पुष्पा निवास को कन्हैयालाल जी ने बहुत दिल से बनवाया था और नाम अपनी जीवन संगिनी पुष्पा के नाम पर रखा था जिन्होंने जिंदगी के सारे उतार चढाव मे सारी जिम्मेदारियों मे हमेशा कन्धे से कन्धा मिलाकर साथ दिया,,,,उनके चार बच्चे थे,,3 बेटे और 1 बेटी,,
सभी के विवाह पुष्पा जी ने अपने हिसाब से किए थे पर सबसे छोटे बेटे ने अपने कॉलेज की फ्रेंड से शादी की इच्छा जतायी और पुष्पा जी सोच विचार करके तैयार हो गयीं।
सुधा और जया उनकी बड़ी और मंझली बहुएं थी और अब तीसरी कावेरी जो कि एक मल्टीनैशनल कम्पनी मे काम करती थी,,,यही बात सुधा और जया को समझ नहीं आ रही थी,,
मुहँ दिखाई की रस्म चल रही थी,,तो सुधा अपनी देवयानी से बोली, “जया,,ये मम्मी जी को हुआ क्या है,,कैसे देवर जी की पसन्द को बहु बनाकर लाने को तैयार हो गयीं,,,और वो भी नौकरी वालीं, “
” भाभी,,मुझे खुद समझ नहीं आ रहा,,कहां तो हम पर इतनी रोक टोक करती हैं,,और ये महारानी रोजाना घर से बाहर जाएगी,,,इसका मतलब तो ये हुआ भाभी,,,कि हमे इसकी भी नौकरी बजानी होगी?” अफसोस करती हुई जया बोली।
“हूं,,,,,मैं तो करूंगी नहीं नौकरी इसकी,,,,और वैसे भी जया हम दोनों इसकी जेठानी हैं,,रौब तो रखना होगा वर्ना हमे तो कच्चा खा जाएगी ये ” मुहँ बनाते हुए सुधा ने कहा।
“पर भाभी,,,,मुझे तो लगता नहीं कि इसको काम की जरा भी आदत होगी,,,नाखुन देखे इसके कितने लंबे लंबे हैं,,,” हसरत भरी निगाहों से नाखुन देखते हुए जया ने कहा।
दोनों को फुसफुसाते देखकर पुष्पा जी ने आवाज दी, ” बड़ी बहु,,,सभी के चाय नाश्ते का प्रबंध करो,,,और छोटी बहू कावेरी का कमरा ठीक कर दिया ना “
“जी मम्मी जी,,सब कर दिया ” कहते हुए जया ने सुधा को देखा,,मानो कह रही हो,,,,लो भाभी हमे तो अभी से उसकी सेवा मे लगा दिया।
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फिर पुष्पा जी ने कावेरी से कहा, ” छोटी बहू चलो,,उठो,,और जाकर थोड़ा आराम कर लो “
भारी गहनों और लहंगे से लदी हुई कावेरी जैसे ही उठी, वैसे ही लड़खड़ा गयी,,अगर पुष्पा जी ने सम्भाल ना लिया होता तो वो बहुत जोर से गिरती
उसकी ऐसी दशा देखकर सुधा और जया दोनों मुस्करा गयीं।
कावेरी को उसके कमरे मे बिठाकर जया चली गयी,,कावेरी ने देखा कि उसके समान की अटैची उसी कमरे मे रखी है तो उसने फटाफट कपड़े बदले और तकिये पर सिर रखकर लेट गयी,,,विवाह के बाद से लगातार रस्मों के चलते उसकी जरा भी कमर सीधी करने का मौका नहीं मिला था,,और जैसे ही मिला वो लेट गयी,,15 मिनट का सोचकर लेटी थी पर कब 2 घण्टे हो गए उसकी पता ही नहीं चला,
बाहर मेहमान इकट्ठा होने लगे थे नयी बहु कहां है कि आवाज शुरू हो गयी,,,
