मुझ-पर  हक है उसका – रीमा महेन्द्र ठाकुर

अरे गुरू उठ जा  सुबह हो गयी”

मां की तीखी आवाज गुरु  के कानो में पडी”

 वो कुनमुनाया””

पप्पा आ रहे होंगे “

मै” कल चला जाऊंगा पढने मां”

 ये लडका रोज बहाने करता हैं “” पता नही क्या होगा इसका “

मां बडबडाऐ जा रही थी”

गुरू ने वापस आंखें बंद कर ली “

 वैसे गुरू का नाम गुरू  न था “

गुरू के नाम से भी  एक मजेदार घटना घटी है “

 गुरू का असली नाम वंदित गुप्ता,  पढने में कमजोर,  पर गणित का हिसाब उंगलियों पर गिनने मे माहिर ”  है कभी  एक सवाल  के हल में  देरी  हुई”हो” उसके हिसाब का समीकरण देखते हुए घरवालों ने उसका नाम गुरू रख दिया! 

ये गुरू चल “

 बडे  भाई  वैभव ने उसके चेहरे से चद्दर हटा दी””

शी शी””” 

आज शैलजा  मैम पूरा दिन क्लास संभालेगी  सोच ले”

गुरू  की आंखों में चमक आ गयी!

मेरे भाई “””

 गुरू जल्दी से उठकर बैठ गया”

बस मै ” पांच मिनट मे आया “”

 तेजी से  गुरू गुसलखाने ये घुस गया “

मां बाहर आयी तो वैभव सामने खडा था!

तू भी नहीं जाऐगा क्या,

शी शी “” चुप हो जा मां वो जा रहा है,  वैभव बोला””

क्या बात करता हैं, अभी तो वो नही जा रहा था!  मां ने बैभव की ओर देखा “

 अब जा रहा है न “

तू कितना चिल्लती  है उसपर” बैभव बोला”

हद है”” चल जा रहा है यही काफी है मेरे लिए “” बोलती हुई मां रसोई में चली गई! 

कुछ देर बाद  ,दोनो भाई अपनी  दो पहिया  साईकिल  से  गाली नाले पार करते हुए  ” विद्यालय के सामने खडे थे! 

मै” कैसा लग रहा हूं ‘

बालो पर ऊंगली फिराते हुऐ गुरू बोला”

 मस्त भाई “” अब जा क्लास शुरू होने वाली है, समय पर पहुंचेगा  तो अच्छा  रहेगा “मै भी चलता हूँ,  मेरी भी क्लास शुरू होने वाली हैं “

ठीक है,  अपनी शर्ट की   कालर  को सही करते हुए क्लास रूम की ओर बढ गया गुरू “

क्लास  मे  उसकी नजर ब्लैक बोर्ड पर पडी तो  वो देखता रह गया,  उसे शैलजा मैम ग्रीन साडी मे नजर आयी “

गुरू  कम””

जी मैम”

ये सवाल हल करो “

जी मैम”

अरे वाह गुरू आप तो सच के गुरू है”

शैलजा मैम ने गुरू को  शाबाशी दी “

गुरू को बहुत खुशी हुई ” वो शैलजा मैम को धन्यवाद बोल कर अपनी चैयर की ओर बढ गया! 

 उसे शैलजा मैम से बात करना अच्छा लगता था!

 कुछ देर बाद शैलजा मैम की आवाज उसके कान मे विस्फोटक की तरह  गूंजने   लगी “।  गुरू पलके झपकाना भूल गया! 

दो दिन बाद मेरी शादी है” और  आज ही मै” इस्तीफा देने वाली हूं “

गुरू के कान सुन्न हो गये “

वो उठकर बाहर चला आया,  पीछे से शैलजा मैम उसे आवाज देती रही पर उसने नही सुना! 

वो घर वापस आ गया ” और चद्दर ओढकर चुपचाप रोता रहा”

शाम हो गयी मां  को चिन्ता हुई “

तो वो पूछने गयी”

 गुरू ने कुछ न बताया “

भाई  तू स्कूल से क्यूं आ गया! 

 शैलजा मैम ने आज इस्तीफा  दे दिया  तुझे पूछ रही थी! 

क्यूं पूछ रही थी! 

तुझे पंसद करती है न”

 अच्छा तो शादी क्यूं कर रही  थी!

 पागल बडे होने पर शादी तो करनी होती है न” बैभव मुस्कुराया “

तो  शादी कर ले न ” किसने मना किया,  इस्तीफा देने की क्या जरूरत”

गुरू की बातों से बैभव को हंसी आ गयी! 

