कभी कभी ननद को भी खर्च  कर देना चाहिये – मीनाक्षी सिंह 

मीरा बड़ी ख़ुशी से माँ के घर आयी पूरे एक साल बाद गर्मियों की छुट्टी में ! माँ पिछली साल गुजर गयी ! पापा जब वो 8 साल की थी तभी परलोक सिधार गए ! उसे लगा भईया ,भाभी वैसी ही इज्जत देंगे जैसी माँ के सामने मिलती थी ! वैसे भी मीरा को फुर्सत कहाँ हैँ रोज रोज आने की ! बच्चें पढ़ने वाले ,पतिदेव बिजनेसमेन ! बस यहीं गर्मियों में बच्चों के स्कूल एक महीने के लिये बंद होते हैँ ! तो कुछ दिन मायके ,

कुछ दिन ससुराल के गांव वाले घर चली जाती हैं ! खैर जब मायके आयी तो भईया भाभी ने बड़ी ख़ुशी से स्वागत  किया ! एक दो दिन तो खाने में भी तरह तरह के व्यंजन ,सलाद ,रायता ,अचार मिलता ! सुबह नाश्ता अलग ,शाम को अलग ! पर दो दिन बाद भाभी ने पूँछा – दीदी ,आप कितने दिन रुकेगी ? 

मीरा (मजाक के लहजे में ) – क्यूँ चले जायें ,अच्छा नहीं लग रहा हमारा रहना ! 

अरे नहीं नहीं दीदी ,ऐसी बात नहीं हैँ ,वो तो बस ऐसे ही पूँछ लिया ! आपके भईया टिकेट करा देंगे ! नहीं तो बाद में मिलती नहीं हैँ ! भाभी बात को संभालते हुए बोली ! 

मीरा – भाभी ,अभी कुछ निश्चित नहीं हैँ ,वैसे भी भईया को तो पता हैं  की हर साल उसके ज़ीजाजी ही लेने आते हैं ,वही टिकेट कराते हैँ ! फिर क्यूँ बोला ऐसा विक्रम (भईया ) ने ! 

भाभी – दीदी ,वो बस ऐसे ही ,ये सोचकर कि ज़ीजाजी को क्यूँ परेशान करना ,उनको बहुत काम रहता हैँ ,बिजनेसमेन हैँ ! कोई बात नहीं ,इसी बहाने जीजा जी घूम ज़ायेंगे ,वैसे कहाँ घूमना हो पाता हैँ ! 

पता नहीं क्यूँ ,मीरा को भाभी का ऐसा व्यवहार थोड़ा दुखी कर गया ! 

अब भाभी भी पहले  जैसी आवभगत नहीं करती ,धीरे धीरे मीरा को उनके व्यवहार में बदलाव नजर आने लगा ! भाभी सीधा काम करके अपने कमरे में चली जाती ! मीरा और बच्चें बेचारे अकेले कमरे में बैठे रहते ! मनोरंजन का एकमात्र साधन टीवी भी भाभी के  कमरे में था! मीरा दुखी रहती ! पतिदेव पूछते ,अब तो घर आने का मन नहीं होगा मैडम जी का ! भई मायके में जो हैँ ! कुछ करना नहीं पड़ रहा ! अभी तो आने का मन भी नहीं होगा तुम्हारा ! मीरा बेचारी क्या बताये कि माँ के जाने के बाद  ये घर काटने को दौड़ रहा है ,अपनेपन का कोई एहसास ही नहीं ! पर अभी आयें हुए एक सप्ताह ही तो हुआ हैँ ,इतनी जल्दी चली जाऊंगी तो पतिदेव को भी सुनाने का मौका मिल जायेगा ! 

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फिर मन में कुछ निश्चय कर मीरा उठी ,हाथ में पर्स लिया,, बच्चों का हाथ पकड़ा ,,बाजार गयी ! होटेल से खाना पैक कराया ,आईसक्रीम ली ,कुछ खिलोने लिए ! घर आयी ! भाभी ने दरवाजा  खोला ! मीरा के हाथ में इतना सामान देख आश्चर्य में रह गयी ! दीदी ,ये किसलिये ?? 

मीरा ,भाभी आज आपकी किचेन से छुट्टी ! सब आज होटेल का खाना खायेंगे ,साथ  में ये ठंडी ठंडी आईसक्रीम ! ये छोटू ,छुटकी के लिए खिलोने ! ननद का पहली बार ऐसा रुप देख भाभी को अच्छा भी लगा और थोड़ा अजीब भी ! सभी ने पेटभर खाना खाया ! अब भाभी के व्यवहार में भी सकारात्मक बदलाव आने लगा ! अब काम करके सीधा कमरे में ना जा मीरा के साथ बैठती ! बच्चों के साथ खेलती ! साथ में सब टीवी देखते ,घूमने ज़ाते ! अब मीरा के दिन मायके में बड़ी ख़ुशी से गुजर रहे थे !वो जब बाजार जाती ,कभी सब्जी ,कुछ खाने को य़ा कुछ भी सभी के लिये ले जाती ! अब मीरा के अपने घर वापस जाने का समय आ गया ! पतिदेव लेने आयें ! भाभी भईया ने उन्हे एक दिन और रोका ! खूब स्वागत किया ! अच्छे से विदाई दे विदा किया ! दोनों ननद भाभी सगी बहनों की तरह रोयी ! नम आँखों से मीरा अपने घर के लिये रवाना हो गयी ! रास्ते में पतिदेव बोले – अबकी बार तुम्हारे भईया भाभी ने पहले से भी अच्छी आवभगत की ! मुझे उम्मीद नहीं थी कि  मम्मीजी  के जाने के बाद वो इतना अच्छा व्यवहार करेंगे ! मीरा मुस्कुरा दी ! मन ही मन सोची ! कि थोड़ा खर्च अगर कभी ननद भी खर्च कर दें ,,अपने मायके में तो इसमें कोई बुराई नहीं ! आखिर वो अपने घर में भी तो खर्च करती हैँ ! छोटी छोटी चीजों से किसी को खुश किया जा सकता हैँ तो करना चाहिए ! अब रोज ननद भाभी की खूब बातें होती ! उसका मायके से रिश्ता माँ पिता के जाने के बाद भी वैसा ही बना रहा ! इसलिये अगर ननद को अपने मायके में वहीं मान सम्मान चाहिए तो मायके कुछ लेने नहीं ,देने जाए ! इस से उसका रिश्ता उसके बाद भी बना रहेगा !! 

स्वरचित 

#मासिक_प्रतियोगिता_अप्रैल

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह 

आगरा

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