दर्द का दर्द से रिश्ता – ममता गुप्ता

चाँद का मुखड़ा, लंबे लंबे बाल औऱ बोलने पर शब्दों में से प्रेम के झरने बहते थे, बला की खूबसूरत थी वो…लेकिन न जाने किस की नजर लग गई विनीता को। शादी के डेढ़ साल बाद ही पति रोहन की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी और विनीता का खुशहाल जीवन एक सफेद रंग की साड़ी के जैसे कोरा हो गया था। आंखों के आंसूओ छुपाकर रखती थी ताकि सास ससुर उसे इस हालत में देख कमजोर न पड़ जाये।।

“रोहन के चले जाने के बाद सास ससुर (कौशल्या-मोहन) ने कितनी ही बार कहा कि बहू तू दूसरी शादी कर ले। लेकीन विनीता ने हर बार मना कर दिया था।

क्योंकि रोहन इस घर का इकलौता बेटा था! रोहन के चले जाने के बाद  सास ससुर भी अकेले हो गए थे। ऐसे में दूसरी शादी करके उन्हें अकेला छोड़ देना अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़ना था। 

विनीता एक बेटा बनकर अपने सास ससुर की ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार थी लेकिन दूसरी शादी करने को नही।

दर्द लेकर जीना मंजूर था लेकिन सास ससुर को अकेले छोड़ना औऱ अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ना विनीता को मंजूर नही था।।

इसलिए विनीता ने अपने लिये जॉब ढूंढी और जॉब करने लगी। तीनों अपने अपने दर्द को अंदर ही अन्दर छुपाते रहते यह सोचकर कि कही आँखो में नमी देखकर चेहरे की मुस्कान न छिन जाए.. । 

विनीता का बॉस रोहित विनीता की सादगी को देखकर उसको पसन्द करता था लेकिन कहीं विनीता गुस्सा न हो जाये इसलिए अपने दिल की बात कहने से डरता था। बस उसे अपने केबिन में लगे शीशे में से निहारता रहता।

एक दिन रोहित ने हिम्मत करके अपने दिल की बात विनीता से कह दी कि विनीता मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूं और तुमसे शादी करना चाहता हूँ..।

यह शब्द सुनकर विनीता ने कहा …”सर आप मेरे बारे में नही जानते हैं और मैं यह शादी नहीं कर सकती हूं।” विनीता ने सीधे शब्दों में जवाब देते हुए कहा।

“आखिर परेशानी क्या है…?” तुम मुझे एक अच्छा समझकर अपनी परेशानी बता सकती हो?




रोहित सर ने कहा।

“सर हम इस बात को यही खत्म करते हैं…।” विनीता ने कहा।

ऑफिस से छूट्टी होने के बाद विनीता जब घर पहुँची तो बस इसी बारे में सोचती रही कि ” ग़र मैने अपने जीवन के बारे में सोचा तो मेरे सास ससुर का क्या होगा..? आखिर मैं ही तो उनका एकमात्र सहारा हूँ..? नही !! 

मैं केवल अपने लिए नही सोच सकती।” …विनीता मन ही मन विचार करने लगी।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए.. एकदिन ऑफिस के काम ज्यादा होने की वजह से ऑफिस में रुकना पड़ा। अब देरी के कारण घर जाने के लिए उसे कोई साधन नही मिला..!

यह देखकर रोहित ने बोला “चलो बैठो मेरी गाड़ी में मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ।” विनीता गाड़ी में बैठी और चल दी घर की ओर।

घर पहुँचते ही विनीता के देरी से लौटने के कारण सास-ससुर चिंतित हो गए थे..

विनीता को देखकर चेहरे पर चमक आ गई और साथ में रोहित को देखकर भी..!

