“दुल्हन आ गई, दुल्हन आ गई” का शौर करते हुए बच्चे घर के अंदर भागते हुए आए, तो सुमित्रा जी ने जल्दी से पूजा की थाली तैयार करी और द्वार पर बहु का स्वागत करने आ गई, रीति रिवाजों से सारी रस्में निभाई गई और इस तरह सुमित्रा जी भी आज बहु वाली हो गई थी…
रायमा बहुत ही सुंदर और प्यारी बच्ची थी, पूरे घर का और बाहर का काम बहुत जल्दी संभाल लिया था उसने…
सुमित्रा जी भी अब घर के पास वाले मंदिर में होने वाले आयोजनों और मंदिर समिति के अन्य कार्यों में व्यस्त रहने लगी …ऐसे ही एक दिन दोपहर को सुमित्रा जी जब मंदिर से घर लौटी तो थोड़ी अनमनी सी दिखी , रायमा ने पूछा…. ” मम्मी जी क्या हुआ? आप कुछ ठीक नहीं लग रही कोई बात हुई है क्या?… बहु के मुंह से ये बात सुनकर सुमित्रा जी बोली ” नहीं बेटा ऐसी तो कोई बात नही है पर लगता है बच्चो ने संस्कारों से बिलकुल मुंह ही मोड़ लिया है “…
कल जो फल में मंदिर के बराबर वाली दुकान से लाई थी …”वही जो खराब निकले” रायमा ने बीच में कहा…”हां बेटा वही”…. सुमित्रा जी बोली ….फिर आगे बताने लगी..
मैं आज जब दुकान पर ये बात कहने गई तो वहा मौजूद 22/23 का लड़का मुझ से कहता है की हम कोई घर तो बनाते नही है ये फल, जो शिकायत लेकर आ गई, तुम्हारा तो काम ही मुझे ये लगता है की फ्री का मॉल बटोरती फिरो…
“जो रिश्ता विपत्ति बांटने के लिए बनाया जाता है वह खुद संपत्ति बांटने के चक्कर मे बंट जाता है।” – भगवती सक्सेना गौड़ : Moral Stories in Hindi
मैने कहा भी कि में सिर्फ बताने आई हूं ताकि आगे से तुम ध्यान रखो, पर वो लड़का तो सब के सामने ही पता नही क्या क्या कहने लगा… मुझे बहुत बुरा लगा और अब आगे से वहां से में कुछ भी नही लूंगी ….
सुमित्रा जी ये बोल कर अपने कमरे में चली गई…. शाम के वक्त कालोनी की दूसरी महिलाओं के साथ सुमित्रा जी बैठी हुई थी की तभी वही फल वाला लड़का वहा आया और सुमित्रा जी के पैरो में गिरकर माफी मांगने लगा.. “माजी मुझे माफ कर दो , मुझ से गलती हो गई जो आप से बदतमीजी कर बैठा और दोनो हाथ जोड़कर खड़ा हो गया” सुमित्रा जी और अन्य महिलाएं आश्चर्य से उस लड़के को देख रही थी …
“अपने किए की माफी मांगता हूं और आज के बाद किसी के साथ भी बदतमीजी नही करूंगा” आंखों में आसूं लिए वो लड़का बोला… ठीक है बेटा, कोई बात नही .. तुम्हे माफ कर दिया मैने… सुमित्रा जी बोली …
लड़का जाने के लिए मुड़ा और फिर वापस आकर बोला
“मैने आपके पैर पड़कर माफी मांग ली है ये बात आप भाभी जी को बता देना वरना वो मुझे फिर से पीटने को बोल कर गई है”…
हे प्रभु!!… ये क्या कह रहे हो तुम … किसने पीटा तुम्हे…..भाभी कौन है?… सुमित्रा जी ने हैरान होकर पूछा….
बाबुल। – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi
वही जो कभी कभी आपके साथ मंदिर, और मेरी दुकान से फल लेने आती है, उन्होंने आज दोपहर दुकान पर आकर ग्राहकों के सामने मुझे बहुत मारा, अपने गाल सहलाते हुए लड़का बोला ….
तभी सामने से रायमा आती दिखी सुमित्रा जी ने अविश्वास से पूछा, बहु ये जो कह रहा है क्या वो सच है?
“जी माजी बिलकुल सच है” रायमा ने जवाब दिया
मेरी मां समान सास से कोई बदतमीजी कर जाए, ये मैं सहन नही कर सकती बल्कि अपने परिवार के किसी भी सदस्य के लिए में किसी भी हद तक जा सकती हूं और यही बात आपके साथ बदतमीजी करने वाले इस लड़के को बहुत अच्छे से समझा दिया है… रायमा ने मुस्कुराते हुए कहा…
पर अगर ये तुम पर हाथ उठा देता या कोई ऊंच नीच हो जाती बहुरानी तो क्या इज्जत रह जाती तुम्हारी… कॉलोनी की अन्य महिलाएं बोली….
“जी में कराटे में माहिर हूं और अपनी आत्मरक्षा बहुत अच्छे से कर सकती हूं, इसके जैसे चार पांच जनों को तो आसानी से धूल चटा सकती हूं ” ये बात कहकर रायमा ने अपनी सास का हाथ थामा और घर की ओर चल पड़ी..
सुमित्रा जी को आज अपनी लक्ष्मी जैसी बहु में जुल्म के खिलाफ लड़ने वाली मां काली के भी दर्शन हो गए थे
और पीछे खड़ी सारी महिलाएं एक साथ बोल उठी..
“बहु हो तो ऐसी “
सच्ची घटना पर आधारित
स्वरचित मौलिक रचना
#बहु
कविता भड़ाना
फरीदाबाद