वाह तरीका हो तो ऐसा – मीनाक्षी सिंह

युवी सुनो ! दस बार आवाज लगा चुकी हूँ तुझे ! सुनता क्यूँ नहीं !

क्या हैँ मम्मा ,पूरा दिन आप कुछ ना कुछ बोलते रहते हो ! डोंट डिस्टर्ब मी !

पूरे दिन फ़ोन में घुसा रहता हैँ ,अंधा बहरा सब हो जाता हैँ जब ये बला तेरे हाथ में रहती हैं !

मम्मा ,कितनी बार बताया हैँ आपको ,सारी पढ़ाई इसी से होती हैँ अब ,मैम तो बस स्कूल में  सिलेबस पूरा कराती है ,भले ही बच्चों को कुछ समझ में आयें य़ा नहीं ! तो समझने के लिए फ़ोन ही तो लेना पड़ेगा ना ! कितना टाइम वेस्ट हो गया मेरा आपसे बात करने में ! अब जाईये भी !

बेचारी युवी की माँ पूनम मन ही मन सोचने लगी ! काश मैं भी पढ़ी लिखी होती तो अपने पति और बेटे की तरह फ़ोन चलाना तो सीख ही जाती ! दोनों लोग घर आते ही फ़ोन पर लग ज़ाते हैँ !मैं क्या दीवारों से बात करूँ !

ठीक हैँ तू अपनी पढ़ाई कर !

अगले ही पल युवी फिर फ़ोन पर माँ को धोखा दे लग गया चैट करने !

एक दिन युवी के फ़ोन पर कॉल आया ! युवी नहा रहा था ! पूनम ने फ़ोन उठा लिया !

हेलो कौन ?? क्यूँ नाटक कर रहा है ! आज आ नहीं रहा मिलने  कैफे !

पूनम अपने 14 साल के बच्चें के फ़ोन पर एक लड़की के मुंह से ऐसी बातें सुन हक्की बक्की रह गयी !

अगले ही पल उसने कुछ निर्णय लिया ! अपने बेटे से इस बारें में उसने कोई बात नहीं की !

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बस पतिदेव से सारी बात बतायी ! दोनों ने कुछ सोच विचार  किया !

घर आते ही युवी के पापा ने उसे आवाज लगायी ! युवी एक ग्लास पानी लाना ! युवी को गुस्सा तो आयी कि आज मम्मा से पानी मांगने के बजाय मुझसे मांग रहे हैँ ! पर पापा से थोड़ा  डरता था युवी ,कुछ नहीं बोला ! पानी लाकर दे दिया ! फिर रूम लोक कर फ़ोन पर लग गया !

तभी फिर से आवाज लगायी सौरभ (युवी के पापा ) ने ! युवी ज़रा अपना स्कूल बैग ,डायरी और फ़ोन लेकर आना तो ज़रा ! सौरभ बोला !

युवी हक्का बक्का रह गया ! सोचने लगा आज सूरज कहाँ से निकला हैँ ! कहाँ ऑफिस से आते ही पापा फ़ोन पर लग ज़ाते हैँ ! उन्हे मतलब ही नहीं होता मैं क्या कर रहा हूँ !! आज क्या हुआ पापा को ! खैर थोड़ा गुस्सा तो हुआ युवी ,पर कर भी कुछ नहीं सकता था ! सब सामान लेकर पापा के पास आ गया !

आज से मैं पढाऊंगा तुझे ! जानता हैँ तेरा बाप स्कूल का टॉपर रहा है ! मजाल हैँ कोई क्लास में मुझसे जल्दी गणित के प्रश्न हल कर ले ! सौरभ बोला !

अच्छा पापा ! फिर मुझे क्यूँ नहीं पढ़ाते ! वैसे मैने बायजूस क्लास ले ली हैँ !आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं ! थककर आते हैं,आराम  किया करो आप ! मुझे फ़ोन से सब समझ आ जाता हैँ ! कहीं फ़ोन ना छीन जाए इस डर से सफाई देता हुआ युवी बोला !




