दिशारी   –   गीता वाधवानी

माता-पिता की इकलौती ,लाडली बेटी दिशारी। कल उसका 20 वां जन्मदिन है। मां मीना और उसके पिता ओम जी ने सोचा कि क्यों ना आज रात को 12:00 बजे ही अपनी लाडली को जन्मदिन की बधाई देकर हैरान कर दिया जाए। इसलिए दोनों दबे पांव उसके कमरे की तरफ बढ़ रहे थे। दिशारी के कमरे से उसकी आवाज आ रही थी। वह किसी से मोबाइल पर बात कर रही थी। उन्हें लगा कि उसका कोई दोस्त उसे जन्मदिन की बधाई दे रहा होगा, इसीलिए वे लोग चुपचाप उसके दरवाजे के बाहर खड़े हो गए। 2 मिनट बाद उन्हें अंदाजा हुआ कि माजरा कुछ और ही है। दिशारी किसी लड़के से बात कर रही थी और दो-तीन दिन में उसके साथ घर छोड़कर जाने वाली थी। उसकी बातों से उसके माता-पिता को इतना तो पता चल ही गया। यह सुनकर उसके माता पिता के हाथ पांव ठंडे पड़ गए, दिल दर्द और तकलीफ से भर उठा। आंखों से आंसू बहते जा रहे थे फिर अगले ही पल उसकी मां मीना अत्यधिक गुस्से से भर उठी और दिशारी के कमरे में जाकर उसे पीटने की बात करने लगी। ओम जी ने मीना का हाथ पकड़ा और लगभग उसे घसीटते हुए अपने कमरे की ओर ले गए और उससे कहने लगे,”यह तुम क्या करने जा रही थी, जवान बच्ची है, हाथ उठाना सही नहीं।”

मीना-“इतना कुछ सुन कर भी आप शांत कैसे हैं? क्या हमारे पालन पोषण में, हमारे संस्कारों में कहीं कोई कमी रह गई है या फिर हमने दिशारी को किसी चीज की कोई कमी होने दी है?” ओम-“वही तो मैं तुम्हें समझाना चाह रहा हूं। मुझे भी बहुत गुस्सा आ रहा है लेकिन फिर भी न जाने क्यों कहीं ना कहीं मुझे अपनी दिशारी पर पूरा भरोसा है कि वह ऐसा गलत कुछ नहीं करेगी। जरूर वह किसी बहकावे में आ गई है वरना वैसे तो वह बहुत हमारी परवाह करने वाली समझदार लड़की है।” फिर मीना को ना जाने क्या हुआ और वह दिशारी के बचपन की तस्वीरों वाली एल्बम निकाल लाई। माता-पिता दोनों की नींद उड़ चुकी थी और वह तस्वीरें देखकर पुरानी यादों को ताजा करने लगे। उधर दिशारी इस बात से अनजान कि उसके माता-पिता ने उसकी बातें सुन ली है, पानी पीने के लिए फ्रिज से बोतल लेने आई तो देखा कि मम्मी पापा के कमरे की लाइट जल रही है और उनके बातें करने की आवाजें भी आ रही है। बोतल लेकर वह जाने लगी तो उनकी बातचीत में अपना नाम सुनकर ना चाहते हुए भी वे दो पल के लिए रुक गई। उसकी मां मीना कह रही थी-“याद है आपको आपने अपनी लाडली का नाम चुनने के लिए कितने दिन लगा दिए थे

और नाम भी ऐसा चुना कि सबको सुन कर भा गया,”दिशारी, सबको रास्ता दिखाने वाली”। यह वाली तस्वीर याद है आपको, जब इसके पैदा होने पर डॉक्टर ने बताया था कि इस के दिल में एक छोटा सा छेद है तब आप मुझसे भी ज्यादा रोए थे। डॉक्टर ने कहा कि दिशारी दवाइयों से बिल्कुल ठीक हो जाएगी, तब भी आपको चैन नहीं पड़ रहा था और जब वह बिल्कुल भली चंगी हो गई तब आपने उसकी यह तस्वीर ली थी।” ओम-“हां, कैसे भूल सकता हूं और क्या तुम्हें याद है कि तुम्हें घर में कोई भी जानवर पालना पसंद नहीं था पर फिर भी तुम दिशारी के लिए एक प्यारा सा पपी लेकर आई थी।” दिशारी को यह सब बातें पता थी पर फिर भी ना जाने कौन से अनजाने मोह में बंध कर वह बहुत देर तक सारी बातें सुनती रही। मीना-“यह फोटो देखो, कितनी खुश दिख रही है इसमें।