पुष्पा जी ने सुधा से कहा, ‘ बड़ी बहु मैंने तुम्हें कहा था छोटी बहू को ले आओ बुलाकर,,तुम लाई क्यूँ नहीं “
सुधा ने जान बूझकर मेहमानों को सुनाते हुए थोड़ा तेज आवाज मे कहा,,’ मम्मी जी, मैं तो कबसे बुला रही थी पर वो महारानी जी तो खर्राटे भरकर गहरी नींद मे है “
पुष्पा ने बात संभालते हुए कहा, ” रस्मों से थक गयी होगी,,जाओ दुबारा बुलाकर ले आओ “
पैर पटकते हुए सुधा चली गयी और तेज आवाज मे बोली, ” छुटकी तुम सुन क्यूँ नहीं रही हो,,,बाहर मेहमान आ गए हैं और मम्मी जी तुम्हें कब से बुला रही हैं “
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अचकचा कर एकदम से उठते हुए कावेरी बोली,,” हाँ,,,,जी,,भाभी,,चलती hun” बाथरूम मे जा कर चेहरा धोया,,काजल लिपस्टिक सही की ओर बाहर आ गयी।
उसकी ऐसे देखकर पुष्पा जी थोड़ा नाराज हुई और बोली, ” शादी का जोड़ा उतरने से पहले एक बार मुझसे पूछ तो लेती छोटी बहू,खैर बैठो सिरगुंथी की रस्म करनी है। “
नंद ने सिरगुंथी की रस्म करते हुए कहा, “भाभी नेग बड़ा सा लुंगी आपसे तो मैं,,आखिरकार आप नौकरी करती हो,,दोनों बड़ी भाभियों से मैंने कुछ नहीं माँगा था “
कावेरी ने हँसते हुए कहा, ” बिल्कुल दीदी “
एक हफ्ता मेहमानों के आने जाने मे ही बीत गया,,
और 2 दिन बाद कावेरी की छुट्टियां खत्म होने वाली थी,,,
ये सोच सोच कर सुधा और जया को बैचेनी हो रही थी तो पुष्पा जी से बोली, “” मम्मी जी,,छोटी के बाहर जाने से घर की मर्यादा का क्या होगा “
सुनकर पुष्पा जी को भी अच्छा नहीं लगा पर बेटे की पसन्द के आगे मजबूर थी।
2 दिन बाद कावेरी जल्दी उठी नाश्ता बनाया और ऑफिस के लिए तैयार हो गयी,,फिर बाहर आकर पुष्पा जी को कहा, ” मम्मी जी, मैंने नाश्ता बना दिया है,,क्या मैं ऑफिस जा सकती हूं “
पुष्पा जी के कुछ कहने से पहले ही जया बोल उठी, ” खुशी खुशी जाओ,,बहन,,तुम्हारे ही तो मजे हैं,,,,,,,”
इससे पहले कि जया कुछ और कहती पुष्पा जी ने उसको चुप कराते हुए कावेरी से कहा, ” बहु, ऑफिस से आकर रसोई और बर्तन साफ करने की तुम्हारी जिम्मेदारी रहेगी “
“जी मम्मी जी,,,”मुस्कराते हुए कावेरी चली गयी।
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इधर सुधा ने कड़ाही से प्लेट उठाकर देखा और उसमे पोहा देखकर भागी भागी पुष्पा जी के पास गयी और बोलो, ” मम्मी जी,,ऑफिस वालीं महारानी ने तो पोहा बनाया है,,हम तो पराठे या कचोड़ी ही बनाते है नाश्ते मे “
पुष्पा जी ने कहा, ” बड़ी बहु हो सकता है उसके घर मे हल्का नाश्ता बनता हो ,,उसको मैं समझा दूंगी,,अभी तुम कुछ और बना लो “
पुष्पा जी सारे दिन सोचती रही अब घर मे कलह जल्दी शुरू होगी,,,कैसे बचाया जा सके घर को ।।
