मेरी बेटी की शादी हुए अभी दो साल ही हुए थे कि बच्चे के लिए परेशान होने लगी,उसकी बेकरारी बढ़ती ही जा रही थी। बस यही रटन लगाती, मेरी सभी सहेलियों के बच्चे हो गए हैं, मुझे भी चाहिए।
अभी बेटा कितना समय हुआ है, कुछ दिन तो अपने आप को भी समय दो,पर वो सुनने को तैयार नहीं।
बोली,आप अपनी छोटी बेटी के लिए तो तुरंत मनौती मांगने मैहर शारदा मां के पास चली जाती हैं,
तो मेरे लिए भी जाइये।
मैंने कहा ठीक है, मैं अगले महीने ही दर्शन करने जा रही हूं, तुम्हारे लिए भी प्रार्थना करूंगी।
वो बहुत खुश हो गई,
कुछ दिनों बाद बेटी का फोन आया,, मम्मी, मेरी एक सहेली है, यहां पेरिस में ही, मेरे बैंक में मेरे साथ ही है। पता नहीं क्यों,उसका दो गर्भपात हो गया है, उसके बच्चे ही नहीं रुकते, तीन, चार महीने के हो जाने पर, बहुत ही इलाज करवाया, पर कोई फायदा नहीं हुआ।
मैंने उसे बताया था कि मेरी मम्मी मेरे लिए प्रेयर करने अपनी शारदा मां के पास जा रही हैं तो उसने मुझसे अनुरोध किया कि प्लीज़, आंटी जी से मेरे लिए भी प्रार्थना करने को बोलना, मेरी गोद में भी एक बच्चा दे दें, और वो रोने लगी,
इस कहानी को भी पढ़ें:
जीवनसाथी – विनय कुमार मिश्रा
मम्मी, वो मेरी बहुत प्रिय सहेली है,मेरा बहुत ख्याल रखती है।
प्लीज़ आप उसके लिए भी मनौती मांग लेना, विशेष रूप से उसके लिए प्रार्थना करना।
मैंने मुस्कुरा कर कहा, अच्छा ठीक है। मैं दोनों के लिए करूंगी।
मैं शारदा मैया के मंदिर मैहर गई,
दरअसल वो हमारी कुलदेवी हैं, हम सब कहीं भी रहते,पर अम्मा बाबू जी हमेशा हम सब को लेकर मंदिर जाते, मैं दो साल की थी तब से मुझे उनके दर्शन नसीब हो रहे थे, और वो सिलसिला अभी तक जारी है, मैं जब भी कोई परेशानी होती, उनके चरणों में निदान खोजने पहुंच जाती हूं।
इस बार भी मैं दोनों बच्चियों की मनुहार लेकर बहुत उत्साहित और आशान्वित होकर गई।
मैंने दोनों के नाम से पूजा अर्चना किया, अश्रुपूरित नेत्रों से उनकी मनौती पूरी करने के लिए प्रार्थना किया, और बाहर आकर दोनों के लिए नारियल और मन्नत का धागा उनके नाम से बांधा। मां से विशेष आग्रह, और अनुरोध किया कि मां
उस फ्रेंच बच्ची की गोद भरने के साथ ही मेरी बेटी की भी गोद भर देना,उसकी मनोकामना पूरी करना उसके पीछे मेरी बेटी की भी सुधि लेना।
मैं जब मंदिर से उतर ही रही थी कि बेटी का फोन आ गया, मम्मी, मेरी सहेली का फिर से कल ही गर्भपात हो गया,ओह, मैंने कहा, ये तो बहुत दुखद समाचार है,खैर, मैंने यहां उसके लिए भी मन्नत मांगी है, आगे जैसी मां की मर्जी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
गाँव – विनय कुमार मिश्रा
मेरी बेटी को प्यारी सी बेटी मिली, और उस फ्रेंच सहेली को एक साल के अंदर ही प्यारा सा बेटा मिला,
मेरी शारदा मां ने दोनों को अपने अनुपम उपहार से अनुग्रहित कर दिया।
उसकी सहेली मुझे बार बार धन्यवाद कह रही थी, मैंने कहा, मुझे नहीं, शारदा मां का आभार व्यक्त करो उन्हें धन्यवाद दो, मेरी बेटी ने उसे फ्रेंच भाषा में बताया, तो वो बोली कि जब मम्मी, यहां आयेंगी तो मेरे लिए भी मां शारदा की फोटो ले आएं, मैं उनकी पूजा करूंगी।
मैं जब पेरिस गई थी, तो वो अपने बेटे को लेकर अपने पति के साथ मुझसे मिलने आई, मुझसे लिपट कर रोने लगी,आपके कारण आज ये मेरी गोद में है, हम दोनों तो निराश हो गए थे,
मैंने मां शारदा मैया का हार्दिक धन्यवाद आभार व्यक्त किया।
हमेशा की तरह मां ने एक बार फिर मेरी परेशानी दूर कर दी, अपने आशिर्वाद से हम सबकी झोली भर दिया।
उसने मुझे बहुत मंहगे मंहगे गिफ्ट दिये,।
मैं जब जब पेरिस अपनी बेटी के पास जाती हूं तब तब वो मुझसे मिलने जरूर आती है, एक बढ़िया सा तोहफा लेकर।
कल फिर वो आने वाली है , मुझसे मिलने।
एक फ्रेंच लड़की होते हुए भी मां शारदा की तस्वीर उसने सजा कर रखी है, उनके आगे हाथ जोड़ कर हमेशा थैंक्यू मां बोलती है,
इस कहानी को भी पढ़ें:
अधूरी – विनय कुमार मिश्रा
कहती है , इन्होंने मुझे अनमोल उपहार मेरे बेटे के रूप में दिया है,
,, दोस्तों, ये अपने श्रद्धा, विश्वास और भक्ति की बात है,
सबको अपने इष्ट देव पर भरोसा रखना चाहिए,दिल से प्रार्थना हम करते हैं तो वो जरूर सुनते हैं, यदि किसी कारणवश हमारी इच्छा पूरी नहीं हो तो उसमें भी हमारी कोई भलाई ही छुपी रहती है, अथवा हमने ह्रदय की गहराइयों से अपनी मांग उन तक नहीं पहुंचाई है।
जय हो मेरी प्यारी शारदा मां की,
जैसे मेरी झोली अपने उपहारों से भर देती हो वैसे ही सबकी झोली भर देना मां।
सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ, प्र
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित।
## जन्मोत्सव, द्वितीय रचना