अटूट रिश्ता – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

मैं शिखा नई नई कालोनी में शिफ्ट हुई थी… कालोनी में दो सौ चौदह मकान थे। मुझे कार्नर का मकान मिला था इसलिए मकान के बाहर स्पेस ज्यादा था। वर्क लोड बढ़ जाने से मेरी तबीयत खराब हो गई थी।

शाम का समय था मैं आराम कर रही थी तभी एक  अधमरी कुतिया घसीटते घसीटते बाहर रखे कूलर के नीचे आकर बैठ गई । बहुत बुरी तरह से कराह रही थी… कराहने की आवाज सुनकर मेरा पांच साल का बेटा बाहर निकला। उसको कराहते देखकर बेटे को दया आ गई। बेटे ने उसे पानी पिलाया… पानी पीते ही जैसे उसकी जान में जान आ गई। बेटा बहुत खुश हुआ वह मेरे पास आया और सारी बात बताई…बोला मम्मा दूध रोटी देदो मैं उसको दूध रोटी खिलाऊंगा। मैंने एक बड़े कटोरे में दूध रोटी सान कर बेटे को दें दिया। दूध रोटी खाते ही वो थोड़ा खड़ी होने लगी। इस तरह तीन दिन के देखभाल में ही वो उछलने कूदने और दौड़ने लगी। अब वो बिल्कुल स्वस्थ और चैतन्य हो गई थी।

कूलर के नीचे ही उसने अपने रहने का ठिकाना बना लिया था। धीरे धीरे उसकी आदतों से पता चलने लगा कि वो बहुत ही ट्रेन्ड अच्छी प्रजाति की किसी अच्छे घर में पली बढ़ी थी। वो सुबह चार बजे ही उठकर कहीं दूर जाकर दैनिक क्रिया कलाप करके घर वापस आ जाती थी। हाॅ॑ हमारा घर अब उसका भी घर हो गया था। अब वो हमारे घर का अहम हिस्सा हो गई थी उसकी आदतें बहुत अच्छी थी उसने घर के बाहर या अगर बगल भी कभी बाथरूम नहीं किया। 

वो इतनी प्यारी और सभ्य थी कि कालोनी के बच्चे उसे प्यार से ब्यूटी कह कर पुकारते थे और सभी बच्चे प्यार से उसके साथ खेलते थे। उसे अच्छे से पता चल गया था कि किस समय हमारे घर नाश्ता, लंच और डिनर बनता है। वह उसी समय बाहर बैठकर खाना मांगने लगती थी। उसे हर चीज मालुम था कि कैसे खाना खाते हैं…. कैसे बाॅ॑ल फुटबॉल खेलते हैं। वो बहुत ही शांत स्वभाव की थी कभी भी फालतू किसी पर नहीं भौंकती थी और ना ही किसी को परेशान करती थी।




जब वो बाहर बच्चों के साथ खेलती थी तो सभी बच्चे उसे ब्यूटी ब्यूटी कहकर बुलाते थे। हमारे घर के चौथी मंजिल पर एक नव दम्पत्ति रहते थे उनकी पत्नी का नाम भी ब्यूटी था। जब वो बच्चो को ब्यूटी ब्यूटी पुकारते हुए सुनते थे तो उन्हें बड़ा आश्चर्य होता था कि मेरी पत्नी को ये सब बच्चे इस तरह क्यों पुकारते हैं।

यही जानने के लिए वे एक दिन नीचे आए तो उन्होंने देखा बच्चे एक कुतिया के साथ खेल रहे हैं और उसी को ब्यूटी ब्यूटी पुकार रहे हैं। उन्हें यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी उन्होंने बच्चो से आग्रह किया कि वे उसका नाम बदलकर कुछ और रख दें । पर बच्चे तो बच्चे ही होते हैं उन्हें अपनी प्यारी ब्यूटी का नाम बदलना मंजूर नहीं था। खैर वे सज्जन खिसिया कर चले गए।