विनीता ने रोहित का परिचय करवाया.. “यह हैं मेरे माँ बाबूजी।”

“माँ यह मेरे बॉस हैं रोहित सर,” विनीता ने परिचय करवाते हुए कहा।।

रोहित से मिलकर विनीता के सास ससुर को अच्छा लगा। और वो भी वही सोच रहे थे जो रोहित सोच रहा था..मतलब विनीता से शादी करने की।

कौशल्या जी और मोहन जी दोनों ही रोहित से अपने परिवार के बारे में पूछने लगें.।

रोहित ने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि-माता पिता तो न जाने कब के मुझे अकेला छोड़कर भगवान को प्यारे हो गए…! अकेले ही मैने अपने बिजनेस औऱ परिवार को संभाला है। शादी की एक बच्ची हैं, जिसका नाम सुहाना है..। लेकिन क्या कहें शायद भगवान को मेरी खुशियों रास नही आती हैं,कुछ महीने पहले वीबी का कोरोना की वजह से देहांत हो गया ..। अब बस मैं और मेरी बेटी सुहाना हैं।

रोहित के बारे में जानकर सभी को दुःख हुआ। रोहित भी शायद अपने अंदर एक दर्द छुपाकर बैठा था,अपने बारे में बताते हुए रोहित की आँखे नम हो गई।।




कौशल्या जी ने बच्ची की चिंता करते हुए पूछा-“तुमने दूसरी शादी क्यों नही की?

कोशिश की माँ जी लेकिन…माँ जी कोई मिली ही नही..जो मेरी बेटी सुहाना को माँ का प्यार दे सकें। औऱ शादी में अपने लिए नही अपनी बच्ची सुहाना के लिए करना चाहता हूं ताकि उसे माँ का प्यार मिल सके।

मोहन जी ने विनीता की तरफ देखा औऱ सोचा यह दोनों शायद टूटी हुई कश्ती को सहारे बन सकते हैं। ग़र एक दूजे का हाथ थाम लें तो।

मोहन  जी ने कहा-“रोहित से क्या तुम मेरी बहू विनीता से शादी करोगे। विनीता और आपकी बहू, कुछ समझ नही आया।

विनीता हमारी बेटी नही बहू है। मेरे बेटे रोहन की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई और वो हमें छोड़कर चला गया। तब से विनीता ने ही बेटा बनकर हम दोंनो को संभाला हैं..। हम दोनों अकेले न रह जाये इसलिए इसने खुद के बारे में कभी सोचा ही नही। 

हम चाहते हैं कि हमारी वजह से यह अपनी ज़िंदगी बेरंग न रखे..हमारा क्या पता हम कब परलोक सिधार जाएं। इसलिए हम चाहते है कि इसे भी कोई मिल जाये जो इसका हाथ सदा थामे रखें।

रोहित की नज़रों में विनीता की इज्जत औऱ बढ़ गई..सच मे जैसा उसने सोचा बिलकुल वैसी ही है विनीता

रोहित ने मोहन जी का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए कहा-मैने कुछ दिन पहले विनीता से बात की थी शादी के लिए पर उसने मना कर दिया..।

विनीता सब बाते सुन रही थी… तभी सभी ने विनीता की औऱ इशारा करते हुए पूछा-क्यों मना किया तुमने शादी के लिए। क्यों हमारे पीछे अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रही हैं। जरा अपने बारे में भी सोच ले..

तभी विनीता बोली-ग़र मैं शादी करूँगी तो एक शर्त पर करूँगी की मेरे सास ससुर भी मेरे ही साथ रहेंगे और सुहाना को प्यार देने में कही भेदभाव का मन में भाव ने जगे इसलिए मैं कभी दूसरा बच्चा पैदा नही करूंगी। बस यही मेरी शर्त हैं।

रोहित ने हाथ जोड़कर कहा यह तो मेरे लिए खुशी की बात है मुझे तो माँ बाप मिल जाएंगे औऱ सुहाना को दादा दादी।

मोहन व कौशल्या जी को बेटा मिल गया औऱ बेटी के हाथ पीले करने का सौभाग्य मिल गया।दर्द का दर्द से एक खुशियों वाला खूबसूरत रिश्ता बन गया औऱ एक पूर्ण परिवार भी ।

रोहित औऱ विनीता की शादी हुई औऱ दोनों के जीवन में खुशियों का आगमन हुआ।

दोस्तों बहू भी बेटे की तरह अपना फर्ज निभाती है.. कोई बहू या कोई भी सास ससुर नही चाहते कि हमारी बहुएं कष्ट सहन करें या दुःखी रहे..बस एक दूजे के दुःख को समझना पड़ता है।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी बताना जरूर आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

#दर्द 

ममता गुप्ता

 

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