शक की सुई  –  रश्मि प्रकाश

“ यार तुम अपना सामान क्यों पैक कर रही हो बताओ तो सही हुआ क्या है…. हमने एक दूसरे से वादा किया था ना हम हमेशा एक दूसरेसे सब शेयर करेंगे फिर अचानक आज तुम्हें क्या हो गया……राशि क्या बात है तुम क्यों ऐसे व्यवहार कर रही हो…. यार कुछ तोबोलो…..मेरी गलती तो बताओ……मैंने ऐसा क्या किया बताओं तो सही?”निकुंज राशि से पूछे जा रहा था 

पर राशि बिना कुछ बोले अलमारी से अपने कपड़े निकाल कर अटैची में रखे जा रही थी….उसके दिमाग में बस पुरानी बातें घूम रही थीदोनों की शादी को अभी एक साल भी नहीं हुआ….दोनों की अरेंज मैरिज हुई थी। 

राशि चंचल स्वभाव की थी पर सब काम में निपुण…..निकुंज की मम्मी के दूर के रिश्तेदार ने ये रिश्ता बताया था।

जब निकुंज से बोला गया तुम भी एक बार लड़की से मिल लो तो वो बोला ,“मम्मी आप जो लड़की पंसद करोगी वो सौ प्रतिशत मेरे लिए सही ही होगी।”

फिर तो चट मंगनी पट ब्याह हो गया। 

दोनों की जिन्दगी की गाड़ी भी बड़े मजे से चल रही थी।दोनों नौकरी करते थे इसलिए पैरेंट्स के साथ ज्यादा रहना संभव नहीं था। पर शादी के बाद जितने दिन राशि ससुराल में रही सबका बहुत ख्याल रखती…सास  ससुर भी राशि को बेटी समझते ….निकुंज राशि पर जान छिड़कता। 

दोनों जब  दिल्ली में अकेले रहने लगे तो दोनों के बीच पहले वाला प्यार कम होने लगा….काम की व्यस्तता और टूर की वजह से निकुंज अक्सर बाहर ही रहता था।

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कई बार दोस्तों के साथ पार्टी करते तब राशि ने नोटिस किया कि निकुंज के दोस्त किसी की बातें किया करते हैं पर किसकी ये राशि को कभी  समझ नहीं आया। 

निकुंज से पूछती तो वो टाल जाता…..बोल देता एक कॉमन दोस्त की बात करते हैं।

राशि निकुंज से बहुत प्यार करती थी इसलिए कभी किसी बात पर शक करने जैसा महसूस ही नहीं हुआ।

‘‘राशि सुनो मुझे दो दिन के लिए काम के सिलसिले में मुम्बई जाना है। तीसरे दिन की टिकट भी करवा लिया है।  सुनो ना मुझे तुम्हारा डेबिट कार्ड दे दो….अगले सप्ताह मम्मी पापा की एनिवर्सरी है सोच रहा हूँ…हम लोग चलते हैं….उधर वक्त मिला तो कुछ गिफ्ट ले लूँगा….मेरा कार्ड काम नहीं कर रहा।”

राशि ने उसे अपना कार्ड दे दिया। 

अगले दिन निकुंज मुम्बई चला गया। 

तीसरे दिन राशि निकुंज का इंतजार कर रही थी ,पर पता नहीं निकुंज क्यों नहीं आया ,उसका फोन कभी स्विच ऑफ तो कभी नेटवर्क एरिया से बाहर बताता रहा। 

राशि परेशान होने लगी अगले दिन भी जब निकुंज नहीं आया तो उसकी परेशानी बढ़ने लगी। 




दोस्तों से बात की तो किसी को भी नहीं पता निकुंज कहाँ गया है। 

राशि शंकाओं में घिरने लगी।

उसे चार दिन क्यों लग गये जबकि दो दिन का बोल के गया था। 

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तभी उसके मोबाइल पर नोटिफिकेशन बजा देखा तो निकुंज का मैसेज है,“मैं कल आऊँगा…सॉरी राशि मैं कॉल नहीं कर सका …आकरबात करूंगा।”