 तेरी भी तो होगी””

मेरी “” किससे ” 

तेरी  पत्नी से”




हा हा हा”

गुरू तेजी से हंसा “”

अब मै स्कूल नही जाऊंगा “

ठीक है मत जाना ” अब उठ जा

इस घटना को पंद्रह वर्ष गुजर गये “

इतने वर्षो में गुरू  पूरे परिवार जिम्मेदार बेटा बन चुका था” 

दहलीज  की चौखट पर चांदी के लोटे में  चावल भरे हुए थे”

कनक  ने धीरे से घूघट खोलकर पति की ओर देखा “

गुरू कनक की ओर देखता ही रह गया “भाई  तो ग्यो “”

बडी बहन खिलखिलाकर हंस पडी “

गुरू ने झेपकर नजरे नीचे कर ली”

कनक ने धीरे से दाहिने पैर का अंगूठा टच किया तो। तलियां बज उठी”

क्या माल हैं ” एक दोस्त गुरु के कान मे  फुसफुसाया”

पहली बार गुरू को झटका लगा, और इस शब्द से भी”

वो कुछ न बोला ” पर उसने  मन ही मन सोच लिया की  इन लोगो से दूरी बना लेगा! 

कनक जैसा नाम वैसा गुण खरा  सोना ,  गुरू जैसे जोहरी को मिला “

कनक के आने से  सास ने पूरी छुट्टी ले ली” सब जैसे कनक के रूप में मशीन लेकर आ गये थे! 

दिनभर सबका ख्याल रखते रखते कनक की खुशियां कब छीन गयी किसी को  पता न चला “

बस सिर्फ गुरू के आलावा कनक सबके लिए   रोबोट थी!

गुरू नोट छापने वाली मशीन”

बडा भाई बैभव भी पढ लिखकर बेरोजगार था”

भाभी जबसे आयी थी, दिनभर, बैभव और मां के कान भरती रहती”

इससे कही न कही गुरू से बैभव के मन में हीनभावना भर गयी थी!

दिनभर कनक और गुरू को नीचा दिखाने की कोशिश करता रहता था!

वो कनक  को किसी से बात करते देख लेता तो ” दोषारोपण में ही नही चूकता ,

धीरे धीरे कनक सबके प्यार के लिये तरशने लगी” वो पूरी कोशिश करती की गुरू तक घर की कोई बात न पहुचे” पर किसी न किसी तरह से पहुंच  ही जाती”

गुरू आज समय से पहले घर आ गया था”  घर मे आते ही मां की चिक-चिक सुनाई  दी”

देवर जी को तो रूप जाल में फंसा रखा है ” पूरा दिन लाली लिपस्टिक में लगी रहती ” मां जी मुझे तो लगता  है,इसके पीहर वालो  का ठाट बाट लल्ला जी की आ कमाई से है”

भाभी मां  को बोल रही थी ” गुरू ने सुना और अनसुना कर अपने कमरे की ओर बढ गया!

रसोई से खटर पटर की आवाज आ रही थी ”  वो समझ गया कनक रसोई में है ” 

घर के पीछे से कहकहे गूजं रहे थे ” बैभव भैया की महफिल सजी थी,  चारों बहने साथ में थी”

गुरू  ने  पीछे दीवार पर लगे पर्दे को खिसकाया “

उसका सिर भारी होने लगा “

उसने आंखे बंद कर ली”

ग्यारह से दो बज गये”

 उसे आये तीन घंटे हो चुके थे! 

कनक अब तक न आयी थी “

 आखिर रसोई मे कर क्या रही है”

 गुरू अभी उठा ही था की “”

तेरे बाप ने नही दिया है” भिखारी घर से आयी है “”

मां जी ऐसा तो मत बोलो “




हमे सब पता है कनक तेरा पूरा घर हमारे लल्ला जी की कमाई पर चलता है”

दीदी अब बस करो  ,बहुत हो गया ” भैया  की  कमाई नही है ” वो मेरे पति है मेरा भी हक है! 

मेरा पति नही कमाता तो मुझे ताना मार रही है! 

हे भगवान आने दो लल्ला जी को”

भाभी घडियाल आंसू बहाने लगी””

बैभव इसके  बाप को बुला आज ही  इसका निपटारा कर देती हूं “

हा ठीक है मै भी कौन सा रहना चाहती”हूंआज कनक ने तय कर लिया था की अब और नही “

सभी लोग इकट्टे हो गये थे”

कनक की बडी आंखों में आंसुओं का समन्दर लहरा रहा था! 

क्या हुआ, गुरू की आवाज से सब चौक गये! 

लल्ला तु कब आया “

देख कनक कैसी “”

सब पता है मुझे “बेवकूफ नही हूं”

तीन घंटे से यही हूं”

साफ साफ शब्दो में बोल रहा हूँ “

कनक अर्धांगिनी हैं मेरी, मुझपर उसका पूरा हक हैं ” आपकी तरह वो भी मेरी जिम्मेदारी है!

कनक  ने पति की और देखा ,उसकी आंखों मे पति के लिये सम्मान साफ नजर आ रहा था! 

#जिम्मेदारी 

रीमा महेन्द्र ठाकुर साहित्य संपादक”वरिष्ठ लेखक”

राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत

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