अच्छी बहू – नंदिनी

मानसी अल्हड़ सी बिंदास जिंदगी जीने वाली, किसी की उसे ज्यादा कोई परवाह रहती  नहीं थी ,एक जुडवा भाई रमन था ,बराबरी के थे पर चलाती अपनी ही थी उस पर भी । पढ़ाई पूरी हुई और जॉब भी लग गई अपने व्यस्त दिनचर्या में घर के कामों में भी कोई रुचि नहीं थी ।

इस बीच अच्छा रिश्ता आया, तो पहले तो कहा अभी शादी नहीं करनी की रट लगा दी ,पर पापा के कहने पर, मिल लो पसन्द नहीं आया तो कोई बात नहीं घर परिवार अच्छा है लड़के की जॉब अच्छी है तो फिर मान जाती है,

चलो मिल लूंगी लेकिन जरूरी नहीं में हां करूँ ठीक है ।

निर्धारित दिन किया जाता है  मिलने का ,अंकुर का बड़ा भाई तो फैमिली के साथ अमेरिका में था ,अभी मम्मी पापा ओर अंकुर आये ,परिवार खुले विचारों का था बोले जॉब भी कर सकती है मानसी शादी के बाद, कुक भी है घर में ,खाना नहीं बनाना आता कोई बात नहीं ,अंकुर भी दिखने में अच्छा था, बातों में भी अच्छा लगा ,कुछ सम्यपश्चात अंकुर का परिवार चला गया , अब रुपाली कुछ सोच विचार में लगी थी कि भाई रमन ने खिंचाई शुरू कर दी ,क्या मम्मी ऐसी जगह देखना था न कि खाना बनाना पड़ता, सासु मां का घूंघट करना पड़ता तब तो मजा आता हेना ,अच्छा बच्चू तेरी बीबी से बनवाएंगे खाना और जरा अच्छा नही हुआ न तो नखरे भी बताउंगीन समझे , अरे पर तुम तो मना कर रहीं थीं अभी नहीं करनी शादी , तुम्हारे इरादे कुछ नेक नहीं लग रहे कहीं तुम्हें अंकुर पसंद तो नहीं आ गया ,देख़ो न मम्मी कितना परेशान कर रहा है रमन ,कुछ बोलो न इसे ।

हाँ रमन मत कहो कुछ वैसे भी उसे शादी अभी नहीं करनी पापा के कहने पर मिलने तैयार हो गई बस ,तो फिर क्या कहूँ उन्हें मना कर दुं ,अरे मैंने न कब कहा मानसी झट से बोल पड़ती है ,

मां और रमन हंसते हैं ,अच्छा  जी मतलब अंकुर पसन्द आ गया है तो हाँ कर दूं , ओर पंडित जी को बुला के तारीख निकलवा लूं  ,इतने में पापा कमरे में दाखिल होते हैं ,अरे किस बात की तारीख निकाली जा रही है, शादी की सुनकर खुश हो जाते हैं ,देखा मैंने कहा था परिवार अच्छा है  मिल लो ,कहां तैयार नहीं थी शादी के लिए अब देखो बिट्टो  हमसे दूर जाने को राजी हो गई अंकुर के लिए ,मानसी गले लग जाती है पापा के ।

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एक महीने बाद ही शादी का महूर्त निकलता है धूमधाम से शादी हो जाती है मानसी का बड़े अच्छे से स्वागत होता है , सारी रस्मों रिवाज के बाद मेहमान चले जाते हैं ।

दो मंजिला घर में उसका कमरा ऊपर था ,कुछ टाइम के लिए उसने जॉब से ब्रेक लिया था सोचा जॉब तो चेंज करनी ही थी तो शादी के बाद घूम फिर लूं ओर थोड़े दिन बाद नई जॉब करूँगी ।मीना

घर में खाना बनाने के लिए  आती थी ,जिम्मेदारी के नाम पर मानसी को कुछ नही सम्भालना पड़ रहा था ,घूमने  आने के बाद कुछ मीठा बनवाने की रस्म होनी थी मानसी ने कहा मुझे तो नहीँ आता बनाना ,सरलाजी कहतीं हैं कोई बात नहीँ में बताती जाऊंगी तुम बस करते जाना ,हलवा बन गया सबसे नेग मिल गया मानसी बड़ी खुश थी अंकुर भी ख्याल रखता था , वह अपनी मर्जी की मालिक थी देर तक सोना बस नाश्ते के समय नीचे आना ,खाना भी अपने रूम में ले जाती, सरला का मन करता कभी बैठे हमारे साथ भी ,अपनी सहेलियों से मिलने जाती तो भी बिना बताए चली जाती, एक बार खाना बन गया और बताया नही की बाहर जा रही अपनी फ्रेंड्स के साथ ,जाने लगी तो सरला ने पूछा कहीं जा रही हो, मेरा मूवी का प्लान बना है, लंच भी बाहर करूँगी, बेटा बता देतीं खाना पूरा बन गया ,तो मेड को दे दीजियेगा उसमे क्या इतना सोचना ओर चली जाती है