 राशि खुद समझदार थी सोची हो सकता काम पूरा नहीं हुआ होगा तो ज्यादा टाइम लग गया होगा…कोई नहीं आयेगा तो पता चल हीजाएगा। 

पूरे दिन राशि इसी इंतजार में रही कि कल निकुंज आ ही जायेगा।

राशि के सिर में दर्द हो रहा था तो वो किचन में चाय बनाने चली गईं।

अचानक से नोटिफिकेशन आया तीस हजार रुपए आपके अकाउंट से डेबिट हुआ….देखा तो पुणे के किसी हॉस्पिटल में पैसे दिए गए….राशि सोचने लगी उसने कार्ड तो निकुंज को दिया है वो तो मुम्बई गया है फिर ये पुणे से नोटिफिकेशन क्यों आ रहा?

उसने जल्दी से निकुंज को कॉल लगाया पर मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। 

राशि को अब शक सा होने लगा निकुंज वैसे तो उससे कभी कुछ नहीं छिपाता….फिर ये क्या बात हुई जो ना तो फोन कर रहा ना हीमैसेज। 

ये बात सोच सोच कर वो परेशान हो रही थी इतना भरोसा किया निकुंज पर और वो मुझसे क्यों ये सब छिपा रहा। वो आयेगा तो मैं घर से निकल जाऊँगी अब साथ रहना मुश्किल लग रहा…हमें एक दूसरे पर कितना विश्वास था, हमेशा एक दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करते थे…फिर निकुंज का ये व्यवहार कुछ समझ नहीं आ रहा लगता हमारे प्यार को किसकी नजर लग गई…. पूरी रात वो सोच सोच कर रोती रही।

आज सुबह जब निकुंज घर आया तो राशि उससे बात नहीं कर रही थी। 

निकुंज पूछता रहा पर वो चुपचाप कपड़े पैक करने में व्यस्त रही।




तभी निकुंज उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया राशि के सोच को पूर्ण विराम लग गया ।

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“राशि मैं कुछ पूछ रहा हूँ….मैं अभी घर आया और तुम जाने की तैयारी कर रही हों….यार थोड़ा ज्यादा काम आ गया था इसलिए रुकनापड़ा…..मेरा नेटवर्क भी सही नहीं था बहुत बार तुम्हें कॉल लगाया मैसेज भी किया पर सब फेल हो रहे थे….माना कि मैं कॉल नहीं करसका पर जब नेटवर्क मिला तो मैसेज किया तुम्हें….मीटिंग रूम में फोन अलाउड नहीं था और हमे बहुत देर तक मीटिंग और ट्रेनिंग दी जारही थी….यार माफ कर दो ना…इस बात से नाराज़ होकर क्यों जा रही हों?‘‘