परेशान तो तेरे इस कलमुन्हे फ़ोन ने ही किया हैँ ! पता चल रहा है क्या समझ रहा हैँ तू इस उम्र में फ़ोन से ! मन ही मन पूनम बुदबुदायी !!

सौरभ -तेरा ये बायजूस मेरे आगे फेल हैँ ! मुझसे अच्छा पढ़ा सकता हैँ क्या ये भला ! ला ये फ़ोन भी दे दे ! वैसे भी तेरी मम्मा के लिये लाया था मैं ये ! तूने इसे अपना ही बना लिया ! उठते,बैठते ,खाते,पीते फ़ोन से ही लगा रहता हैँ !

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वो तो पापा आप भी लगे रहते हो ,मैने आपसे कुछ कहा है क्या कभी ! आप अपनी ज़िन्दगी ज़ियों ,मैं अपनी !

बहुत बड़ा हो गया है ,तूने जो कहा है उसका मतलब जानता हैँ ! तू अपनी ज़िन्दगी खुद जीने लगा तो क्या खुद के लिये रोटी के पैसे कमा पायेगा ! क्या कहा तूने ,मैं फ़ोन पर लगा रहता हूँ ! आ दिखाता हूँ तुझे ,मैं क्या करता हूँ फ़ोन पर ! सौरभ ने अपने ऑफिस के सभी ज़रूरी काम जो वो फ़ोन से करता हैँ दिखाये ! अब तू दिखा ,तूने बायजूस से अभी तक कितने नोट्स बनाये !

ला चल सुना ,कितने पाठ याद हो गए तुझे !

आज तो युवी की शामत आयी थी ! एक भी सवाल का सही जवाब नहीं दे पाया वो ! आज अपने पापा के सामने सर झुका कर खड़ा था युवी !

यहीं सीखा हैँ तूने बायजूस से ! सुन बेटा ,तुझे पता है तेरे माँ बाप कितनी मेहनत करते हैँ तुझे शहर के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिये ! ये सोचकर कि हम इतने बड़े स्कूल में नहीं पढ़ पायें तो हमारे बच्चें तो पढ़ जायें ! तेरी माँ सुबह से उठकर कितनी मेहनत करती हैँ तेरे लिए ,कभी कुछ बनाती हैँ कभी कुछ कि मेरे बेटे का पढ़ाई में मन लगेगा अच्छा खायेगा तो ! अगर बच्चें फिर भी ठीक से ना पढ़े तो कितनी ठेस पहुँचती हैँ उनके दिल को ! जानता हैँ तू ! सौरभ बोलते बोलते भावुक हो गया !

युवी भी अपनी गलती पर पछता रहा था ! मम्मा ,ये लो  आप अपना फ़ोन ! दादी ,नानी से बात कर लिया करना ! आज से मुझे पापा पढायेंगे ! सोरी मम्मा ,पापा ! आज से मैं खूब मन लगाकर पढूँगा ! पापा की तरह टॉपर बनूँगा ! युवी रोते रोते पूनम ,सौरभ के  गले लग गया ! पूनम ने भी अपने बेटे को सीने से चिपका लिया !

अगले दिन से सौरभ ,युवी सुबह उठके फ़ोन पर लगने के बजाय सैर पर ज़ाते ! लौटकर आकर नाश्ता कर ,एक घंटा पढ़ाई होती ! फिर सौरभ अपने ऑफिस चला जाता ,युवी अपने स्कूल ! लौटकर आकर युवी थोड़ी देर माँ से बात कर आराम  करता ! फिर खुद ही किताब लेकर पढ़ने बैठ जाता ! पापा के आते ही उन्हे पानी देता ! साथ में दोनों लोग बातें करते हुए पढ़ाई करते !

इस बार हाईस्कूल में युवी ने टॉप किया हैँ ! और वो लड़की कैफे में बैठी ही रह गयी !

पाठकों ,इस कहानी से आपने क्या सीखा ,बताईयेगा ज़रूर !

#5वां_जन्मोत्सव 

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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