“बेटे की वेदना” – कविता भड़ाना

बोझिल, वेदना से भरी रात के बाद, सुबह का सूरज भी दिल के अंधेरे को भर पाने में असमर्थ हो रहा है…

कल तक जो सुबह पापा की रोबीली आवाज से होती थी,

आज वहा सांय सांय करता सन्नाटा पसरा हुआ है, दिल में हूक उठ रही है की काश!! पापा की कही से आवाज आ जाए…

“अरे नालायक अभी सो ही रहा है”, कपड़े देख कैसे पहन रखें है, कैसा फैशन है ये?.. और कार आराम से नही चला सकता तू”…. जैसे जानें कितने ही सवाल है, जो मेरे कान सुनना चाह रहे है पर बोलने वाला तो कल जा चुका है।।।

रोहित के पापा परसों रात ऑफिस से घर आते हुए, कार सहित एक ट्रक के नीचे आ गए थे और मौके पर ही उनकी जान चली गई….

जिस पिता का रोकना टोकना, सलाह देना रोहित को बहुत बुरा लगता था, आज उनकी वही सब बातें बहुत याद आ रही है, परसों सुबह जब पापा ने उसे सिगरेट पीते हुए रंगे हाथों पकड़ा तो माफी मांगने की बजाए वह उल्टा उनसे ही भिड़ गया और मन ही मन कोसते हुए बोला की काश आप मेरे पापा ही नहीं होते और रात को ही अपने पापा को सफेद कफन में लिपटा देख रोहित फूट फूट कर रोने लगा और उसके तीन शब्दों से अस्पताल की दीवारें भी दहल गई

इस कहानी को भी पढ़ें:

वीणा के स्वर -लतिका श्रीवास्तव  : Moral stories in hindi

“लौट आओ पापा”…आप जो बोलोगे में वही करूंगा, पर मुझे यूं छोड़ कर मत जाओ, मुझे माफ कर दो पापा पर आप लौट आओ “…. अचानक रोहित को जाना पहचाना स्पर्श महसूस हुआ तो देखा पापा मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ फेर रहे है… “पापा आप आ गए” कहकर रोहित जोर जोर से रोने लगा…मत रो मेरे बच्चे, तुझे तो अब अपने पापा की जगह लेनी है… अपनी मम्मी और छोटी बहन को भी तो संभालना है ना…. तू तो मेरा बहादुर बेटा है, बस ये याद रखना की मेरी सारी डांट, रोक टोक सिर्फ तेरी भलाई के लिए ही थी….

अब मेरा सफर तो समाप्त हो गया पर मेरे बच्चे तू हिम्मत से काम लेना….बाप का साया नहीं रहने से हजारों गिद्ध तुम्हें नोचने को तैयार रहेंगे लेकिन ना तो तुम्हे डरना है और ना ही कभी हिम्मत हारनी है…मेरा आशिर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा…”अब अलविदा”… ऐसा कहकर पापा एक सफेद पुंज में समा गए…..




रोहित ने जोर से आवाज लगाई… “पापा” 

देखा तो उसके आस पास सारे रिश्तेदार चिंतित खड़े थे, रोहित को पूरे दो घंटे बाद होश आया था… 

पापा को एंबुलेंस से घर लाते वक्त भी रोहित शून्य में ही ताकें जा रहा था….

घर पहुंचकर अपनी रोती बिलखती मम्मी और छोटी बहन को देखकर रोहित ने खुद को संभाला और अचानक से 22 साल का मस्तमौला नवयुवक एक जिम्मेदार व्यक्ति में परिवर्तित हो गया, जिसे अब अपने घर परिवार को संभालना था।..

दोस्तों बहुत खुशनसीब होते है वो लोग जिन के सर पर मां बाप का साया होता है🙏 मां के पैरो में अगर जन्नत होती है तो पिता भी उस बरगद के पेड़ की तरह होता है जो अपने घने साए में अपने बच्चो को हर दुख परेशानी से महफूज़ रखता है….

स्वरचित, मौलिक रचना

#माफ़ी

कविता भड़ाना

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!