जब आपने उसे नई स्कूटी दिलवाई थी और 1 दिन पहले ही आपकी सोने की चेन खो गई थी। ऐसा क्या कर मीना ने ओम की तरफ देखकर पूछा-“क्या चेन वास्तव में खोई थी या फिर उसको बेचकर——” ओम-“तुमसे क्या कुछ छुपा है, मुझे पता है तुम तभी समझ गई थी।” दिशारी ने सुना। ओह! यह तो मुझे पता ही नहीं था और मेरा ध्यान भी नहीं गया इस तरफ। वह चेन तो पापा की प्रिय चेन थी क्योंकि दादी ने उन्हें दी थी। मेरी स्कूटी के लिए पापा ने उसे बेच दिया। मीना-“नाम से लेकर कपड़े और कपड़ों से लेकर, उसका बैग, जूते, हर चीज कितनी छांट कर आप लेते थे उसके लिए।” ओम-“तुमने भी तो उसे अपनी साड़ी के लिए इकट्ठे किए हुए 5000 रुपए दे दिए थे, जब उसे स्कूल की पिकनिक पर जाना था। जबकि तुम्हें उस समय अपनी सहेली की बेटी की शादी के लिए साड़ी की बहुत जरूरत थी फिर भी तुमने पुरानी साड़ियों से ही काम चलाया।” यह बात सुनकर भी दिशारी हैरान थी

उसे तो यह पता ही नहीं था। कितने अच्छे हैं मेरे माता-पिता। दिशारी के मन में एक तूफान जन्म ले चुका था। वह अपने कमरे में चली गई थी और अपने आप से कह रही थी”यह मैं क्या करने जा रही थी। मेरे मम्मी पापा की जान बसती है मुझे और पापा को तो एक हार्टअटैक भी आ चुका है और मैं उन्हें छोड़कर जाना चाह रही थी। वे दोनों तो इस बात से मर ही जाएंगे। वह लड़का मुझे 6 महीने पहले मिला और मैं उसके 6 महीने के प्यार के पीछे अपने मम्मी पापा का बरसों का प्यार भुला बैठी। एक बार मैंने उसके बारे में मम्मी पापा से बात तक नहीं की। दूसरों को बहुत उपदेश देती थी मैं और जब अपनी बारी आई तो अक्ल पर पत्थर पड़ गए। मम्मी पापा पर क्या बीतेगी यह भी नहीं सोचा और तो और यह भी नहीं सोचा कि जो लड़का घर से भागने की सलाह दे रहा है

वह क्या सचमुच सही इंसान होगा? क्या हो गया था मुझे जो मैं उसकी बातों में आ गई?” 2 दिन बाद दिशारी लड़कियों को विदेश में एक अपराधी समूह द्वारा बेचे जाने का समाचार बहुत ध्यान से देख रही थी और फिर देखते देखते फूट-फूट कर रोने लगी। उसके माता-पिता हैरान परेशान होकर उससे पूछने लगे कि”क्या हुआ बेटा” दिशारी ने बताया-“कल मैं इसी लड़के के साथ घर छोड़कर जाने वाली थी। उससे पिछली रात मैंने आपकी बातें सुनी थी और आपके प्यार के कारण, मैंने बहुत सोचा और मैंने उस लड़की का कॉल नहीं उठाया और ना ही कल उसके साथ गई और आज टीवी पर यह खबर कि वह अपने ग्रुप के साथ मिलकर 9 लड़कियों को बेचने वाला था और पकड़ा गया।”इतना कहकर वह पापा के गले लग गई। ओम-“दिशारी बेटा, तुमने उसे पहचाना कैसे टीवी पर, उसके पूरे मुंह पर तो कपड़ा लपेटा हुआ है।” दिशारी-“पापा, उसके हाथ में पहने हुए एक यूनिक ब्रेसलेट से, जो मैंने अपने हाथों से ही बनाया था।” ओम-“देखा मीना, मैं कहता था ना कि हमारी दिशारी बहुत समझदार है और केयरिंग भी, आखिरकार मेरा उस पर भरोसा जीत ही गया।” दिशारी-“सॉरी मम्मी पापा, मैं जीवन भर इस बात का ध्यान रखूंगी कि आपको मेरी तरफ से कोई तकलीफ और दर्द ना मिले। मैं आपको हमेशा खुशियां देने की कोशिश करूंगी। लव यू मम्मी पापा।” मीना और ओम-“लव यू दिशारी
” स्वरचित गीता वाधवानी
# दर्द

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