सॉरी शब्द केंसा जादू जैसा होता हेना , पल भर में गिले शिकबे शिकायतें झट से गायब कर देता है।
चलिये खुशी की कहानी सुनते हैं आज , वैसे तो बुरा मानने में सबसे आगे बचपन से ही थी जरा किसी ने तेज बोला तो आखिर बोला कैसे ,एक बार ऐसे ही नाराज होकर छत पर टँकी के पीछे जाकर छिप गई ,सब ढूंढे मिले भी न , मन में सोचा ये क्या ऐसा न हो ढूंढ ही न पाये कब तक रहूंगी यहाँ, शाम भी होने वाली है, जब तक उसके भैया आकर देख लेते हैं और मना भी लेते हैं ।
बड़े होने के बाद भी ज्यादा आदतें कुछ बदली नहीं बुरा मानने में सबसे आगे और जिससे शादी हुई वो तो अपने परिवार में बुरा मानने वाले भैया से ही पुकारे जाते थे ,सब बड़े छोटे भाई उनको बचपन में मनाते ही रहते थे गुस्सा होने पर ।
इधर जब ख़ुशी की शादी हुई तो वैसे तो हर मां को चिंता रहती है, जब बेटी शादी होकर नए घर जाए तो कैसे सब नया संभालेगी ,सब प्यार देंगे कि नहीं ,लेकिन बुरा मानने की आदत के कारण ज्यादा लग रहा था उन्हें कैसे सबके साथ सामंजस्य बिठाएगी ।
शादी के समय भी अमन से बोला सम्भाल लेना नादान है गुस्सा जल्दी हो जाती है ।
आप चिंता न करें ,अमन ने आश्वासन दिया।
जब शादी हुई तो कई रूल्स बनाये खुशी और अमन ने , उसमें से एक था कभी भी कोई झगड़ा हो बिना सुलह करे नहीं सोएंगे ।
ऐसे में एक शाम जब अमन ऑफिस से आया तो कुछ गलतफहमी वश गुस्से में तेज बोल दिया , जबकि गलती खुशी की नहीं थी ओर गुस्सा होकर जनाब बाहर भी निकल गए ओर फ़ोन भी बंद कर लिया ,असल में गुस्सा तो खुशी हुई , क्योंकि अमन तेज बोला बिना बात जाने ।
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खुशी ने ये बात बहुत पहले पड़ी थी कि
बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति भूल जाओ ,व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ ओर तब से ही ये बात आत्मसात कर ली थी ।
ओर माफी का मतलब यह नही है कि आप गलत हैं,कभी कभी माफी का मतलब ये भी होता है कि आप अपने रिश्ते को अहंकार से ज्यादा महत्व देते हैं ।
इसलिए बात को साइड करके फोन की कोशिश करती रही सोचा कहाँ परेशान होंगे, आना तो घर है ही चाहे लेट आएं ,ओर लेट होने पर चिंता भी होगी ,शहर नया था दोस्ती यारी भी थी नहीं, इससे अच्छा जल्दी आ जाएं और ऐसे में उसका मन भी लगने से रहा ,थोड़ी देर बाद कॉल लग गया बिना समय गवायें सॉरी बोलकर , कसम है आपको घर आ जाओ बोल दिया ख़ुशी ने , कसम मतलब ब्रह्मास्त्र हो जाता है, थोड़ी देर बाद आ जाता है अमन और चेंज करके खाना से फ्री होकर अमन से बोलती है तेज तो आप मुझसे बोले थे सॉरी तो आपको बोलना चाहिए, बोलो जल्दी नहीं तो में गुस्सा रहूंगी ,सॉरी बाबा सॉरी कान भी पकड़ूँ क्या ओर अमन मुस्कुराता है अच्छा हुआ तुमने कॉल कर दिया नहीं तो में सोच रहा था ,ग़ुस्से अकड़ में नहीँ लगाओगी फोन तो कहाँ जाऊंगा रात में , सोचा एक बार कोई फ़िल्म चला जाता हूँ पर उसका टाइम भी निकल चुका था।
खुशी कहती है ओर क्या ,देखा मेरा दिल कितना बड़ा है अब थैंक्यू भी बोल दो इसी बात पर , और दोनों हँसतें हैं ……….
#मासिक_प्रतियोगिता_अप्रैल
नंदिनी
स्वरचित
#अप्रैल2023