खाना खाते खाते अचानक मोनू ऐसे चौंका मानो जबर्दस्त करेंट लगा हो,”अरे मम्मा! आज दादी से बात हुई या नही? आज काम के प्रैशर में आप भी भूल गई ना।”
वो भी कस कर घबड़ाई,” अरे सुनिए, आपको तो जैसे कोई मतलब नही है! आज मम्मी पापा को फोन नही किया, बहुत चिंता कर रहे होंगे।”
“हाँ मम्मा, आज दोपहर में दादी बहुत गुस्सा थी, उनकी दादू से बहुत लड़ाई हो गई थी….वो कह रही थीं….आज तेरे दादू का लंच कैन्सिल…”
विमल ने घबरा कर फोन किया तो उनकी थकी थकी आवाज आई,”बेटा, अब मन नहीं लग रहा! दिन भर में बोर हो जाती हूँ, तेरे पापा से तो रोज़ एक पड़ाका होना जरूरी है! लॉकडाउन के कारण क्लीनिक बंद है तो दिन भर नुक्ताचीनी करते रहते हैं।”
हँसी दबाते हुए मीता पीछे से बोली,”आज किस बात पर लड़ाई हो गई?”
“अरे लड़ाई के लिए किसी बात का होना जरूरी है क्या! दिन भर अजी सुनती हो का नारा लगाते रहते हैं!आज हमने भी कह दिया कि हम अंग्रेजी मीडियम फिल्म देख रहे हैं ,आज हम किसी की कोई बात नही सुनेंगे।”
“तब क्या हुआ? ये हमारे मोनू मास्टर थे।
“होना क्या था, जबर्दस्ती चाय बना लाए और जबर्दस्ती पिलाई भी।”
मीता को मज़ा आने लगा,”हाय ममी, पापाजी कितने अच्छे हैं, आपका कितना ध्यान रखते हैं, विनय तो कुछ नही करते।”
“हाँ, ये बात तो ठीक कह रही हो तुम! वो शुरु से ही कामचोर था, पापा जी ऐसे नहीं हैं! पर मेरी उनसे जरा भी नही पटरी खाती है, अभी भी चिल्ला कर गा रहे हैं…. तू छिपी है कहाँ…तू छिपी है कहाँ….अरे महाराजा जी… कहाँ छिपूँगी…जरा बच्चों से बात भी ना करुँ….बस तुम्हारे ऑर्डर पर नाचती रहूँ?”
पापा जी कूद कर आए और सबसे बात की…तभी मम्मी जी पीछे से उचकते हुए बोली,”आज पापा जी बहुत टायर्ड हो रहे हैं, सारे गमलों में अकेले पानी पटाया है!मैं तो टीवी पर फ़िल्म देखती रह गई ना! बहुत गिल्ट फ़ील हो रहा है! अब कल उनकी बुराई करेंगे, अभी खाना खिलाना है! उनके पसंदीदा कद्दू के कोफ्ते बनाए हैं।”
सबने चैन की साँस ली ….टॉम और ज़ैरी ठीक हैं… स्वस्थ हैं… एक दूसरे से लड़ते झगड़ते हुए एक दूसरे के लिए जी भी रहे हैं।चलो हैपी डे गुज़रा…ऑल इज़ वैल।
नीरजा कृष्णा
पटना