मानसी को बस अंकुर से ही मतलब था ,एक बार सरला के भाई का परिवार आता है ,मानसी को मिलने बुलाती हैं ,आने के बाद कुछ देर में ही वह जाने लगती है तो मां कहती हैं बेटा खाने तक साथ रहो अच्छा लगेगा , नहीँ मां में खाना लेट खाऊँगी अभी मेरा बैठने का बिल्कुल मूढ़ नहीं ओर चली जाती है ,सरला भाभी के सामने अरे आज मानसी का सुबह से सिर दुख रहा था इसलिए वह नही बैठी ,चलो खाना खाते हैं ।




सरला अंकुर से ये सब बातें करके परिवार का माहौल  नही खराब करना चाहती तो यूंही चलता रहा , एक बार खाना बनाने वाली 3 दिन की छुट्टी पर गई , सुबह से अंकुर का टिफिन नाश्ता खाना में सरला लगी थी अंकुर मानसी से कहता है ,थोड़ा हेल्प करा दो मां परेशान हो रहीं अकेली , अरे मुझे खाना बनाना नही आता पहले ही बोल दिया था,अंकुर कहता है अरे उसमे क्या मुश्किल काम है सीख भी तो सकते हैं जरूरत पड़ने पर मैने भी किया है ,मुझे नही सीखना ओर कुछ दिन में जॉब लग जायेगी मुझसे ये किचिन काम नही होता ,ठीक है चलो टॉफिन ही  पैक कर देना उतना ही हेल्प हो जाएगी, अनमने मन से  आ जाती है किचिन में ,फ़टाफ़ट टिफ़िन पैक करके चली जाती है।

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कुछ सम्यपश्चात मानसी की जॉब लग जाती है ,सरला को तो मानसी का घर होना, न होना एक बराबर लगता, कोई अपनापन नहीं था रात का खाना भी साथ नहीं खाती, 

सरला कुछ कहने पर दो टूक से जबाब दे देती मुझसे नहीँ होगा , टाइम नहीं है ।

बस अपनी ही खुशी का ख्याल रखती अंकुर के सिवा उसे किसी से मतलब नहीं था सरला की कभी तबीयत खराब होती तो बस 2 4 मिनिट बैठ कर चली जाती उन्हें किसी चीज की जरूरत तो नहीं वो भी न पूछती ,

सरला ने भी शांति बनी रहे कुछ भी कहना छोड़ ही दिया था , कुछ महीने बार मानसी के भाई रमन की शादी होती है , सुमन बड़े अमीर परिवार से आई थी नोकर चाकर वाला घर था उसका , 

मानसी शादी के दो दिन ओर रुककर वापस आ जाती है । 

सुमन वैसे ही बड़े घर से आई थी तो कुछ काम तो दूर   अपने काम के लिए भी आर्डर देती हाउस हेल्प को ,मायका एक शहर में था जब चाहे बिना बताए चली जाती रुक भी जाती ,घर आने वाले मेहमानों से उसका व्यवहार तनिक भी अच्छा नही था ,बुलाने पर भी कमरे से देर से बाहर आती , बैठती भी तो पूरे समय फोन में लगी रहती, मेहमान के जाने के बाद चिढ़ कर कहती भी किंतने मेहमान आते हैं।

रमन का बहुत समय टूर पर जाता ,उसके जाते ही मायके चली जाती ,एक बार मानसी की मां की तबीयत खराब थी  ,रमन भी टूर पर था ,सुमन मायके थी बताने पर भी नहीं आई बोला मेड काम कर देगी मैं क्या करूंगी आ कर ,मेरा फ्रेंड्स के साथ घूमने का प्रोग्राम बना है ।




मानसी की दो दिन की छुट्टी थी सोचा बहुत दिन से मम्मी से मिली नहीं आज सरप्राइज देती हूं अंकुर को दो दिन का बोल कर चली गई ।

यहाँ आकर खुद ही सरप्राइज हो गई ,पापा खिचड़ी बना रहे थे हाउस हेल्प भी बीमार हो गई तो छुट्टी पर थी ,ओर बाहर का खाना सूट नहीं करता ,क्या मम्मी आप बता तो सकतीं थीं तबीयत सही नहीं है मैं आ जाती ,बेटा सोचा तुम जॉब पर जाती क्यों यूहीं परेशान करना बता कर , तो सुमन को बुला लेतीं कम से कम ,बोला था उसे पर वो  बिजी थी , अरे ऐसा क्या बिजी अभी रमन को फोन करती हूं , नहीं बेटा उसे परेशान मत कर दवाई ले ली है कल तक ठीक हो जाऊंगी ।

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सुमन का ये रवैया मानसी को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा, बोली कोई इतना स्वार्थी कैसे हो सकता है ,

हां बेटा आजकल किसी को परवाह ही कहां है  ,खुद के लिए जीना हर कोई चाहता है पर अपनों का दिल भी रखना  आना चाहिए ,बहुत कीमती होते हैं ये रिश्ते जितना प्यार मोहब्बत से जीये उतना अच्छा ,इसलिए में रमन से कुछ नहीं कहती क्यों मेरे कारण उनमें कोई मनमुटाव हो, हम तो अभी भी यही चाहते दोनों खुश रहें ,अभी जब तुम्हारी बुआ आईं थीं परिवार के साथ हरीद्वार जाने के लिए एक रात यहाँ रुकी थोड़ा लेट आईं पर इतना नही की सो गई थी सुमन ,तब भी मिलने नहीं आई ,बुआ कोई रोज रोज थोड़ी आती हैं ,उन्हें बुरा भी लगा पर वो बोली नही कुछ ।

तुम बेटा हमेशा अच्छे से रहना सरला जी बहुत अच्छी  हैं कभी दिल न दुखाना उनका, बड़ा तकलीफ देता है ये सब …..

