संध्या बहुत सुंदर थी , घर मैं सब लोग उसे कहते है आपकी तरह परफेक्ट कोई भी नही है ।
सही लंबाई , सही आकार और सुंदर चेहरा और बाल साथ ही सर्वगुण संपन्न , ये है संध्या का परिचय , नई नई शादी हुई थी ,सब खूब तारीफ करते संध्या की ।
उसका पति आकाश साधारण नैन नक्श , सांवला , और थोड़ा वजनी था और संध्या जैसी खूबसूरत पत्नी पाकर बहुत खुश था , आकाश संध्या को अपने पास बुलाने का कोई मौका न छोड़ता , जैसे ही संध्या फुर्सत होती आकाश उसे अपने पास बुला लेता ।
इसी तरह हसी खुशी दिन बीत रहे थे संध्या के , इसी बीच संध्या ने दो सालों मैं दो बच्चों को जन्म दिया , और दोनो ही बच्चे उसके ऑपरेशन से ही हुए ।
अब घर के सारे काम और दोनो बच्चों के बीच संध्या ने खुद को खो दिया , और उसका शारीरिक रूप रंग धुंधला हो गया , संध्या का वजन बढ़ जाने से संध्या अब वैसे सुंदर न रही , या यूं कहे की बेडौल हो गई थी ।
आकाश मौका तो अभी कोई नही छोड़ता था जब भी मौका मिलता वो संध्या को अपने पास बुला लेता था , इसी बीच संध्या को दो या तीन बार फिर से प्रेगनेंसी हुई पर पहले ही दो बच्चे इतनी जल्दी हुए थे तो उसने दवाई खाना ही उचित समझा ।
अब जब भी सभी लोग बैठे होते घर मैं , कहीं किसी के साथ घूमने जाने पर , संध्या की ननद जब भी आती , कभी रिश्तेदारों के बीच बैठे होते या यूं कहे अक्सर ही आकाश संध्या के शरीर का , उसके चलने का , मजाक बनाता , सबको उसकी एक्टिंग करके दिखाता , बच्चों को गोदी मैं लेकर या कोई सामान उठाते वक्त संध्या कैसी दिखती है ये सब कुछ कर कर के दिखाता और तरह तरह के नामों से उसे बुलाया जैसे भैंस , मोटी इत्यादि
हां एक बात आकाश कभी नही भूलता था जब भी मौका मिलता दिन हो या रात , वो संध्या को पास बुला लेता और ….
संध्या का सारा वक्त घर के काम और बच्चों मैं बीत जाता , संयुक्त परिवार मैं वैसे भी कहां समय होता है जहां हर काम की जिम्मेदारी सिर्फ संध्या की होती है ।
संध्या कभी कोशिश भी करती की सुबह और जल्दी उठ कर वो खुद को थोड़ा समय दे दे तब भी आकाश उसका साथ न देता , उसे डिमोटिवट ही करता था , बच्चे अगर उठ जाए तो उन्हे भी नही देखता था बल्कि जल्दी उठ जाए तो वो चाहता था संध्या उसके पास ही रहे उस वक्त भी ।
धीरे धीरे संध्या को समझ आने लगा की आकाश के लिए वो सिर्फ एक शरीर है और घर के काम के लिए एक नौकरानी या यूं कहे मुफ्त की कामवाली ।
एक दिन संध्या और आकाश अपने दोस्तों के साथ घूमने गए । आदतनुसार वहां भी आकाश ने चिरपरिचित अंदाज मैं संध्या का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया , शराब का नशा और आकाश की एक्टिंग से वहां का माहौल ठहाकों से गूंजने लगा ।
संध्या का वहां बैठना दुभर सा हो गया था , उसके ही बातों से सारा माहौल इतना मनोरंजक बना हुआ था , तभी अचानक से संध्या उठी और हाथ का पानी का ग्लास उसने आकाश के मुंह पर फेंक दिया , और भाग कर अपने रूम मैं चला गई ।
आकाश हतप्रद सा संध्या को जाते हुए देखता रह गया और उसके दोस्त जो कुछ देर पहले तक हंस रहे थे अब उनकी नैतिकता की पुस्तकें खुल चुकी थी और ज्ञान चर्चा चालू हो चुकी थी ,आकाश का व्यवहार तो गलत है ही पर संध्या भी सही नही है ।