“आज फिर जीने की तमन्ना है.. ला ला ला…. कांता बाई आज बड़े ही मधुर स्वर में गुनगुनाते हुए काम कर रही थी। उसके चेहरे की मधुर मुस्कान बता रही थी आज वो बहुत ही खुश है और आज तो कानों में लंबे-लंबे झुमके औऱ आंखों में सुरमा, बड़ी ही बन-ठन के आई थी..औऱ दिन की तरह आज वह कुछ अलग ही लग रही थी।
उसको आज इस तरह से खुश देखकर आखिरकार शीला ने पूछ ही लिया…
क्यो री..आज इतनी खुश क्यो है…? आज कौन सा तेरे हाथ कुबेर का खजाना लग गया…जरा मुझे भी बता तो।
शीला ने पूछा।
कुछ नही मेंम साहब… बस कल वो (पति) हमार शहर से लौट कर आये हैं ना तो बस इसी खुशी में, कांता बाई ने थोड़ा शर्माते हुए कहा।
ओह्ह…वो आये हैं… तभी आज इतनी सज संवर के आई है.!! शीला ने भी बड़े प्यार से कहा।
क्या करूँ मेमसाहब जी…हमार लिए वो बड़े ही प्यार से झुमके लाये थे,कितने ही सालों में आज लेकर आये औऱ अपने हाथों से पहनाया तो आज रूप पर निखार आना ही था ना… कांता बाई ने फिर शर्माते हुए कहा।
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अच्छा.. “बता तो तेरे झुमके.. शीला ने कहा।
लो मेमसाहब देखो…कांता बाई ने झुमके दिखाते हुए कहा।
झुमके देखकर शीला जोर जोर से हँसने लगी…उसकी हंसी को देखकर कांता बाई कुछ समझ नही पाई…। कांता बाई ने झट से अपने झुमके शीला के हाथ से लिये औऱ पहनने लगी।
तभी शीला ने कहा-अरे!!पगली यह झुमके सोने के नही है.. यह तो पीतल के हैं।। औऱ तू इन पीतल के झुमको के लिए इतनी खुश हो रही है।। गर पति से कुछ मांगा ही तो…सोने या हीरे से बनी चीज लेती..जो कीमती होती है..!! यह तो बेमोल हैं गर तू इसे बेचने भी जाएगी तो कोई तुझे इसकी मुँह मांगी कीमत भी नही देगा…।।
सच मे कांता बाई तुम बहुत ही भोली हो और एकदम बुद्धू भी…। मेरी तरह सयानी बन देख मेरे पति भी हर बार मेरे जन्मदिन पीतल या फिर सोने की पॉलिस से बने सेट या छोटी मोटी चीजे देकर मन बहला देते थे… औऱ जब भी कहती कि मुझे हीरो का सेट चाहिए तो बस बहाने बना देते थे।
अभी थोड़ी तंगी चल रही है, तुम तो जानती हो ना, मेरी सैलेरी इतनी नहीं है कि जो तुम्हारी डिमांड पूरी कर सकूँ…।।
लेकिन इसबार तो मैंने तो जिद्द पकड़ ली कि मुझे तो हीरो का सेट ही चाहिए चाहे कैसे भी लाकर दो…मैं तो पति से कुछ दिन बोली भी नही…फिर देख आखिर मेरी जिद्द की जीत हुई औऱ उन्होंने मुझे हीरे का सेट लाकर दिया…शीला अपनी गाथा सुनाने लगी.
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कांता बाई चुपचाप शीला की बात सुनी… औऱ मंद ही मंद मुस्कुराते हुए कहा-” जानती हूँ मेमसाहब हमार मर्द ने जो झुमके दिये हैं वो पीतल के हैं लेकिन यह झुमके मेरे लिए अनमोल हैं,क्योंकि इन झुमको मे मेरे पति का प्रति प्रेम छिपा हुआ है जो शायद हीरे के सेट में भी न छुपा हो..औऱ पति पत्नी के रिश्ते में कितना प्यार है यह दिखाने के लिए क़ीमती चीजों की आवश्यकता नहीं होती बल्कि दोनों एक दूसरे के बारे में कितना सोचते हैं,कितना एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करते हैं, कितना विपरीत परिस्थितियों में साथ देते हैं यह सब जरूरी होता है.. औऱ हम लोगो की जिंदगी में हर दिन अच्छा हो ये जरूरी नहीं है बल्कि छोटी छोटी खुशियों में खुश रहकर हर दिन को बेहतर बनाया जा सकता हैं..!!इसलिए आप मुझे न समझाएं की रिश्तों में चमक कीमती चीजों से नहीं प्यार से आती है..!! कांता बाई ने शायद जीवन की सच्चाई बयां कर दी थी…!!
कांता बाई की बातों ने शीला को झझोंड़ कर रख दिया… औऱ सोचने लगी-,जब से पति अविनाश ने हीरो का सेट लाकर दिया है तब से वो कुछ ज्यादा ही काम में व्यस्त रहने लगे..न ठीक से बात करते हैं औऱ न ही कुछ अपने मन की कहते हैं.. न ही अब मुझसे कोई शिकायत करते हैं एकदम मौन से हो गए हैं।।
बस उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलकती हैं।
मैने कभी उनसे पास बैठकर कभी उनकी परेशानी का कारण भी नही पूछा। मुझे एहसास जरूर हो गया कि उन्होंने मेरी खुशी के लिए इतना बड़ा कर्ज लिया है. जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा काम करना पड़ रहा..सुकून भरी जिंदगी थी लेकिन शायद मैने ही अपनी जिंदगी का सुकून छीन लिया था… नही मुझे हीरे का सेट नहीं चाहिए ….दिखावटी चमक का क्या करना… सही कह रही हैं कांता बाई कि पति का प्यार ही जीवन का सबसे बड़ा उपहार हैं, उस प्यार के आगे कीमती चीज भी फीकी नजर आती हैं.
मैं शीला को बुद्धु बोल रही थी..बल्कि बुद्धु तो मैं थी जो आजतक कभी अपने पति के प्रेम को समझ नही पाई…!
उधर कांता बाई अपनी मधुर आवाज में “आज फिर जीने की तमन्ना हैं गुनगुनाती अपने घर चली गई।।
ममता गुप्ता