थोड़ा सा वक्त ,थोड़ी सी परवाह , मीठे बोल बस यही एक अच्छे रिश्ते की नींव होते हैं और अपने ही हमेशा आपकी तकलीफ में काम आते हैं याद रखना ।

इतने में पापा खिचड़ी ले आते हैं ओर मानसी अपने मन में विचारों की खिचड़ी में खो जाती है जाने अनजाने थोड़ा बहुत उसने में ऐसा व्यवहार किया है बड़ा पश्चतावा होता है ,आखिर चोट जब खुद को लगती है तभी दर्द का अहसास भी होता है

दो दिन रूक कर मानसी चली जाती है मम्मी की तबीयत भी अच्छी हो गई थी ।

घर पहुंच कर मानसी ने खुद को बदल लिया था ,सुबह जल्दी उठ किचिन में जाते हुए मम्मी चाय बनाऊं आपकी ,हां हां चाय तो कितनी भी मिले न तो नहीं कहती ओर मुस्कुरातीं हैं , चाय के साथ रुपाली मैके में बिताए दो दिनों की बातें सुनाती है ,ऑफिस जाते हुए अच्छे से मिलकर जाती है शाम को आते हुये जलेबी लेकर आती है ,मम्मी अंकुर ने बताया था आपको बहुत पसंद हैं ,ऑफिस के पास ही  बहुत अच्छी मिलती हैं तो सोचा ले चलूं ,आपको जब भी मन हो बोलियेगा । डिन्नर भी सब साथ मिलकर करते हैं और जलेबी के मजे लिए सबने अंकुर भी बड़ा खुश होता है देखा कर ।




एक दिन सरला की बहन और बच्चे आये ,डिन्नर रुपाली ने ही सर्व किया ,मीठा बना था पर आइसक्रीम भी ऑर्डर करके मंगाई ,बच्चों के साथ पूरे समय रही सब खुश होकर गए।

सरला को मानसी का यूँ अचानक बदला व्यवहार समझ नहीं आ रहा था, अच्छी बहु बनने की कोशिश में क्यों लगी है आखिर ,अंदर से खोई सी भी लगती थी , एक दिन पूछ ही लिया बेटा सब ठीक हेना खोई खोई सी लगती हो , गले लगकर रो पड़ी इतने दिनों से पश्चताप के आँसू जो रोके रखे थे ,अँखियों से बह निकले ,मम्मी पापा ठीक हैं क्या हुआ, मानसी कहती है मुझे माफ़ कर देना मम्मी जाने अनजाने आपका दिल दुखाया है ओर उसने सुमन की सब बातें बताईं । 

आप कितनी अच्छी हो और मैंने इसका गलत ही फायदा उठाया है,मैं ये सब कोई अच्छी बहू बनने का दिखावा नहीं कर रही हूँ दिल से अहसास हुआ है, कैसे आप सब हमारी खुशियों का ख्याल रखते हैं तो हमारा भी फर्ज है।

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बस जो गलतियां मुझसे हुईं हैं शायद भगवान माफ कर दे और मम्मी भी सुमन के साथ खुश रहें ।

सरला जी कहती हैं ,कोई बात नहीं बेटा जब जागो तब सबेरा, हम तो हमेशा अंकुर ओर तुम्हारी खुशी ही चाहते हैं ,उसमें ही खुश हैं प्यार से रहने में ही घर का माहौल खुशनुमा रहता है, एक दूसरे की परवाह से रिश्ते खिल जातें हैं ,ओर पता है मौसी का कल फोन आया था बड़ी तारीफ कर रही थी ,बड़ी अच्छी बहू मिली है दीदी आपको , जॉब के साथ रिश्ते, घर भी प्यार से संभाल रही है बड़ी किस्मत वाली हो आप , मानसी आंसू पोंछते हुए गले लग जाती है  ,इतने में अंकुर आता है अरे ये क्या कोई मिलन समारोह चल रहा है क्या ,थोड़ी फुर्सत मिले कार्यकम से तो चाय बना दीजियेगा ,दोनों मुस्कुराते हैं और मानसी चाय बनाने जाती है मम्मी आपके लिए बनाऊं ,ओहो भूल गई आपको चाय क़भी भी चलेगी हेना …

सरला जी मुस्कुरातीं हैं , कहती हैं सही पकड़े हो  ……

नंदिनी 

स्वरचित✍🏻

#बहू

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