हक – नन्दिनी

मालती जी का भरा पूरा परिवार तीन बेटे तीन बहुएँ छोटे बेटे की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई ।

पोता पोती से भरा पूरा परिवार भूली न समाती थीं मालती जी पूरे घर पर राज था ,सब काम उनके हिसाब से ही होता तीज त्यौहार पर क्या बनेगा , बहु मैके कब जाएगी किंतने दिन जाएगी ।

छोटी बहू अनोखी की शादी को कम दिन ही हुए थे, शादी के बाद पहली बार मायके गई तब कुछ दिन में ही जल्दी आना पड़ा क्योंकि ससुराल में बड़ी भाभी के बच्चे की जन्मदिन पार्टी थी। ऐसे में मैके की याद लाजमी थी , मायका ज्यादा दूर नहीँ था ,एक दिन उसे ज्यादा ही याद आ रही थी और उसकी मम्मी की तबीयत सही नहीं थी तो उसने पति रमन से कहा आज मिलवा लाओ शाम तक वापस आ जाएंगे, मां से पूछने पर जाने की इजाजत मिल गई ।

कुछ दिनों बाद पापा कहते हैं ,कुछ दिन आ जाओ शादी के बाद ढंग से आई ही नहीं लगी हो ,कुछ रोज रह जाओ  बहुत दिन हो गए सब याद कर रहे हैं , अच्छा पापा पूछ कर बताती हुँ आपको  बोलती है अनोखी ।

रात के खाने के बाद पूछती है माँ से तो कहती हैं अभी बड़ी बहू निशा मायके है ,कोमल अकेले सबका नहीं संभाल पाएगी बाद में चली जाना ,ठीक है बोलकर कमरे में आ जाती है और पापा को फोन करके स्तिथि से अवगत कराती है ,पापा कहते हैं  कोई बात नहीं कुछ दिन ओर सही । अनोखी मन में सोचती है पहले जब मेरी शादी नहीँ हुई थी तब भी तो एक भाभी मैके जाती होंगी तो दूसरी सम्भाल लेती होंगीं , पर नहीँ मम्मीजी का मन नहीं तो नहीं जाने दिया ,क्योँ तिल का ताड़ बनाना मन मसोस कर रह गई, ठीक है बाद में चली जाऊंगी सोचकर किचिन में बाकी काम निपटाने चली गई।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

ह्रदय से सींचा है – नीरजा कृष्णा




कुछ सम्यपश्चात अनोखी की बड़ी बहन अपने बच्चों के साथ मैके आने वाली थी ऐसे में उसका मन भी मचल उठा वह बच्चों के बहुत करीब थी ,ऐसे में वो मौका नहीं छोड़ना चाहती थी, शादी के पहले तो दीदी के ससुराल जाके रहकर आती थी ,अब तो मैके जाने के ही लाले हैं तो वहाँ का तो सपना है , ऐसे में रमन से बोलती ही दीदी बच्चे आ रहे मुझे भी जाना हैं, रमन ने कहा में भी अगले सप्ताह टूर पर जा रहा हूँ ,ऐसा करो पापा को बोल दो कि लेने आ जाएं पूछ लें मां से बहुत दिन हो गए हैं ,तो मां संकोच में मना नहीं कर पाएंगी 

दूसरे दिन अनोखी के पापा  रमन की माँ को फोन करके लेने आने का जिक्र करते हैं ,अनमने मन से हां कर देती हैं वो एक सप्ताह के लिए ।

दूसरे दिन पापा लेने आते हैं , उनके सामने भी चूकती नहीं बोलने से अभी तो गई थी अनोखी रमन के साथ इतने जल्दी जल्दी हमारी बहुएँ नहीं जातीं मैके ,सुनकर पहले तो वह चुपसे रह जाते हैं  फिर कहते हैं ,एक दिन कुछ घण्टों की मुलाकात को आप मायके में रहना मान रहीं हैं ,माफ कीजियेगा आपको बेटी नहीं है इसलिए आप ये बात नहीं समझ सकतीं ,कुछ दिन बेटी रह जाये खुश खुश तो मां बाप को कितना सूकून मिलता है ।

मालती जी को अपने दिन याद आ जाते हैं जब उसकी सास घर के कामकाज के चक्कर में मायके नहीं जाने देतीं थी सालभर में कुछ दिन ही जाने मिलता था , राखी पर भी अक्सर भाई ही आ जाता था उसकी भी ननद नहीं थी तो बाऊजी यही बोलते थे ,कलेजा ई लिए कठोर है तारी सासु को ममता न है नेक भी दिल में ,कैसे मां बाप का दिल होवे है कि अपनी बिटिया कछु दिन रह जाये मैके, इन ख्यालों में विचरण कर रहीं थीं मालती जी , तभी अनोखी के पापा कहते हैं शादी के बाद अधिकार बदल जाते हैं माना, पर हमारा भी कुछ हक अभी भी है बेटी पर ,रमन के पापा ने तुरंत कहा क्योँ नहीं जी आपकी बेटी है हक भी है, जब चाहे अनोखी अपने माता पिता से मिलने जा सकती है ।




सुनकर अनोखी के पापा कृतज्ञ भाव से देखकर मुस्कुराते हैं ….

इस कहानी को भी पढ़ें: 

‘ सास बन गई माँ ‘ – विभा गुप्ता

जाओ बेटा एक सप्ताह नहीं 10 -12 दिन जब तक तुम्हारा मन हो रहना अभी रमन को टूर पर भी जाना है ऐसे में तुम्हारा मन यहां लगेगा भी नहीँ ,मालती जी भी कहती हैं नहीं भाईसाब मेरा वो मतलब नहीं था ,जब बडी बहु मैके गई थी इसलिए मना किया था ,अनोखी पर आपका पूरा हक है और हमेशा रहेगा ,

सुनकर अनोखी खुश हो जाती है ……….

नन्दिनी✍🏻

स्वरचित 

#अप्रैल 2023

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!