दुआएँ – गुरविंदर टूटेजा

 नीतू तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं लग रही चलो डॉ० को दिखा आते है…अंकित आज पीछे ही पढ़ गया था…!!!!

  अंकित अभी ठीक लग रहा है रहने दो ना मैं नहीं जा रही डॉ० को दिखाने…!!!!

 नहीं आज तुम्हारी नहीं चलेगी तुम्हे चलना ही पड़ेगा तुम जानती हो कि दिखायेंगे तो डॉ० सर्जरी का बोल देगें तो कौन करेगा…न तुम्हारे मम्मी-पापा हैं ना मेरे…देखो सबका वक्त निकल जाता है सब हो जायेगा…!!!!

  वही हुआ सर्जरी होनी है यूट्रस रिमूव करना पड़ेगा जल्दी ही करवानी है…!!!!

 नीतू तो इकलौती थी पर दो ननदें थी एक को

अंकित ने बोल दिया वो भी सर्जरी के अगले दिन व जेठ-जेठानी लोकल ही थे वो सर्जरी के दिन आ जायेंगे व हॉस्पिटल का टाईम निकाल देगें…बाद में बच्चे भी छुट्टी लेकर आ जाएँगे ..!!!!

 आज सर्जरी के लिए गए तो अभी डॉ० दूसरी सर्जरी कर रहें थे तो नीतू ने अंकित से कहा कि आप अभी शॉप पर चले जाओ जब मुझे ले जाने के पहले ड्रिप लगाएँगें तो मैं आपको व भाभी को लगा दूँगी तब आप लोग आ जाना…!!!!

  उसने सोचा रूम में अकेली बैठकर क्या करूँंगी तो बाहर आ गई वहाँ पर गाँव से कोई डिलीवरी कराने आए थे जुड़वा बच्चें हुए थे दो अम्मा जी बाहर बैठी थी तो उनसे बात करने लग गई उसने उनको बताया कि मेरी सर्जरी है…तो उन्होंने कहा तुम्हारे मायके से कोई नहीं आया..नहीं मेरे मम्मी-पापा  नहीं है व मैं इकलौती हूँ..!!!!

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  तभी नर्स ने नीतू को आवाज लगायी कि आप आ जाईये तो उसने उनको बोला कि मैं जाती  हूँ…!!!!

 उन दोनों ने उसके सिर पर हाथ रख दिया और बोली कि जाओ बेटा सब अच्छे से होगा..उनका प्यार देखकर नीतू की आँखों में आँसू आ गए…!!!!

 अँकित , भाभी व बच्चें भी आ गए थे उसकी सर्जरी बहुत अच्छे से हो गई उसे रूम में शिफ्ट कर दिया तो उसको जब होश आया तो कमरे में दोनो अम्मा जी भी खड़ी थी उन्होंने उससे पूछा ठीक है…??

 उसने हाँ में सिर हिला दिया तो वो दोनो चली गई..!!!!

  रात को अंकित रूके थे उसके पास वो उनके बारे में पूछने लगे तो उसने पूरी बात बताई कि कैसे उसकी उनसे बात हुई थी…!!!!

 अंकित ने कहा…नीतू आज मुझे एक बात का एहसास हुआ कि हमारे अच्छे कर्म किसी अजनबी की दुआओं के रूप में भी हमारे सामने आ सकते है…तुम्हें पता है जब तुम्हें अंदर ले गए तब से लेकर जब तक तुम्हारी सर्जरी नहीं हुई दोनो अम्मा जी ऑपरेशन थेटर के बाहर बैठी रही और तुम्हें दुआएँ देती रही जब नर्स ने बोला की अच्छे से हो गई है सर्जरी… तो बच्चों के सिर पर हाथ फेरकर चली गई…!!!!

 अंकित की बात सुनकर…सुन्न का असर खत्म होने पर नीतू इतने दर्द में भी मुस्कुरा रही थी शायद वो अनजानी दुआएँ थी जो उसके अंदर दर्द से लड़ने के हौसले भर रही थी…!!!!

मौलिक व स्वरचित©®

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

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