सुरेश चंद्र जी की मृत्यु की खबर पूरे फ़्लैट में आग की तरह फैल गई थी । सब की जुबान पर एक ही बात थी कि कितने अच्छे इन्सान थे । वे रोज़ मंदिर जाते थे । अपने जन्मदिन पर मंदिर के पुजारियों को कपड़े बाँटते थे और तो और ज़रूरतमंदों की सहायता करते थे,तभी तो ईश्वर ने उनको इतनी अच्छी मौत दी है ।
हाँ देखिए तो सुबह ही वॉकिंग करते हुए मुझे दिखाई दिए अब दुनिया में नहीं रहे ।
उनकी पत्नी ने बताया था कि उन्होंने नाश्ता किया और पत्नी से जूस माँगी और वह जब जूस लेकर आई थी तो वे गुजर गए थे उनकी साँसें रुक गई थी ।
जितने लोग उतनी बातें । कहते हैं कि मरे हुए व्यक्ति की सब तारीफ़ ही करते हैं ।
पत्नी सरस्वती के पास आकर भी सबने कहा आपके पति तो बहुत ही अच्छे थे । इतने दयालु और मन में भक्ति भावना से परिपूर्ण व्यक्तित्व वाले व्यक्ति तो बहुत ही कम देखने को मिलते हैं । आप खुशनसीब हैं कि ऐसे महान व्यक्ति के साथ जीवन बिताने का अवसर मिला है ।
सरस्वती ने सबको आँसू भरी आँखों से देखा और सोचा आप लोग कितने भोले भाले हो ।जो सुरेश चंद्र की तारीफ़ करते हुए नहीं थक रहे हो ।
मुझसे पूछो कि वह किस तरह का इंसान है । मैंने कितने जुल्म सहे हैं । उसके साथ ज़िल्लत भरी ज़िंदगी गुजारी है । नफ़रत भरी आँखों से सुरेश चंद्र के पार्थिव शरीर को देखते हुए सोचती है कि इस आदमी ने तो मेरा जीवन ही नरक बना दिया था । इसने मुझे और मेरे बच्चों को खून के आँसू रुलाया था ।
वह महानता की आड़ में एक भेड़िया था ।
पचयासी साल की उम्र में भी उसने लाखों रुपये औरतों में लुटाए थे । उसे अपना पुरुष होने का घमंड था । उसकी इन हरकतों से मैं वाक़िफ़ होती तब तक लाखों रुपये पानी में डूब गए थे । वह तो बच्चों को सही समय पर जानकारी मिल गई थी तो जल्दी से उनके बैंक अकाउंट को सील कर उन पर पाबंदी लगा दी थी ।
मैंने इस आदमी की डर से अपनी बेटी की उन्नीस साल में ही करा दी थी ।उसे समझाया कि बेटी शादी के बाद पढ़ लेना ।अपने पिता को तो तुम जानती ही हो ना ।उसने मेरी बात का मान रखा और शादी कर ली इसलिए आज वह खुश है । मेरे बेटे को तो इस आदमी ने बेबात पर डाँटकर मारकर ढीठ बना दिया था और वह पिता के अत्याचार न सह सकने के कारण घर से भाग गया था ।
आज जब सब उस व्यक्ति की तारीफ़ कर रहे थे तो सरस्वती के चेहरे पर उदासी नहीं मुस्कान आ गई थी।
उसे लग रहा था कि मेरे जीवन में जो ग्रहण लगा था वह आज छूट गया है । अब अच्छे से सर धोकर नए जीवन की शुरुआत करूँगी ।
स्वरचित
के कामेश्वरी