‘‘मेरा कार्ड दो‘‘ राशि ने बिल्कुल सपाट लहजे में कहा

‘‘ ओह तो ये बात है ‘‘अब निकुंज को समझ आया

‘‘राशि मुझे तुमसे एक बात करनी है बहुत वक्त से सोच रहा था तुम्हें कैसे बताऊं ….आज कुछ नहीं छिपाऊंगा। पता राशि जो नोटिफिकेशन तुम्हें मिला हॉस्पिटल का वो मैंने ही  निकाले….जब मैं पुणे में पढ़ाई कर रहा था तो मेरी एक क्लासमेट नीति से बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी….एक बार जब राखी पर सबको राखी बांधे देखा तो मेरे मुंह से निकल गया काश मेरी भी एक बहन होती…. बस उस दिन से नीति मेरी बहन बन गई….हम दोनों एक दूसरे के मुंहबोले भाई बहन बन गये…तुम जब पार्टी में दोस्तों के मुंह से जिसके लिए सुनती थी वो नीति ही है….सब बोलते राशि को बता दे अपने और नीति के बारे में पर मुझे डर लगता था तुम क्या सोचोगी….क्योंकि वो अपनी बहन नहीं है फिर किसी गैर के लिए तुम कैसे सोच सकती कि वो मेरी बहन होगी….जब मैं मुम्बई गया तो सोचा दिल्ली जाने सेपहले  नीति को मिल आऊंगा फिर टिकट भी मैंने पुणे से ही लिया हुआ था….जब मैं  नीति के पास गया तो पता चला उसकी तबियत बहुत खराब है वो हॉस्पिटल में भर्ती हैं ये बातें उसके पति ने मुझे बताया….वो मुझे नीति से मिलवाने ले गया , जब हम हॉस्पिटल पहुंचे तो डॉक्टर ने बोला पथरी की वजह से उनके पेट में तेज दर्द हो रहा है….आपरेशन कर देंगे तो ठीक हो जाएगा….उसके लिया पैसे जमा करने थे….उस वक्त उसके पति के पास पूरे पैसे नहीं थे इसलिए मैंने तुम्हारे कार्ड से पेमेंट कर दिया….राशि मैं तुमको कोई धोखा नहीं देरहा….बहुत प्यार करता हूँ, जितना भरोसा मुझे खुद पर नहीं उतना तुम पर करता हूँ….हाँ मानता हूँ मैंने बताने में देर कर दी पर मैं आजभी अपने उस वादे पर कायम हूं जो हमने अपनी पहली रात को किया था‘।”निकुंज सिर  झुकाए खड़ा हो गया

‘‘ ये बात तुमने पहले ही बता दी होती तो आज हमारे बीच ये तकरार तो नहीं होती ना….निकुंज अब हमारे बीच कोई भी बात छुपी हुईनहीं होनी चाहिए ….अब तुम मुझे भी  नीति से बात करवाना मैं भी तो अपनी ननद से मिल लूँ।‘‘ राशि निकुंज से बोली

“ हाँ हाँ… क्यों नहीं इस बार नीति भी कह रही थी भाई मेरी भाभी से मेरा परिचय कब करवा रहे हो…वो अस्पताल से घर आ जाए फिर कर लेना उससे बात।” निकुंज राशि की बात सुन खुश हो गया 

 “आय लव यू राशि, मुझे माफ कर देना… सच कहते थे दोस्त प्यार करते हो तो भरोसे के साथ वक़्त पर सब बता देना चाहिए नहीं तोविश्वास की मज़बूत डोर भी कभी कभी चटक जाती है ।”कहते हुए निकुंज राशि के आगे सिर झुका कर काम पकड़कर खड़ा हो गया 

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उसकी मासूमियत देख राशि खुद को रोक ना पाई और निकुंज का माथा चूम लिया।

सच्चे प्यार की डोर किसी भी छोटी सी बात पर नहीं टूट सकती। ये डोर हमारे रिश्तों में एक दूसरे की इच्छाओं का मान करने से , आपसी प्यार,इज्जत और विश्वास से हमेशा बना रहता है… हाँ कभी कभी कुछ बातें जब अचानक से होती हैं तो विश्वास थोड़ी देर को डगमगाजाता है पर सच्चा प्यार हमेशा एक दूसरे को समझने और समझाने को तैयार रहता है 

दोस्तों वैसे तो पति पत्नी बहुत बातें छिपा जाते हैं ये सोचकर की पता नहीं सामने वाला कैसे रिएक्ट करेगा पर जब उन्हें कहीं और से पताचलता है तो तकलीफ़ होती है… फिर रिश्ते में शक की सुगबुगाहट शुरू हो जाती है… जिसकी रिश्ते के बीच जगह नहीं होनी चाहिए…. 

मेरी कहानी पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा पसंद आने पर लाइक और कमेंट्स करें ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# पाँचवीं रचना

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