जब हम कहीं चले जाते थे तो ब्यूटी उदास होकर बाहर बैठी रहती थी। जब हम वापस आते थे तो उसे दूर से ही हमारे आने की आहट हो जाती थी और ब्यूटी दौड़कर हमारे पास आ जाती थी और हम तीनो पर अपना प्यार लुटाती थी। ब्यूटी के रहते हुए हमें कोई डर नहीं था उसके होते हुए कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता था हमारे घर। उसके भरोसे ही हम कई कई दिन अपने घर में ताला लगा कर चले जाते थे।

अब ब्यूटी हमारी ही नहीं कालोनी में रहने वाले सभी लोगो की चहेती हो गई थी। परंतु कालोनी में एक परिवार ऐसा था जिसे बच्चों का ब्यूटी के साथ खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था या यूं कहें कि उन्हें हम सब की खुशी देखी नहीं जा रही थी। आए दिन शिकायत ले कर आ जाती थी कि इसे क्यों पाल रखा है और खुला भी छोड़ रखा है…इसे भगा दीजिए नहीं तो बच्चो को काट लेगी।




फिर मैंने भी उन्हें उन्ही की भाषा में पलट कर जवाब दिया। इतने दिनों से यह यहां रह रही है कभी किसी को इसने काटा नहीं सभी बच्चे इसे प्यार करते हैं और इसके साथ मजे से खेलते हैं। फिर यह आपके बच्चे को क्यों काट लेगी आप लोग भी इसे प्यार करिए फिर देखिए कैसे आप पर भी जान छिड़कती हैं। ब्यूटी तो खुद बच्चो का ख्याल रखती है बच्चो से प्यार करती है। उन्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी और मुंह बनाकर चली गई।

एक दिन उन्होंने ब्यूटी को अकेला पाकर लाठी से उसके पैर में मार दिया जिससे उसका एक पैर टूट गया। डाक्टर के पास ले कर गए डाक्टर ने उसको देखा परंतु वह दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और पूरी रात दर्द से तड़पती रही। सुबह पतिदेव आफिस चले गए और बेटा स्कूल चला गया। उसका दर्द बढ़ता ही जा रहा था मैं घर में अकेली थी मुझसे भी उसका दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। बार बार उन लोगो के ऊपर गुस्सा आ रही थी दिल कोश रहा था । लोग इतने पत्थर दिल कैसे होते हैं। इसके असली मालिक ने इसका इस्तेमाल करके इसको अधमरा सड़क पर फेंक गए जब काम की नहीं रही तो। और निर्दई पड़ोसी क्या बिगाड़ा था इसने जो इतनी बुरी तरह से इस बेजुबान को मार दिया। ब्यूटी इतनी प्यारी थी कि बच्चो ने कभी उसके गले में पट्टा बांधने ही नहीं दिया बेधड़क उसके साथ खेलते थे। आज ब्यूटी की हालत देखकर बहुत रोना आ रहा था।

सुबह के दस बजे थे मैं ब्यूटी के पास जाकर बैठ गई और उसे प्यार से सहलाने लगी..…वो शान्त हो गई जैसे किसी ने उसकी पीड़ा को हर लिया हो। मैंने ब्यूटी से पूछा ब्यूटी कुछ खाओगी भूख लगी है…. ब्यूटी ने हां में गर्दन हिलाई। मैंने अपने हाथों से पांच छः पूड़ी उसे खिलाई। मैं पूड़ी खिलाती जा रही थी और उसकी आंखों से आंसू बहाता जा रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे आज कोई बेटी बाबुल के घर से विदा हो रही हो और देखते ही देखते ब्यूटी ने मेरी बाहों में दम तोड दिया…

मैं फूट फूट कर रोई। ब्यूटी से हमारा एक अटूट रिश्ता जुड़ गया था। पतिदेव ने उसके ऊपर गंगा जल छिड़क कर उसे दफना दिया। हम सब को रुलाकर ब्यूटी हमेशा के लिए चली गई। आज भी उसे याद करते ही आंख से आंसू गिरने लगते हैं। ब्यूटी तुम्हारी कमी बहुत खलती है…तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता।

#एक_रिश्ता 

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश

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