आखिर मेरी शादी की इतनी जल्दी क्यों है मां? – चाँदनी झा 

“सुनो न राधिका, कल तैयार रहना, तुमको देखने लड़केवाले आ रहे हैं।” क्यों मां, मैं हमेशा से कह रही हूं, मुझे पढ़ने दो, अभी अपने कैरियर बनाने के बाद ही शादी करूंगी। देखो मेरी लाडली, लड़का बहुत अच्छा है, पैसा वाला है, पैतृक संपत्ति काफी है, और….लड़का का बिजनेस, काफी बड़ा है। एक ही भाई है, घर संभालने के लिए एक अच्छी और पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए। 

राज करेगी राज, नौकर-चाकर सब है, गाड़ी, बंगला, फार्महाउस, और जानती हो, तुम्हारी फोटो देखकर, पसंद कर लिया उन्होंने। मां, आखिर शादी के लिए, बस पैसावाला होना ही जरूरी है। तुमने ये नहीं बताया, लड़के की उम्र क्या है?कितना पढ़ा-लिखा है? व्यवहार कैसा है? मां, बस लड़के को पैसा होना ही पहली प्राथमिकता है बेटी की शादी के लिए। मां, कुछ न बोल सकी। आखिर बोलती क्या, इस आधुनिक जमाने में भी अबतक, लड़के की फोटो तक राधिका को नहीं, दिखाया गया था। 

लड़के के गुण से ज्यादा, लड़के की हैसियत देखी जा रही थी, लड़के के बारे में कम, उसकी संपत्ति की ज्यादा चर्चा हो रही थी। राधिका ने कहा, मां, जिस पैसे के पीछे भाग रही हो, जिस पैसे के सपने मुझे दिखा रही हो, मैं वो खुद कमाना चाहती हूं। आराम की जिंदगी के लिए, शादी नहीं, मैं खुद नौकरी करना चाहती हूं मैं। सिर्फ पैसों के लिए क्या शादी करना, पैसा तो मैं खुद भी कमा सकती हूं।




 दूसरों के सुख की आशा नहीं, मैं अपनी जिंदगी, अपने बल पर जीना चाहती हूं। मैं स्नातक अंतिम वर्ष में हूं, अभी भी मां, क्या मैं अपना खर्चा नहीं निकाल रही हूं, ट्यूशन पढ़ा लेती हूं, बस दो-तीन साल की और बात है, मैं प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही हूं, मैं खुद लायक बनना चाहती हूं, ताकि तुम्हें अपनी बेटी की सुखों की चिंता न रहे। बस मां, मुझपर यकीं करो, लड़के वाले को मना कर दो। बेटा, तुम कल नौकरी करोगी या न करोगी? ये भूत-भविष्य वाली बात हो गई।

 इस चक्कर में इतना अच्छा लड़का हाथ से निकल जायेगा। तुम नौकरी बाद में कर लेना, अभी शादी कर लो। मां भी कहां मानने वाली थी। “आखिर मेरी शादी की इतनी जल्दी क्यों है मां?” झल्लाते हुए पूछा, राधिका ने। मां, मैंने जो सपना देखा है, उस सपने को पूरा करने के लिए, अपनी जमीं, अपना आसमान चाहिए, किसी और के सहारे नहीं। शादी के बाद मेरी पहली प्राथमिकता परिवार हो जायेगी, जबकि अभी पहली प्राथमिकता पढ़ाई है। देखो मां, मैं अभी अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ शादी नहीं करूंगी।

 राधिका ने जरा जोर से आत्मविश्वास के साथ कहा। मां अपनी बेटी के सपने के आगे हार चुकी थी। आज चार साल बाद, जब खुद की कमाई मां, के हाथों पर रखा, राधिका ने, तो मां जीत चुकी थी। अपनी बेटी को चूम रही थी कभी, तो कभी बलैया ले रही थी। अब उसे अपनी बेटी की शादी की कोई चिंता न थी, उसे तो खुशी थी की बेटी ने अपना सपना पूरा किया, खुद से अपनी जमीं, अपना आसमान बनाया।

चाँदनी झा  

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