“थप्पड़ की गूंज ” – कविता भड़ाना

“सुमन बाहर निकल” डर मत तु, देख ये में हूं स्वाति…

मैं हूं तेरे साथ , तू दरवाजा तो खोल…स्वाति ने बाथरूम का दरवाजा जोर जोर से खटखटाते हुए तेज आवाज में कहा..

डरी सहमी सुमन ने बाथरूम का दरवाजा खोला और बाहर अपनी प्रिय सहेली को देख,  उसके गले लगकर रोने लगी..

स्वाति ने उसे चुप कराया और अंदर कमरे में बिठाकर पानी पिलाया, थोड़ा शांत होने पर स्वाति ने सुमन से कहा…

“आज तुझे सारी बात मुझे बतानी ही पड़ेगी, पिछले कई दिनों से देख रही हूं की तू बहुत डरी डरी सी रहती है”

एक ही कॉलोनी में रहने वाली सुमन और स्वाति बचपन की बहुत पक्की सहेलियां है, एक ही स्कूल और कक्षा में होने के कारण दोनों का पूरा दिन साथ ही बीतता है, दोनो के घरवालों में भी पारिवारिक संबंध है…सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा है पर कुछ दिनों से स्वाति ने सुमन के व्यवहार में बदलाव देखा , हंसती मुस्कुराती सुमन अब डरी सी रहने लगी थी…

आज भी स्कूल से आने के बाद अपनी मैथ्स की नोटबुक लेने आई स्वाति को सुमन के घर में कोई नजर नहीं आया तो वह वापस आने लगी की तभी उसे बाथरूम से सिसकियों की आवाज आने लगी और उसका अंदाजा सही निकला अंदर सुमन ही थी और वो लगातार रोए जा रही थी….. स्वाति ने कड़े स्वर में कहा..”अब कुछ कहेंगी भी या ऐसे ही रोती रहेगी…और आंटी (सुमन की मम्मी) कहा है?

“मम्मी और पापा नानी के घर गए है, छोटे मामा का एक्सीडेंट हो गया तो उनसे मिलने गए हैं रात तक आयेंगे “

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सुमन ने बताया…

“अच्छा तो तू इस लिए रो रही है स्वाति ने कहा”…

“नही स्वाति ये बात नही है” सुमन बोली…

“फिर आज मुझे बता की किस बात से तू इतना परेशान है”….. स्वाति ने कहा…

 उसके बाद सुमन ने जो बताया उसे सुनकर तो स्वाति के तन बदन में आग लग गई, बात कुछ इस तरह से थी….

“सुमन के पापा ने अभी दो महीने पहले ही अपनी छत के दो कमरे नौकरीपेशा पति – पत्नी को किराए पर दिए है, दोनो बहुत ही सभ्य और अपने काम से काम रखने वाले थे और जल्दी ही सुमन के परिवार से घुल मिल गए.. सुमन के पिता सुबह ही अपनी दुकान पर निकल जाते और रात तक आते , सुमन का बड़ा भाई हॉस्टल में पढ़ाई कर रहा है




तो घर पर सिर्फ मां बेटी ही रह जाती… सुमन की मम्मी भी घर में कम ही रुकती, उन्हें तो कॉलोनी की औरतों के साथ गप्पे मारने में अधिक आनंद आता था… इधर किराए पर रहने आए पति पत्नी भी अब सुमन के घर बिना किसी रोकटोक के आराम से आते जाते….. पर सुमन को अपने किरायेदार अंकल का बात बात में उसे छू लेना अखरने लगा था, एक दिन तो हद हो गई सुमन सोई हुई थी की उसे किसी की उंगलियां अपने पैरो पर चलती हुई लगी उसने झटके से आंख खोली तो देखा वो अंकल उसके पैरों की तरफ खड़ा हुआ उसे ही गंदी नजर से देख रहा था और आज तो उसने हद ही कर दी “सुमन घर में अकेली है ध्यान रखना” ये बात सुमन की मम्मी अपने किरायदार की बीवी को बोल कर गई थी और वह मौजूद उस नीच अंकल ने मौके का फायदा उठाने के लिए 15 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की,  वो तो किसी तरह बाथरूम में खुद को बंद करके सुमन ने अपने आप को बचाया वरना अनहोनी हो सकती थी”….. 

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ये सब सुनकर स्वाति ने सुमन का हाथ पकड़ा और ऊपर किरायेदार के कमरे पर पहुंच कर, वहा आराम से बैठे उस नीच को एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया… बौखलाए से उस आदमी ने दोनो बच्चियों पर वार करने की कोशिश की लेकिन तभी सुमन ने छत पर पड़ी ईंट उसके सर पर दे मारी और शोर मचा दिया… थोड़ी देर में पूरी कॉलोनी इक्कठा हो गई और सारी बात जानकर उस अंकल की ऐसी गत बनाई की पूछो मत…तभी उसकी पत्नी भी आ गई और अपने पति का घृणित कर्म जानकर शर्मसार हो गई…

सभी दोनों की हिम्मत की दाद दे रहे थे और सुमन उसकी तो आंखें ही छलछला आई … उसकी प्यारी सखी ने दोस्ती की लाज रखी और उसकी इज्जत बचाने और उस नीच आदमी को सबक सिखाने की “जिम्मेदारी” भी निभाई।

शाम को जब सारी बात सुमन के मम्मी पापा को पता चली तो दोनों हैरान रह गए, किसी पर भी अंधविश्वास करना आज उन्हें बहुत भारी पड़ सकता था…

प्रिय पाठकों जब में दसवीं कक्षा में थी, ये घटना तब मेरी बहुत प्रिय करीबी मित्र के साथ घटित हुई थी, और उस समय बुद्धि के अनुरूक हमनें ऐसे ही सबक सिखाया था




बेटियों को सशक्त बनाए और अपनी बहन, बेटियों की सुरक्षा का खास खयाल रखें…. प्रतिक्रियाओं के द्वारा आपके विचारो का इंतजार रहेगा…धन्यवाद…

स्वरचित, मौलिक रचना

सच्ची घटना पर आधारित

#जिम्मेदारी 

कविता भड़ाना

फरीदाबाद

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