इधर सुधा और जया सोच सोच कर खुश थी कि शाम को मजा आएगा जब छोटी महारानी बर्तन रगड़ेगी और यही सोचते हुए दोनों ने सुबह से एक भी बर्तन नहीं साफ़ किया और बर्तनों का ढेर लग गया,,,,अब दोनों को शाम का इंतजार था,,दोनों खुश थी कि अब छोटी को बाहर के साथ-साथ घर का भी काम करना होगा।
शाम को कावेरी घर आयी तो उसके हाथ मे एक पैकेट था,,,उसने कहा, ” मेरे ऑफिस के बाहर ये कुल्फी मिलती है, मैं अपनी माँ के लिए ज्यादातर ले जाया करती थी,,आज आप सब के लिए लाई हूं,,आशा करती हूं आपको पसन्द आएगी “
गर्मी की शाम मे ठण्डी कुल्फी से मन की कड़वाहट थोड़ी कम हो गयी थी।
कुल्फी खाते हुए पुष्पा जी ने कहा, “छोटी बहू अब घर का काम देख लेना “
“जी मम्मी जी, कहते हुए ” कावेरी ने अंदर जाकर कपड़े बदले,,और एक टब मे डिश वाशर घोलकर फटाफट सारे बरतन साफ कर दिए, पूरी रसोई साफ करके चमका दी।
सुधा और जया ये देखकर दंग थी कि कावेरी के माथे पर एक भी शिकन नहीं आयी सारा काम सफाई से कर दिया,,साथ ही बर्तन साफ करने का नया तरीका भी सीख लिया।
कुछ दिन सब अच्छा चलता रहा,,फिर एक शाम कावेरी अपने साथ एक लड़की को ले आयी,,
पुष्पा जी ने पूछा, ” छोटी बहू, ये कौन है,,इसको अपने साथ क्यूँ लायी हूं?”
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कावेरी ने कहा, ” मम्मी जी, ये हमारे ऑफिस के माली काका की बेटी है,,इसको घर दिखाने लायी हूं क्यूंकि ये मालिश बहुत अच्छी करती है “
“मालिश,,,,,,,मुझे मालिश की बिल्कुल जरूरत नहीं है,,,,कभी-कभी दर्द होता है तो बड़ी बहु और मंझली बहुएं तेल लगा देती हैं,,,”
“मम्मी जी,, सच मानिये,,राधा बहुत अच्छी मालिश करती है,,,कहकर राधा से बोलती है, राधा घर देख लिया ना तुमने,,आ सकेगी ना कल “
“हाँ दीदी आ जाऊँगी ” कहकर राधा चली गयी,
सुबह को राधा जल्दी आ गयी और तेल गर्म करके जब पुष्पा जी के पैरों की मालिश की तब उन्हें बहुत आराम मिला।
मालिश करके जब राधा ने झाड़ू उठाई तो पुष्पा जी ने कावेरी को इशारों से बुलाकर कहा, ” बहु क्या अब ये सफाई का काम भी करेगी? हर महीने तनख्वाह जाएगी,,,क्यूँ खर्चा बढ़ा रही हो?”
कावेरी ने कहा, ” मम्मी जी, मैं सैलरी की बात कर लुंगी,,देखिए ना दोनों भाभियों सारा दिन लगी रहती हैं,,जरा भी आराम का उन्हें समय मिलता ही नहीं “
अब सुधा और जया के मन से सारी कटुता बह गयी उनको लगता था नौकरी वाली लड़की आयेगी तो अपने नखरे दिखाएगी उन पर रौब जमायेगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ,,,
अब तीनों मिलकर रहती,,यहां तक कि बहुत बार तो कावेरी के हिस्से के भी सारे काम कर देती थी,,
पुष्पा जी का घर जोड़ कर रखने का सपना उनकी बहुओं ने भी पूरा कर दिया। ।
इतिश्री
नीलिमा सिंघल