मेरी पसंद – मीनाक्षी चौहान

दोपहर को बेटे रोहन ने ऑफिस से फोन करके बता दिया कि शाम को वो अपनी खास दोस्त रीत को मुझ से मिलवाने घर ला रहा है। अच्छी तरह से समझ गई मैं ‘खास दोस्त’ और ‘मिलवाने’ का मतलब। एक-दो बार बेटे ने अपनी उस खास दोस्त से फोन पर बात भी करवायी है पर मुझे उसकी वो खास दोस्त कुछ खास पसंद नहीं आई। कहाँ मैं एकदम शांत, गम्भीर स्वभाव की और कहाँ वो चंचल, चुलबुली सी लड़की। ख़ैर मन मार कर लग गई शाम की तैयारी में।

शाम ठीक छ: बजे दोनों आ गये। मुझे देखते ही सबसे पहले उस लड़की ने मेरे पैर छुए और फिर बड़ी तल्लीनता से घर में रखी सजावटी चीज़ें देखने लगी। सामने लगे शो केस में रखे लकड़ी के मोर पर नज़र पड़ते ही उछल पड़ी बोली, “ओ वाओ, सेम ऐसा पीकॉक तो मेरे घर में भी है। हमारी पसंद कितनी मिलती है ना आंटी। मैं ही लायी थी। आपने कहाँ से लिया? कितने का लिया?” एक साँस में बोलती चली जा रही थी। अब भला ये भी कोई पूछने वाली बात होती है। मैंने बेटे की ओर घूर कर देखा, वो भी समझ गया। उसने रीत को आँखों से ही चुप होने का इशारा किया। बस थोड़ी देर चुप रही फिर जो बोलना शुरू किया वो डाईनिंग टेबल पर बैठने तक खत्म ही नहीं हुआ। अब तो मैंने उस लड़की की बातों पर गौर करना ही बंद कर दिया और आदतन हमेशा की तरह बेटे को पहला निवाला अपने हाथ से खिलाने लगी। मैंने ही तो बचपन से उसकी आदत खराब कर रखी है। मेरे हाथ से खाये बिना खाना शुरू ही नहीं करता। उसे खिलाने के लिए हाथ क्या बढ़ाया वो झेंपते हुए बोला, “ओ कम औन मम्मा, मैं बच्चा थोड़े ही ना हूँ। बड़ा हो गया हूँ। खुद खा लूँगा ना।”


पलकों को झपका-झपका कर बड़ी मुश्किल से आँसुओं को रोक पायी। आज जिस लड़की की वजह से मेरे बेटे ने पहली बार मेरे हाथ से खाने को मना कर दिया वही लड़की हम दोनों माँ-बेटे के बीच में बोल पड़ी। “क्या रोहन तुम भी ना! …….भला कोई अपने बड़ों से भी बड़ा होता है क्या? हम कितने भी बड़े क्यों ना हो जाएँ पर अपने माँ-पा के लिए हमेशा बच्चे ही रहतें हैं।” मैं हैरान रह गई अल्लहड़, मस्तमौला, बिंदास सी ये लड़की इतनी गहरी बात बोल गयी। बेटे ने सॉरी बोलते हुए मेरे हाथ पर अपना हाथ धर दिया।

“आंटी आप मुझे खिलाइये।” और झट से मेरे हाथ का वो निवाला चट कर गयी। सच कहूँ तो उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी आ गयी। एक और निवाला खिलाने का मन किया पर संकोचवश खिलाया नहीं, बस पूछ लिया, “खाना कैसा लगा रीत?”

“सच्ची आंटी जी खाना बहुत टेस्टी है, बिल्कुल मेरी पसंद का। खाने के मामले में भी हम दोनों की पसंद एक जैसी ही है।”

“सिर्फ़ पसन्दे ही नहीं हम दोनों की सोच भी एक जैसी ही है और मेरी जैसी सोच वाली ये लड़की मुझे बहुत पसंद है।” कहते हुए मैं तो हँस पड़ी और वो ………शर्मा गयी।

मीनाक्षी चौहान

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