” हैलो मुस्कान !” तृप्ति ने अपनी दोस्त को फोन किया।
” जी कौन ?” सामने से मर्दाना आवाज सुन तृप्ति ने हैरानी से फोन देखा।
” जी हमे मुस्कान से बात करनी है फोन उसे दीजिए !” तृप्ति फोन को कुछ पल घूर फिर से कान पर लगा बोली।
” देखिए यहां मुस्कान तो कोई है नही ये मेरा फोन है और मेरा नाम मिलिंद है!” सामने वाला शख्स तृप्ति की खनकती आवाज के जादू में जैसे खो गया हो।
” ओह माफ़ कीजिए पता नहीं कैसे गलत नंबर लग गया मैने तो सही मिलाया था !” तृप्ति ने ये बोल फोन काट दिया।
” मैडम आज भले मेरा नंबर गलती से मिला क्या पता आप दुबारा खुद से मिलाएं !” मिलिंद फोन को देखता हुआ मुस्कुरा कर खुद से बोला।
अगले दिन तृप्ति पर एक कॉल आई ” हैलो कौन ?” तृप्ति ने फोन उठा पूछा।
” मैडम मैं रॉन्ग नंबर बोल रहा हूं क्या हम थोड़ी देर बात कर सकते है ?” सामने से मिलिंद बोला
” रॉन्ग नंबर…ये भला कैसा नाम हुआ ?” तृप्ति खिलखिलाते हुए बोली।
” आपकी हंसी बहुत अच्छी है मिस…..!” मिलिंद ने जानबूझ कर वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
” तृप्ति नाम है मेरा वैसे आपने मुझे कॉल क्यों किया ?” तृप्ति ने अपना नाम बताते हुए पूछा।
” यही बताने के लिए की आपकी हंसी बहुत अच्छी है !” मिलिंद को कुछ और नही सूझा तो उसने कहा।
” हा हा हा हा …उसकी झेंप महसूस करते हुए तृप्ति जोर जोर से हंसने लगी और मिलिंद उसकी हंसी में खो गया।
” अरे आज फिर आपने फोन किया ?” अगले दिन फिर मिलिंद के फोन आने पर तृप्ति ने पूछा।
” वो …वो सॉरी गलती से मिल गया …!” मिलिंद झूठ बोलने लगा।
” हा हा हा आपको झूठ बोलना नहीं आता तो क्यों बोलते है ?” तृप्ति हंसते हुए बोली। फिर दोनो एक दूसरे के खूब सारी बातें करते रहे। तृप्ति एक अनाथ लड़की थी जो अनाथाश्रम में पली बढ़ी और अब एक पीजी में रहकर नौकरी करती है। मिलिंद एक इंजीनियर है। दोनो एक ही शहर में रहते हैं। धीरे धीरे दोनो को एक दूसरे से बात करना अच्छा लगने लगा। दोनो सोशल मीडिया पर भी एक दूसरे के दोस्त बन गए थे और वहीं से उन्होंने एक दूसरे की तस्वीर भी देख ली थी। दोनो को बात करते छह महीने गुजर गए।
” हैलो तृप्ति क्या आपको नहीं लगता हमे एक बार फेस टू फेस मिलना चाहिए !” एक दिन मिलिंद तृप्ति से बोला।
” ओके तो आप बताइए कहां मिलना है ?” तृप्ति ने पूछा क्योंकि मिलना तो वो भी चाहती थी पर पहल करने से डरती भी थी।
दोनो ने इस इतवार एक कैफे में मिलने का प्रोग्राम भी डिसाइड कर लिया। चूंकि दोनो ने एक दूसरे की तस्वीर देखी थी तो दिक्कत तो थी नही पहचानने में।
” हैलो मिलिंद जी !” तृप्ति जब कैफे में पहुंची तो मिलिंद को पहले से इंतजार करते पाया।
” हाई तृप्ति बैठिए !” मिलिंद ने आगे बढ़ तृप्ति के लिए कुर्सी आगे की।
” आप तो तस्वीर से भी ज्यादा सुंदर है !” तृप्ति के बैठते ही मिलिंद बोला।
” हा हा हा शुक्रिया जी !” तृप्ति हंसते हुए बोली मिलिंद को ऐसा लगा जैसे तृप्ति के हंसते ही एक खनक सी चारों ओर सुनाई दे रही हो। उसके दिल में तितलियां सी उड़ने लगी…नही नही सच्ची की तितली वितली नही …मतलब की उसे तृप्ति से प्यार होने लगा।
” तृप्ति आप मेरे मेरी फैमिली के बारे में सब जानती हो अगर मैं आपको पसंद हूं तो मुझे आपसे शादी करनी है !” अचानक मिलिंद तृप्ति से बोल पड़ा।
तृप्ति हैरान थी मन ही मन वो मिलिंद को पसंद करती थी पर उसे उम्मीद नही थी मिलिंद उसे परपोज कर देगा आज के आज।
” पर मिलिंद जी आपके घर वाले मेरे बारे में जानकर इस रिश्ते को मंजूरी देंगे ?” तृप्ति ने जवाब देने की जगह मिलिंद से ही सवाल किया।
” बेफिक्र रहिए वो आपके बारे में जानते है !” मिलिंद मुस्कुरा कर बोला।
” आप तो बड़े छिपे रुस्तम निकले सब कुछ पहले से डिसाइड था पर अगर मैं कोई अपाहिज होती तो…. !” तृप्ति हंसते हुए बोली!
” तब भी मैं आपसे यही सवाल पूछता कि क्या आप मुझसे शादी करेंगी?” मिलिंद तृप्ति की आंखो में आंखे डाल बोला।
तृप्ति को मिलिंद की आंखो में सच्चाई नजर आई। वहां से मिलिंद तृप्ति को अपने घर वालों से मिलवाने ले गया। मिलिंद के परिवार में बस उसकी मां और छोटी बहन थी। उन दोनो को तृप्ति बहुत पसंद आई। तृप्ति पहली बार मां का प्यार महसूस कर रही थी एक परिवार मिला था उसे वो भी एक रॉन्ग नंबर की बदौलत उसकी आंख भर आई।
” शुक्रिया मिलिंद मुझ अनाथ को एक परिवार देने के लिए !” वापसी में तृप्ति नम आंखों और भरे गले से बोली।
” तृप्ति मैने तो तुम्हारी हंसी देख तुम्हे पसंद किया है तुम रोंदू हो ये तो मुझे पता ही नही था !” मिलिंद जानबूझ के मुंह बनाता हुआ बोला। जिसे देख तृप्ति की हंसी छूट गई ।
” ऐसे ही हंसती रहना ….!” मिलिंद ने तृप्ति का हाथ पकड़ कर कहा।
” आप ऐसे ही मुझे हंसाते रहना !” जवाब में तृप्ति मिलिंद के हाथ पर हाथ रखती हुई बोली।
दोस्तों रॉन्ग कॉल लगना हमेशा परेशानी का सबब नही होता कभी कभी ये रॉन्ग नंबर राइट रिश्ते बना देता है।
आपकी दोस्त
#प्रेम
संगीता अग्रवाल