होते हुए बोले।”कौशल्या का आधे घंटे पहले एक्सीडेंट हो गया है,उसे एक गाड़ी रौंदते हुए निकल गई है,वह गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं, घटना स्थल पर कुछ लोग जो उसे जानते थे, उन्होंने आपका पता बताया है हमें”इंस्पेक्टर लाला जी,को पूरी जानकारी देते हुए बोला।”ऊफ””यह कैसे हो गया”लाला जी घबराते हुए बोले। लाला जी इंस्पेक्टर से पूरी जानकारी लेने के बाद, लक्ष्मी देवी को साथ लेकर अस्पताल की ओर निकल पड़े।




कौशल्या को काफी गंभीर चोटे आई थी, लाला जी,ने कौशल्या के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती, एक हफ्ते बाद कौशल्या की हालत में सुधार होने लगा, कौशल्या के परिवार के लोगो ने कौशल्या की हत्या के प्रयास की एफआईआर दर्ज कराई, कुछ लोग जिन्होंने कौशल्या को सड़क पर जातें हुए देखा था, उनके अनुसार कौशल्या पर सोच समझकर जानबूझ कर गाड़ी से ठोकर मारकर उसकी हत्या की कोशिश की गई थी।

सुबह के दस बज रहे थें, इंस्पेक्टर लाला जी, के घर कौशल्या के केस की छानबीन करने आए हुए थे।”पूजा! यहा आओ, मुझे तुमसे कुछ पूछना है”लाला जी, पुलिस इंस्पेक्टर के पास पूजा को बुलाते हुए बोलें। जिस दिन कौशल्या का एक्सीडेंट हुआ उस दिन के बाद से पूजा काफी गुमसुम और भयभीत रहने लगी थी,वह चुपचाप आकर लाला जी, के पास सोफे पर बैठ गई।”पूजा जी! क्या आपने कौशल्या जी को आपके घर से काम करके जाने के बाद किसी को उनके जाने की सूचना दी थी” पुलिस इंस्पेक्टर पूजा की ओर देखते हुए बोला। पूजा कुछ नहीं बोली,वह चुपचाप बैठी रही।”पूजा! क्या तुमने विकास को कौशल्या के घर से जाने के बारे में नहीं बताया था, बताओं बेटी डरो नहीं”लाला जी, पूजा की ओर देखते हुए बोले।”जी हां, मैंने विकास को आंटी के निकलने के बारे में बताया था”पूजा स्वीकार करते हुए बोली।”क्यूं बताया था आपने कोई विषेश कारण”पुलिस इंस्पेक्टर पूजा को देखते हुए बोला।”उसने मुझसे कहा था कि उसे कौशल्या आंटी से बात करनी है, उन्हें गलतफहमी हुई है, उसके बारे में”कहकर पूजा रोने लगी।”आप अपना मोबाइल दें दीजिए जिससे आपने विकास से बात की थी” पुलिस इंस्पेक्टर पूजा से बोला। पूजा ने अपना मोबाइल लाकर पुलिस इंस्पेक्टर को दें दिया, लाला जी, से कुछ देर बात करने के बाद पुलिस इंस्पेक्टर वहां से चला गया।




दो दिन बाद विकास को कौशल्या देवी की हत्या के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया गया, कौशल्या की हालत धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी। पूजा गुमसुम उदास बैठी थी, वह अपनी भूल पर आंसू बहा रही थी,जिस आंटी ने उसे विकास जैसे इंसान के चुंगल में फसने से बचाया उसने उसे मौत के दरवाजे तक पहुंचा दिया, उसे पछतावा हो रहा था, अपने ग़लत फैसले पर, उसके कारण ही कौशल्या आंटी को विकास ने जान से मारने की साज़िश रची, उसे खुद से घृणा महसूस हो रही थी,वह सिर्फ पछताने के सिवा और कुछ नहीं कर सकती थी,वह पछतावे की आग में घुट-घुट कर जलती जा रही थी।”पूजा! चलों हम लोग अस्पताल जा रहें हैं,आज तुम्हारी कौशल्या आंटी की अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी,अब वह पूरी तरह ठीक है”लाला जी पूजा की ओर देखते हुए बोले। पूजा कुछ नहीं बोली और रोने लगी।”पापा! मैं कौन सा मुंह लेकर आंटी के सामने जाऊंगी,मेरी वजह से ही उनकी ऐसी हालत हुई है”कहकर पूजा गहरे अंधकार में डूब गई।”पूजा तुम्हें अपने ग़लत फैसले पर पछतावा हो रहा है, तुमने जो गुनाह विकास के बहकावे में आकर किया, तुम्हें उसके ग़लत इरादे नहीं मालूम थे, वरना तुम उसे कौशल्या के जाने के बारे में सूचना नहीं देती”लक्ष्मी देवी पूजा को समझाते हुए बोली।”बेटी! तुम्हारे पछतावे के आंसूओं ने तुम्हें जीवन की इस सच्चाई का एहसास कराया है कि किसी दूसरे पर विश्वास करने से पहले अपने करीब रहने वालों की बात और सलाह की अनदेखी नहीं करनी चाहिए”लाला जी पूजा के सिर पर हाथ रखते हुए बोले।”चलों पूजा! जल्दी तैयार हो जाओ तुम्हारी कौशल्या आंटी तुम्हें याद कर रही है, वह तुम्हें ही पूछतीं रहती है”लक्ष्मी देवी पूजा को निर्देश देते हुए बोली। पूजा एकटक लाला जी और लक्ष्मी देवी देखती रही,और उनके साथ कौशल्या आंटी से मिलने अस्पताल की ओर रवाना हो गई।माता प्रसाद दुबे
मौलिक स्वरचित अप्रकाशित कहानी लखनऊ

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