परी की वापिसी – रीटा मक्कड़

परी की वापिसी – रीटा मक्कड़

शादी के बाद पहली बार जब वो माँ बनने वाली थी तो उसके पति और उसका दोनो का ही मन था कि उनके घर एक प्यारी सी बेटी हो। लेकिन भगवान ने उनको  प्यारा सा बेटा दिया।पहली संतान थी वो भी बेटा। तो सभी परिवार वाले बहुत खुश हुए तो उनदोनो ने भी बहुत प्यार से दिल से उसका स्वागत किया और बेहद प्यार से उसको पालने में लग गए।लेकिन दिल के किसी कोने में एक मलाल रह गया कि बेटी नही हुई। तीन साल बाद फिर से उसकी गोद भरने वाली हुई तो  तो इस बार भी दोनो बहुत खुश हुए कि चलो इस बार तो बेटी ही होगी।

हर रोज वह भगवान से प्रार्थना करती कि हे प्रभु इस बार मुझे बेटी ही देना।लेकिन भगवान की मर्जी के आगे किसकी चलती है।इस बार भी बेटा हुआ।सभी घर वालों ने बेटा आने की बहुत खुशी मनाई।

हालांकि उन्होंने किसी को दिखने तो नही दिया लेकिन अंदर से दोनों ही मायूस हो गए थे कि बेटी नही हुई।

हालांकि इस बात का उनके बेटों पर लुटाए जाने वाले प्यार और उनकी परवरिश पर कोई असर नही हुआ।उनको वो सब मिला जिसके वो हकदार थे।

अब आजकल के टाइम में तो हम दो हमारे दो

के बाद तो कोई  तीसरी संतान के बारे में सोचता ही नही।

उनदोनो को बेटी के बिना अपना परिवार अधूरा से लगता। उन्होंने बहुत जगह जा कर मन्नते मांगी।माथे टेके।हर जगह प्रार्थना की और सोच लिया कि वो एक चांस जरूर लेंगे और इस बार प्रभु ने उनकी सुन ली और उनके घर एक प्यारी सी बेटी आ गयी



अब तो उनको ऐसा लगने लगा कि उनके घर जैसे सूंदर सी परी आ गयी है। दोनो की जान हर दम परी में ही बस्ती रहती।  परी अपने दोनों भाईयों की भी जान थी।वो दोनों  भी उसको बहुत ज्यादा प्यार करते थे।

वो  दोनो   परी के लिए छोटे छोटे कपड़े ,खिलोने ढूंढ ढूंढ के लाते। वो जैसे जैसे बड़ी हो रही  और भी ज्यादा सूंदर और सबकी लाडली बनती जा रही थी।

फिर उसके स्कूल जाने का दिन भी आ गया

परी के मम्मी और पापा दोनो ही उसको स्कूल यूनिफार्म में स्कूल जाते देखते तो बहुत ही खुश होते।ऊपर से उसकी प्यारी प्यारी बातें तो सबको मोहित कर जाती।

वो जब तक स्कूल में रहती घर सूना ही रहता।

और एक दिन वो कहर का दिन आया जब परी स्कूल से आई और वैन वाले ने जब उसको वैन से उतारा तो उसकी मम्मी एक दम से उसको लेने बाहर नही पहुंची क्योंकि वो उसके लिए उसका मनपसंद खाना बनाने में लगी थी।जब तक वो बाहर पहुंची तब तक परी अपनी ही

वैन से टकरा कर गिर गयी थी। क्योंकि जैसे ही वैन वाले ने उसको उतारा सामने से एक डॉगी आ रहा था और वो डर कर वापिस भागी और वैन से टकरा गई।

आसपास वाले सभी उसको हॉस्पिटल तो ले गए लेकिन वो सबको रोता बिलखता छोड़ कर हमेशां के लिए चली गयी।

उसके मां बाप की जो हालत हुई होगी वो तो शब्दों में लिखना मुश्किल है।

लेकिन आज तक ये समझ नही आई कि अगर ईशवर ने इतनी जल्दी उसको अपने पास बुलाना ही था तो उनके पास भेजा ही क्यों…!!

कम से कम वो कुछ सालों बाद सब्र तो कर लेते कि हमारे भाग्य में बेटी का सुख ही नही है।



यहां तक की कहानी मैंने बहुत पहले लिखी थी

अब आगे…

परी के माँ पापा ने बहुत कोशिश की कि वो एक बार और चांस लें और उनकी परी वापिस आ जाये लेकिन उनको सफलता नही मिली। परी अपनी माँ के सपने में बहुत बार आती और बोलती ‘मम्मी में अवश्य वापिस आऊंगी और परी बनकर ही आऊंगी।”

वो दोनो यही सोचते कि वो आना भी चाहती है और आ भी नही रही पता नही ऊपर वाले की क्या मर्जी है।इतने में ही परी की माँ को पता चला कि उसकी देवरानी रंजना पेट से है।उसके भी दो बेटे थे लेकिन उनका तीसरा बच्चा लाने का कोई विचार नही था। अब परी अपनी माँ को सपने में आकर बोलती,”मम्मी मैं चाची के पेट से आऊंगी।”

और सच मे नियत समय पर परी की चाची के घर बेटी ही आयी। जब उसका नामकरण का समय आया तो पंडित जी ने परी के प के इलावा कोई अक्षर ही नही निकाला तो फिर उस बच्ची का नाम भी परी ही रखा गया।

परी जैसे जैसे बड़ी होती गयी वो रंजना के नही बल्कि अपनी बड़ी माँ के करीब आती गयी क्योंकि वो सब एक ही घर मे एक साथ रहते थे।जब वो थोड़ी और बड़ी हुई तो अपनी बड़ी मम्मी के साथ पिछले जन्म की बातें करने लगी,”कभी कहती मम्मी मेरे ड्राइंग के कलर्स आपने कहाँ रख दिये,मुझे दो मैंने ड्राईंग करनी है ..क्योंकि पहले वाली परी को ड्राइंग करना बहुत अच्छा लगता था।कभी कहती  “मम्मी मेरा लहंगा चोली कहाँ है जो पापा लाये थे..क्योंकि पहले वाली परी लहंगा चोली बहुत पहनती थी।

जब स्कूल जाने का समय आया तो पहले दिन वो अपनी बड़ी माँ के साथ ही गयी और उनका हाथ पकड़ कर उनको उस क्लास में ले गयी जहां वो पहले पढ़ती थी और बोली,”मम्मी देखो मेरी क्लास ये वाली है।”

इसके इलावा भी उसको पिछले जन्म की बहुत सी बातें याद थी।

उसने बड़ी माँ और बड़े पापा को हमेशां मम्मी पापा ही बोला और उनकी बेटी की कमी को पूरा कर दिया। जैसे जैसे वो बड़ी होती गई पुरानी बातें भूलती गयी..लेकिन अभी भी वोह उनके जीवन में बेशुमार खुशियां बिखेर रही है।

मुझे नही पता कि पुनर्जन्म होता है या नही..लेकिन ये पूरी घटना मेरी आँखों देखी सत्यघटना है और मेरी बहुत करीबी दोस्त के साथ बीती है।

मौलिक रचना

रीटा मक्कड़

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